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बस्तर के सरकारी स्कूलों में अब रोबोटिक्स और AI की पढ़ाई, नक्सलगढ़ के बच्चों का होगा कौशल विकास - AI studies in Bastar govt schools

ROBOTICS AI STUDIES IN BASTAR छत्तीसगढ़ में स्कूली बच्चों के स्किल डेवलमेंट को लेकर साय सरकार ने बड़ी पहल की है. प्रदेश के 800 सरकारी स्कूलों में पहली बार रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई शुरू करने का ऐलान राज्य सरकार ने किया है. यह सब धरातल पर कैसे उतरेगा इसे जानने के लिए पढ़िए ये पूरी खबर

ROBOTICS AI STUDIES IN BASTAR
रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 23, 2024, 5:39 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों के सरकारी स्कूलों में अब रोबोटिक्स साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई कराई जाएगी. विष्णुदेव साय सरकार ने इसकी पहल की है. बस्तर के करीब 800 सरकारी स्कूलों का चयन इसके लिए किया गया है. मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से राज्य सरकार इन स्कूलों में इस तरह की पढ़ाई पूरी कराएगी. सरकार ने पूरे राज्य में सरकारी स्कूलों में कौशल शिक्षा को एकीकृत करने के लिए तीन साल की साझेदारी की है.

नई शिक्षा नीति के तहत शुरू होगी कवायद: इस कवायद को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शुरू करने पर सहमति बनी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा रुपरेखा एनसीएफ 2023 के तहत यह कोर्स शुरू होगा. इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को जरूरी कौशल ज्ञान से लैस करना है.

नियाद नेल्लनार योजना के तहत होगा विकास: शिक्षा में कौशल विकास को नियद नेल्लनार योजना के तहत शुरू करने का ऐलान हुआ है. नियद नेल्लनार का अर्थ होता है आपका अच्छा गांव. इस योजना के तहत शिक्षा के अलावा अन्य विकास कार्यों को बस्तर में पूरा करने पर फोकस किया जा रहा है. इस योजना के तहत 17 विभागों की योजनाओं को 28 सामुदायिक सुविधाओं के तहत पहुंच प्रदान किया जा रहा है. जिससे बस्तर के लाभार्थियों को फायदा होगा.

"बस्तर के बच्चे अब कौशल शिक्षा के माध्यम से नए विषयों की पढ़ाई कर सकेंगे और नए सब्जेक्ट को सीखेंगे. इस समझौते के अन्तर्गत पहले दो शैक्षणिक वर्षों में 800 सरकारी स्कूलों में कौशल शिक्षा लागू होगी. दो साल के दौरान, 1,600 शिक्षक कक्षा 6 से 10 तक के 40,000 छात्रों को कौशल और जीवन कौशल शिक्षा प्रदान करेंगे. इसके लिए शिक्षकों को ट्रेंड किया जाएगा. सबसे पहले राज्य में इस शिक्षा की शुरुआत कांकेर और कोंडागांव से होगी. बस्तर के बाद फिर इसे पूरे 33 जिलों में लागू किया जाएगा.": जयंत रस्तोगी, सीईओ, मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन

"आदिवासी बच्चों को उनकी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार किया जाएगा. आदिवासी बच्चों को शिक्षा उनकी मातृभाषा में दी जाएगी. बस्तर के बच्चों को आधुनिक चुनौतियों के लिए तैयार करने की आवश्यकता के तहत शिक्षा दी जाएगी. हमारे पाठ्यक्रम रचनात्मक और रोजगारोन्मुखी होंगे. जिससे इन इलाकों के बच्चों को बेहतर रोजगार मिल सकेगा": कोमल परदेशी, शिक्षा सचिव, छत्तीसगढ़

विकसित भारत का सपना होगा साकार: विष्णुदेव साय सरकार की इस पहल से विकसित छत्तीसगढ़ और विकसित भारत का सपना साकार होगा. यह विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए राज्य को प्रेरित करेगा.

सोर्स: एएनआई

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों के सरकारी स्कूलों में अब रोबोटिक्स साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई कराई जाएगी. विष्णुदेव साय सरकार ने इसकी पहल की है. बस्तर के करीब 800 सरकारी स्कूलों का चयन इसके लिए किया गया है. मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से राज्य सरकार इन स्कूलों में इस तरह की पढ़ाई पूरी कराएगी. सरकार ने पूरे राज्य में सरकारी स्कूलों में कौशल शिक्षा को एकीकृत करने के लिए तीन साल की साझेदारी की है.

नई शिक्षा नीति के तहत शुरू होगी कवायद: इस कवायद को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शुरू करने पर सहमति बनी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा रुपरेखा एनसीएफ 2023 के तहत यह कोर्स शुरू होगा. इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को जरूरी कौशल ज्ञान से लैस करना है.

नियाद नेल्लनार योजना के तहत होगा विकास: शिक्षा में कौशल विकास को नियद नेल्लनार योजना के तहत शुरू करने का ऐलान हुआ है. नियद नेल्लनार का अर्थ होता है आपका अच्छा गांव. इस योजना के तहत शिक्षा के अलावा अन्य विकास कार्यों को बस्तर में पूरा करने पर फोकस किया जा रहा है. इस योजना के तहत 17 विभागों की योजनाओं को 28 सामुदायिक सुविधाओं के तहत पहुंच प्रदान किया जा रहा है. जिससे बस्तर के लाभार्थियों को फायदा होगा.

"बस्तर के बच्चे अब कौशल शिक्षा के माध्यम से नए विषयों की पढ़ाई कर सकेंगे और नए सब्जेक्ट को सीखेंगे. इस समझौते के अन्तर्गत पहले दो शैक्षणिक वर्षों में 800 सरकारी स्कूलों में कौशल शिक्षा लागू होगी. दो साल के दौरान, 1,600 शिक्षक कक्षा 6 से 10 तक के 40,000 छात्रों को कौशल और जीवन कौशल शिक्षा प्रदान करेंगे. इसके लिए शिक्षकों को ट्रेंड किया जाएगा. सबसे पहले राज्य में इस शिक्षा की शुरुआत कांकेर और कोंडागांव से होगी. बस्तर के बाद फिर इसे पूरे 33 जिलों में लागू किया जाएगा.": जयंत रस्तोगी, सीईओ, मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन

"आदिवासी बच्चों को उनकी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार किया जाएगा. आदिवासी बच्चों को शिक्षा उनकी मातृभाषा में दी जाएगी. बस्तर के बच्चों को आधुनिक चुनौतियों के लिए तैयार करने की आवश्यकता के तहत शिक्षा दी जाएगी. हमारे पाठ्यक्रम रचनात्मक और रोजगारोन्मुखी होंगे. जिससे इन इलाकों के बच्चों को बेहतर रोजगार मिल सकेगा": कोमल परदेशी, शिक्षा सचिव, छत्तीसगढ़

विकसित भारत का सपना होगा साकार: विष्णुदेव साय सरकार की इस पहल से विकसित छत्तीसगढ़ और विकसित भारत का सपना साकार होगा. यह विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए राज्य को प्रेरित करेगा.

सोर्स: एएनआई

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