किरनकांत शर्मा, देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होने के बाद हिल स्टेशनों में सैलानियों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है. हर कोई बर्फ में मस्ती करना चाहता है, लेकिन बर्फबारी जितनी खूबसूरत लगती है, उतनी जानलेवा भी हो सकती है. तापमान लुढ़कने के साथ ही सड़कों पर पानी जमने लग जाता है. इसके साथ ही भुरभुरी बर्फ जमकर चट्टान हो जाती है. ऐसे में अगर आपने जरा सी लापरवाही पहाड़ों पर गाड़ी चलाते बरती तो सड़क पर जमने वाला पाला जान ले सकता है.
जानलेवा साबित होता है पाला: दरअसल, सूबे में पड़ रही खून जमा देने वाली ठंड का असर सड़कों पर भी देखने को मिल रहा है, जिसकी वजह से सड़कों पर पाला जमने लगा है. ऐसे में पाला पड़ने के कारण आने-जाने वाले लोगों समेत वाहनों को जोखिम उठाना पड़ रहा है. क्योंकि, पाले से फिसलन हो गई है. हर साल सर्दियों के मौसम में कई सड़क दुर्घटनाएं ऐसी होती हैं, जो पाले के कारण होती है. खासकर यह पाला ठंडी इलाकों में ज्यादा पड़ जाता है.
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क्या है पाला और कैसे पड़ता है? पाला पड़ना आमतौर पर एक मौसमी घटना है, जिसमें वातावरण का तापमान गिरकर 0°C (शून्य डिग्री सेल्सियस) या फिर उससे भी नीचे पहुंच जाता है. ऐसे में वातावरण में उपस्थित जल वाष्प पेड़ पौधों की पत्तियों या किसी ठोस पदार्थ के संपर्क में आती है तो चमकदार बर्फ के क्रिस्टल की एक पतली परत जमने लग जाती है. जो पाला का रूप ले लेती है. इसके अलावा ठंडी जगहों पर अगर कहीं पानी गिर जाए तो वहां पर भी पाला जम जाता है.
उत्तराखंड मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह कहते हैं कि पाला पड़ने की प्रक्रिया मौसम में ठंडक आते ही शुरू हो जाती है. जब तापमान में जलवाष्प जमने लगता है तो पाला पड़ता है. ऐसा कह सकते हैं कि यह एक तरह की बर्फ की परत होती है. अगर सड़क पर जम जाए तो हादसे की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में अगर ड्राइवर सावधानी ना बरतें तो पाला जमी हुई सड़क पर हादसा भी हो सकता है. उत्तराखंड में इस वक्त कई सड़क पाले की परत से ढकी हुई है.
![Frost On Road in Uttarakhand](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-12-2024/23092382_pala-666.jpg)
यातायात मुख्यालय ने दी ये जानकारी: उत्तराखंड मौसम विभाग ने अधिक ठंड और पाला गिरने की चेतावनी जारी कर लोगों से सावधानी बरतने को कहा है. आज भी कई जगहों पर तापमान गिरकर शून्य डिग्री तक पहुंच गया है. ऐसे में अगर आप पहाड़ों पर गाड़ी ड्राइव कर रहे हैं या जाने का प्लान है तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें. उत्तराखंड यातायात निदेशक अरुण मोहन जोशी के निर्देश के बाद अलग-अलग माध्यम से लोगों से अपील की जा रही है कि पहाड़ों पर गाड़ी चलाते समय कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें.
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इन बातों का रखें ध्यान: अगर आप किसी गाड़ी के पीछे चल रहे हैं तो कोशिश करें कि उससे अच्छी खासी दूरी बनाकर रखें. गाड़ी चलाते समय पूरा ध्यान गाड़ी पर रखें. गीली या पाला जमे सड़कों पर गाड़ी की गति कम रखें. अचानक से ब्रेक लगाने से बचें और स्पीड का विशेष ध्यान रखें. अगर आप ज्यादा स्पीड से गाड़ी चलाते हैं तो ऐसे में ब्रेक नहीं लगते हैं. जिसकी वजह से हादसे होने के चांस बढ़ जाते हैं. पहाड़ों पर जाने से पहले सड़क के कंडीशन की जानकारी भी जरूर लें.
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मसूरी में फिसलता चला गया टैंकर: ठंड के शुरुआती दिनों में ही पाले से होने वाली दुर्घटनाएं सामने आने लगी है. बीती 10 दिसंबर को भी मसूरी में गुरु नानक स्कूल के पास एक टैंकर पाले की वजह से फिसलता हुआ नीचे आ गया, जो हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बचा. बताया जा रहा है कि इससे पहले दिन ही ओले गिरने से मसूरी की सड़कों पर पाला जमने लग गया था.
पैदल चलने वाले लोगों को तो दिक्कत हो ही रही थी. साथ ही साथ भारी भरकम वाहनों के भी फिसलने का डर लगातार बना हुआ था. इसी बीच धीमी गति से जा रहा टैंकर फिसलने लगा. लोगों ने जैसे ही टैंकर को फिसलते देखा, वैसे ही शोर मचाने लगे. पहाड़ी से टकराकर टैंकर सड़क के बीचों-बीच खड़ा हो गया. गनीमत रही कि इस हादसे में कोई जनहानि या बड़ा नुकसान नहीं हुआ.
सेना का वाहन भी दुर्घटना का शिकार: चमोली के ज्योर्तिमठ में भी सेना के वाहन फिसल कर दुर्घटना का शिकार हो गए. हर साल इस मौसम में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं चमोली से सामने आती है. जब गाड़ियां फिसलते हुए नीचे की तरफ आने लगती है. इस बार भी सेना के दो वाहन फिसलकर सड़क से नीचे आ गिरे. हादसे में सेना के जवानों को हल्की-फुल्की चोटें जरूर आई, लेकिन कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ.
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पौड़ी में गई तीन जान: इसी तरह से पौड़ी के द्वारीखाल में भी सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई. हालांकि, अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हादसा किस वजह से हुआ, लेकिन प्रथम दृष्टया संभावना यही जताई जा रही है कि सड़क पर पाला पड़ने की वजह से कार हादसे का शिकार हुई. इस हादसे में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई थी. सभी दिल्ली से पौड़ी अपने गांव जा रहे थे.
प्रशासन करता है ये काम: इस समस्या से निपटने के लिए पीडब्ल्यूडी और स्थानीय प्रशासन कुछ नुस्खे का इस्तेमाल भी करता है. जिस वक्त सड़क पर ऐसे हालात बन जाते हैं, उस वक्त नमक का छिड़काव और चूना डाला जाता है. जिससे सड़क चलने लायक हो जाती है. ऐसे में जोशीमठ हो या मसूरी, पौड़ी हो या नैनीताल वहां पर सड़कों पर इनका छिड़काव समय-समय किया जाता है, लेकिन सड़कों का जाल इतना ज्यादा है कि ये काम भी सभी जगह कर पाना संभव नहीं है.
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