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रस्मों रिवाज के कारण वोटिंग से वंचित महिलाओं को मतदान का मिलेगा हक, संथाल के ग्रामीण इलाकों का दौरा कर सीईओ ने दिलाया भरोसा - Lok Sabha Election 2024

Efforts to increase vote percentage. झारखंड में वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी लगे हुए हैं. वह राज्य में गांव-गांव और गली-लगी घूम रहे हैं. वोटिंग को लेकर लोगों की समस्याओं का ऑन द स्पॉट निदान कर रहे हैं.

Efforts to increase vote percentage
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 6, 2024, 6:44 PM IST

रांची: झारखंड की 14 लोकसभा सीटों के लिए 2019 के चुनाव में करीब 66.97 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस आंकड़े को और बढ़ाने और लोगों को वोट का हक समझाने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने खुद बीड़ा उठा लिया है. वह जंगल, पहाड़ी और पगडंडियों के रास्ते सुदूर ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहे हैं. ग्रामीणों से सीधी बात कर रहे हैं. उनसे वोटर कार्ड के बारे में पूछ रहे हैं.

संथाल परगना के साहिबगंज और पाकुड़ के ग्रामीण इलाकों में निरीक्षण के दौरान उन्हें आदिवासी प्रथा से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां मिली, जिसकी वजह से कई महिलाओं ने वोट देने में असमर्थता जतायी. सारी बातें सुनने के बाद सीईओ ने ऑन द स्पॉट समस्या का समाधान करने और वोटिंग सुनिश्चित कराने का निर्देश जारी किया. संथाल के दुमका, पाकुड़, साहिबगंज, देवघर जिला में औचक निरीक्षण के दौरान सीईओ ने स्पष्ट किया है कि "अबकी बार दिन भर मतदान" के लिए वोटरों को जागरुक करने पर विशेष फोकस करना है.

रस्मों रिवाज नहीं आएंगे वोटिंग के आड़े

सीईओ के रवि कुमार जब पाकुड़ के फूलपहाड़ी क्षेत्र में पहुंचे तो जनजातीय समाज की मारनकुड़ी हांदसा से वोटर आईडी कार्ड के बारे में पूछा. मारनकुड़ी ने बताया कि मेरा तो गउना हो गया है. मैं यहां कैसे वोट दूंगी. बहुत जल्द मेरे पति ससुराल लेकर चले जाएंगे. इसी बीच सीईओ की नजर पास के खलिहानी में काम कर रही दो महिलाओं पर पड़ी. पूछने पर पता चला कि दोनों सास और बहू हैं. बहू ने बताया कि वह ससुराल में जरुर आ गयी है लेकिन अभी विवाह की रस्म पूरी नहीं हुई है.

जनजातीय प्रथा के मुताबिक लड़की के घरवाले जब रिश्तेदारों और ग्रामीणों को दावत खिलाते हैं, तभी विवाह की रस्म पूरी मानी जाती है. इस वजह से वह ससुराल में रहकर वोट नहीं दे पाएगी क्योंकि उसका नाम मायका वाले वोटर लिस्ट में है. इतना सुनते ही सीईओ ने दोनों महिलाओं की समस्या के निदान का निर्देश दिया. दरअसल, जनवरी में पुनरीक्षण के बाद वोटर लिस्ट जारी होने के बावजूद छूट चुके वोटरों का नाम जोड़ने और वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए जोरशोर से कवायद चल रही है. सीईओ के रवि कुमार ने खुद मोर्चा संभाल रखा है.

फिल्ड विजीट पर निकले हैं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी

चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद सीईओ के रवि कुमार ने लगातार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्तों के साथ समीक्षा बैठक की और संबंधित निर्देश दिए. सोशल मीडिया पर आने वाली भ्रामक खबरों पर नजर रखने. शराब की तस्करी पर चौकसी बरतने, बूथों पर सुविधाएं सुनिश्चित कराने, अवैध नकदी, आर्म्स की आवाजाही पर विशेष चौकरी बरतने को कहा गया है. अब वे खुद जिला स्तर पर खुद घूम घूमकर वस्तुस्थिति का जायजा ले रहे हैं. पिछले दिनों दुमका में समीक्षा बैठक के दौरान एलआरडीसी अब्दुल समद और रानेश्वर के बीडीओ शिवाजी भगत के स्तर पर अनियमीतता और आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी मिलने पर स्पष्टीकरण का निर्देश दिया था.

झारखंड में वोटरों की संख्या में हुआ है इजाफा

झारखंड में 22 जनवरी 2024 को रिवाज्ड वोटर लिस्ट जारी करने के बाद वोटरों की कुल संख्या 2 करोड़ 53 लाख 86 हजार 152 हो गई है. इसमें 18 से 22 वर्ष आयु वर्ग के पुरुष वोटरों की संख्या 10.64 लाख की तुलना में महिला वोटरों की संख्या 11.02 लाख है. इस बार के चुनाव में युवा वोटरों की भूमिका बेहद खास होगी.

