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रॉयल रणथंभौर इंटरनेशनल टाइगर वीक: बाघ व पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन काम करने वाली शख्सियतों को किया सम्मानित - Tiger week in Ranthambore

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 29, 2024, 10:55 PM IST

रॉयल रणथंभौर इंटरनेशनल टाइगर वीक को लेकर रणथंभौर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें बाघ व पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन काम करने वाली शख्सियतों को सम्मानित किया गया.

Tiger week in Ranthambore
रॉयल रणथंभौर इंटरनेशनल टाइगर वीक (ETV Bharat Sawai Madhopur)

सवाई माधोपुर. रणथंभौर रोड स्थित आमाघाटी होटल में रॉयल रणथंभौर इंटरनेशनल टाइगर वीक को लेकर आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों ने बाघ संरक्षण, इनके अवैध शिकार और कुनबा बढ़ाने को लेकर विचार रखे गए. इस दौरान बाघ व पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन काम करने वाली शख्सियतों को सम्मानित किया गया. टाइगर वीक कार्यकर्म में मुख्य अतिथि पंजाब के पूर्व राज्यपाल वीपी बदनौर, कंजर्वेशनिस्ट राज्यपाल सिंह और आईएफएससी सोमशेखर रहे. कार्यक्रम में आनंद भारद्वाज, नवरोज डी. धोडी और सुनील मंगल और विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर कार्यक्रम में अपने विचार रखे.

टाइगर वीक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वीपी सिंह ने कहा कि बाघों की आबादी की जब भी बात आती है, तो दुनिया की नजर भारत की तरफ हो जाती है. उन्होंने कहा कि बाघों की एक टेरिटरी होती है. इसके निकट इंसानों की बसावट दोनों के लिए ही घातक है. ऐसे में बाघों के मूवमेंट वाले एरिया के नजदीक स्थित आबादी को स्थानांतरण करने की मुहिम चलाई गई. जिससे मानव और बाघ का संघर्ष कम हुआ. उनका कहना है कि सरिस्का में रणथंभौर के बाघों ने जाकर वहां का कुनबा बढ़ाया है.

पढ़ें: भरतपुर में 70 करोड़ की लागत से बनेगा बायोलॉजिकल पार्क, पर्यटक कर सकेंगे टाइगर और लॉयन का दीदार - Biological Park In Bharatpur

कार्यक्रम में उपस्थित आईएसएफ एवं अन्य विशेषज्ञों ने बाघों के संरक्षण को लेकर इनके शिकार, अवैध तस्करी, अवैध व्यापार के प्रति सजग रहना और बाघों को लेकर अपने-अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि जलवायु बदलने से बाघों के प्रजनन पर असर पड़ता है. वहीं क्षेत्र विशेष अपनी वनस्पति, हवा और पानी होता है. जो बदलते ही जानवरों में शारीरिक बदलाव आ जाते हैं. जिसका उदाहरण सुंदरबन डेल्टा के नजदीक बाघ खारा पानी पीकर भी जिंदा रहते हैं. जबकि राजस्थान के बाघ ऐसा नहीं कर सकते. इसलिए जंगल और जलवायु को बचाना भी जरूरी है.

पढ़ें: मानसून में 3 महीने बंद रहेगा सरिस्का पार्क, बफर जोन में पर्यटक कर सकेंगे बाघों का दीदार - Sariska Tiger Reserve

कार्यक्रम में बाघ व पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन काम करने वाली शख्सियतों को भी सम्मानित किया गया. लिव 4 फ्रीडम पार्टनर और रॉयल रणथंभौर इंटरनेशनल टाइगर वीक के फाउंडर सुनील मंगल ने बताया कि केरल के पेरियार नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व ऑफ द ईयर 2024, लाती का नाथ को कंजर्वेशनिस्ट ऑफ द ईयर, कर्नाटक को इंडियन टाइगर स्टेट ऑफ द ईयर, हेमेंद्र कोठारी को अनंत बजाज वाइल्डलाइफ फाइलेथ्रोपिस्ट ऑफ द ईयर, एचएस पवार को आईटीडबल्यू, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड हीरालाल को रॉयल रणथभौर डेडीकेटेड टाइगर वॉरियर के अवार्ड से नवाजा गया.

सवाई माधोपुर. रणथंभौर रोड स्थित आमाघाटी होटल में रॉयल रणथंभौर इंटरनेशनल टाइगर वीक को लेकर आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों ने बाघ संरक्षण, इनके अवैध शिकार और कुनबा बढ़ाने को लेकर विचार रखे गए. इस दौरान बाघ व पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन काम करने वाली शख्सियतों को सम्मानित किया गया. टाइगर वीक कार्यकर्म में मुख्य अतिथि पंजाब के पूर्व राज्यपाल वीपी बदनौर, कंजर्वेशनिस्ट राज्यपाल सिंह और आईएफएससी सोमशेखर रहे. कार्यक्रम में आनंद भारद्वाज, नवरोज डी. धोडी और सुनील मंगल और विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर कार्यक्रम में अपने विचार रखे.

टाइगर वीक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वीपी सिंह ने कहा कि बाघों की आबादी की जब भी बात आती है, तो दुनिया की नजर भारत की तरफ हो जाती है. उन्होंने कहा कि बाघों की एक टेरिटरी होती है. इसके निकट इंसानों की बसावट दोनों के लिए ही घातक है. ऐसे में बाघों के मूवमेंट वाले एरिया के नजदीक स्थित आबादी को स्थानांतरण करने की मुहिम चलाई गई. जिससे मानव और बाघ का संघर्ष कम हुआ. उनका कहना है कि सरिस्का में रणथंभौर के बाघों ने जाकर वहां का कुनबा बढ़ाया है.

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कार्यक्रम में उपस्थित आईएसएफ एवं अन्य विशेषज्ञों ने बाघों के संरक्षण को लेकर इनके शिकार, अवैध तस्करी, अवैध व्यापार के प्रति सजग रहना और बाघों को लेकर अपने-अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि जलवायु बदलने से बाघों के प्रजनन पर असर पड़ता है. वहीं क्षेत्र विशेष अपनी वनस्पति, हवा और पानी होता है. जो बदलते ही जानवरों में शारीरिक बदलाव आ जाते हैं. जिसका उदाहरण सुंदरबन डेल्टा के नजदीक बाघ खारा पानी पीकर भी जिंदा रहते हैं. जबकि राजस्थान के बाघ ऐसा नहीं कर सकते. इसलिए जंगल और जलवायु को बचाना भी जरूरी है.

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कार्यक्रम में बाघ व पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन काम करने वाली शख्सियतों को भी सम्मानित किया गया. लिव 4 फ्रीडम पार्टनर और रॉयल रणथंभौर इंटरनेशनल टाइगर वीक के फाउंडर सुनील मंगल ने बताया कि केरल के पेरियार नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व ऑफ द ईयर 2024, लाती का नाथ को कंजर्वेशनिस्ट ऑफ द ईयर, कर्नाटक को इंडियन टाइगर स्टेट ऑफ द ईयर, हेमेंद्र कोठारी को अनंत बजाज वाइल्डलाइफ फाइलेथ्रोपिस्ट ऑफ द ईयर, एचएस पवार को आईटीडबल्यू, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड हीरालाल को रॉयल रणथभौर डेडीकेटेड टाइगर वॉरियर के अवार्ड से नवाजा गया.

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