पटना: बिहार विधान परिषद का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. उससे पहले नए सभापति अवधेश नारायण सिंह ने विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की एमएलसी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर सहमति दे दी है. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पत्र के बाद राबड़ी देवी को नेता विरोधी दल के रूप में मान्यता दे दी गई है. इससे पहले भी वह नेता विरोधी दल रहीं हैं.
राबड़ी देवी का राजनीतिक सफर: आरजेडी अध्यक्ष की पत्नी राबड़ी देवी सबसे पहले 25 जुलाई 1997 को बिहार की मुख्यमंत्री बनीं थी. मार्च 2005 तक इस पद पर बनीं रहीं. वह वैशाली जिले की राघोपुर विधानसभा सीट से विधायक भी रही हैं. हालांकि 2010 में वह चुनाव हार गईं. जिसके बाद से वह विधान परिषद की सदस्य हैं. 2014 में सारण से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा.
सत्ता पक्ष के उपनेता और सचेतक कौन?: वहीं, भारतीय जनता पार्टी के विधान पार्षद राजेंद्र गुप्ता और जनता दल यूनाइटेड के ललन सरार्फ विधान परिषद में सत्ता पक्ष के उप नेता बनाए गए हैं, जबकि जेडीयू के नीरज कुमार और रीना देवी को सत्ता पक्ष का सचेतक और बीजेपी के संजय प्रकाश को सत्ता पक्ष का उप सचेतक बनाया गया है.
विधानसभा में ये बने उपनेता और सचेतक: इसके साथ ही विधान सभा में बीजेपी और जेडीयू की ओर से सत्ता पक्ष के सचेतक और उपमुख सचेतक का भी मनोनयन हुआ है. बीजेपी ने जनक सिंह को विधान परिषद में उप मुख्य सचेतक बनाया है, जबकि विजय मंडल, आलोक रंजन, कृष्णा ऋषि, हरी भूषण ठाकुर, संजय सरागवी और वीरेंद्र सिंह को सचेतक मनोनीत किया गया है. जेडीयू ने राजकुमार सिंह, सुधांशु शेखर और नरेंद्र कुमार नीरज को सचेतक बनाया है. विधान परिषद और विधानसभा की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.
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