इससे पहले 5 जनवरी 2023 के डाटा के मुताबिक वोटरों की कुल संख्या 2 करोड़ 45 लाख 29 हजार 841 थी. इसके अलावा 6.50 लाख से ज्यादा वोटरों के नाम लिस्ट से हटाए गये हैं क्योंकि पिछले एक साल में 3.27 लाख वोटरों की मौत, 1.20 लाख वोटरों के दूसरी जगह शिफ्टिंग और 1.97 लाख वोटरों के नाम दो मतदाता सूची में शामिल होने पर हटाया गया है.

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संथाल परगना के साहिबगंज और पाकुड़ के ग्रामीण इलाकों में निरीक्षण के दौरान उन्हें आदिवासी प्रथा से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां मिली, जिसकी वजह से कई महिलाओं ने वोट देने में असमर्थता जतायी. सारी बातें सुनने के बाद सीईओ ने ऑन द स्पॉट समस्या का समाधान करने और वोटिंग सुनिश्चित कराने का निर्देश जारी किया. संथाल के दुमका, पाकुड़, साहिबगंज, देवघर जिला में औचक निरीक्षण के दौरान सीईओ ने स्पष्ट किया है कि "अबकी बार दिन भर मतदान" के लिए वोटरों को जागरुक करने पर विशेष फोकस करना है.

रस्मों रिवाज नहीं आएंगे वोटिंग के आड़े

सीईओ के रवि कुमार जब पाकुड़ के फूलपहाड़ी क्षेत्र में पहुंचे तो जनजातीय समाज की मारनकुड़ी हांदसा से वोटर आईडी कार्ड के बारे में पूछा. मारनकुड़ी ने बताया कि मेरा तो गउना हो गया है. मैं यहां कैसे वोट दूंगी. बहुत जल्द मेरे पति ससुराल लेकर चले जाएंगे. इसी बीच सीईओ की नजर पास के खलिहानी में काम कर रही दो महिलाओं पर पड़ी. पूछने पर पता चला कि दोनों सास और बहू हैं. बहू ने बताया कि वह ससुराल में जरुर आ गयी है लेकिन अभी विवाह की रस्म पूरी नहीं हुई है.

जनजातीय प्रथा के मुताबिक लड़की के घरवाले जब रिश्तेदारों और ग्रामीणों को दावत खिलाते हैं, तभी विवाह की रस्म पूरी मानी जाती है. इस वजह से वह ससुराल में रहकर वोट नहीं दे पाएगी क्योंकि उसका नाम मायका वाले वोटर लिस्ट में है. इतना सुनते ही सीईओ ने दोनों महिलाओं की समस्या के निदान का निर्देश दिया. दरअसल, जनवरी में पुनरीक्षण के बाद वोटर लिस्ट जारी होने के बावजूद छूट चुके वोटरों का नाम जोड़ने और वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए जोरशोर से कवायद चल रही है. सीईओ के रवि कुमार ने खुद मोर्चा संभाल रखा है.

फिल्ड विजीट पर निकले हैं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी

चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद सीईओ के रवि कुमार ने लगातार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्तों के साथ समीक्षा बैठक की और संबंधित निर्देश दिए. सोशल मीडिया पर आने वाली भ्रामक खबरों पर नजर रखने. शराब की तस्करी पर चौकसी बरतने, बूथों पर सुविधाएं सुनिश्चित कराने, अवैध नकदी, आर्म्स की आवाजाही पर विशेष चौकरी बरतने को कहा गया है. अब वे खुद जिला स्तर पर खुद घूम घूमकर वस्तुस्थिति का जायजा ले रहे हैं. पिछले दिनों दुमका में समीक्षा बैठक के दौरान एलआरडीसी अब्दुल समद और रानेश्वर के बीडीओ शिवाजी भगत के स्तर पर अनियमीतता और आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी मिलने पर स्पष्टीकरण का निर्देश दिया था.

झारखंड में वोटरों की संख्या में हुआ है इजाफा

झारखंड में 22 जनवरी 2024 को रिवाज्ड वोटर लिस्ट जारी करने के बाद वोटरों की कुल संख्या 2 करोड़ 53 लाख 86 हजार 152 हो गई है. इसमें 18 से 22 वर्ष आयु वर्ग के पुरुष वोटरों की संख्या 10.64 लाख की तुलना में महिला वोटरों की संख्या 11.02 लाख है. इस बार के चुनाव में युवा वोटरों की भूमिका बेहद खास होगी.

इससे पहले 5 जनवरी 2023 के डाटा के मुताबिक वोटरों की कुल संख्या 2 करोड़ 45 लाख 29 हजार 841 थी. इसके अलावा 6.50 लाख से ज्यादा वोटरों के नाम लिस्ट से हटाए गये हैं क्योंकि पिछले एक साल में 3.27 लाख वोटरों की मौत, 1.20 लाख वोटरों के दूसरी जगह शिफ्टिंग और 1.97 लाख वोटरों के नाम दो मतदाता सूची में शामिल होने पर हटाया गया है.

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