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रोल गांव में है पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब की अनमोल विरासत, दरगाह में 800 साल से रखा है 'जुब्बा कुर्ता'

भारत विरासतों का देश है, जहां अलग-अलग धर्म, सभ्यताओं, संस्कृतियों और महापुरुषों से जुड़ी विरासतों को सहेजकर रखा जाता है. इसी प्रकार की एक विरासत पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब से जुड़ी हुई है जो कि नागौर जिले के रोल गांव में संजोकर रखी हुई है. आइये जानते हैं कि इस अनमोल विरासत के बारे में.

Prophet Hazrat Muhammad Sahib,  Jubba Kurta kept in the Dargah
रोल गांव में है पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब की अनमोल विरासत
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 15, 2024, 7:41 PM IST

रोल गांव में है पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब की अनमोल विरासत.

कुचामनसिटी. पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब से जुड़ी एक विरासत नागौर जिले के रोल गांव में संजोकर रखी हुई है. यह विरासत है "जुब्बा शरीफ" यानी वो "कुर्ता" जिसे पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब पहनते थे. ऐसे में यह जुब्बा दुनिया भर के मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए आस्था का प्रतीक है.

रोल गांव की दरगाह में 'जुब्बा' की देखभाल करने वाले असलम ने बताया कि पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब अपने जीवनकाल में जो लिबास यानी "कुर्ता" पहनते थे, उसे अरबी भाषा में 'जुब्बा' कहा जाता है. बताया जाता है कि यह 'जुब्बा' मुहम्मद साहब ने हजरत अली को सौंपा था. इसके बाद यह 'जुब्बा' इस्लाम के 14 सूफी संतों से होता हुआ सूफी हमीदुद्दीन नागौरी के पास पहुंचा. हमीदुद्दीन नागौरी, सूफी संत ख्वाजा हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के साथ जब भारत आए तो वे अपने साथ यह 'जुब्बा' भारत लेकर आए थे. तब से यह 'जुब्बा शरीफ' नागौर के समीप रोल गांव की दरगाह में पिछले 800 साल से सहेजकर रखा हुआ है.

पढ़ें: आयुष्मान भारत योजना के तहत कर रहे थे अवैध वसूली, विभाग ने की कार्रवाई... 3 मोबाइल व फिंगर मशीन भी जब्त

खास बात यह है कि पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का भारत में यह इकलौता 'जुब्बा' है. इस्लाम में जो भी धार्मिक आयोजन होते हैं, वे हिजरी कैलेंडर के मुताबिक होते हैं, लेकिन रोल में हजरत मुहम्मद साहब के 'जुब्बा' मुबारक का सालाना उर्स भारतीय कैलेंडर के मुताबिक होता है. यह उर्स हर साल कार्तिक माह की एकम यानी पहली तारीख को रोल की दरगाह में मनाया जाता है, जिसमें देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी जायरीन आते हैं. 'जुब्बा' मुबारक को सहेज कर रखने वाले काजी हमीदुद्दीन नागौरी के वंशज इस बारे में बताते हैं कि जिस दिन पैगंबर साहब का 'जुब्बा' रोल लाया गया था, उस दिन कार्तिक माह की एकम तारीख थी, इसलिए तब से ही हर साल कार्तिक महीने की एकम तारीख को रोल में उर्स मनाया जा रहा है.

रोल गांव में है पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब की अनमोल विरासत.

कुचामनसिटी. पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब से जुड़ी एक विरासत नागौर जिले के रोल गांव में संजोकर रखी हुई है. यह विरासत है "जुब्बा शरीफ" यानी वो "कुर्ता" जिसे पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब पहनते थे. ऐसे में यह जुब्बा दुनिया भर के मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए आस्था का प्रतीक है.

रोल गांव की दरगाह में 'जुब्बा' की देखभाल करने वाले असलम ने बताया कि पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब अपने जीवनकाल में जो लिबास यानी "कुर्ता" पहनते थे, उसे अरबी भाषा में 'जुब्बा' कहा जाता है. बताया जाता है कि यह 'जुब्बा' मुहम्मद साहब ने हजरत अली को सौंपा था. इसके बाद यह 'जुब्बा' इस्लाम के 14 सूफी संतों से होता हुआ सूफी हमीदुद्दीन नागौरी के पास पहुंचा. हमीदुद्दीन नागौरी, सूफी संत ख्वाजा हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के साथ जब भारत आए तो वे अपने साथ यह 'जुब्बा' भारत लेकर आए थे. तब से यह 'जुब्बा शरीफ' नागौर के समीप रोल गांव की दरगाह में पिछले 800 साल से सहेजकर रखा हुआ है.

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खास बात यह है कि पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का भारत में यह इकलौता 'जुब्बा' है. इस्लाम में जो भी धार्मिक आयोजन होते हैं, वे हिजरी कैलेंडर के मुताबिक होते हैं, लेकिन रोल में हजरत मुहम्मद साहब के 'जुब्बा' मुबारक का सालाना उर्स भारतीय कैलेंडर के मुताबिक होता है. यह उर्स हर साल कार्तिक माह की एकम यानी पहली तारीख को रोल की दरगाह में मनाया जाता है, जिसमें देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी जायरीन आते हैं. 'जुब्बा' मुबारक को सहेज कर रखने वाले काजी हमीदुद्दीन नागौरी के वंशज इस बारे में बताते हैं कि जिस दिन पैगंबर साहब का 'जुब्बा' रोल लाया गया था, उस दिन कार्तिक माह की एकम तारीख थी, इसलिए तब से ही हर साल कार्तिक महीने की एकम तारीख को रोल में उर्स मनाया जा रहा है.

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