ETV Bharat / state

भतीजे आकाश आनंद को मायावती ने फिर से बनाया अपना उत्तराधिकारी-नेशनल कोऑर्डिनेटर, बोलीं-यूपी में सभी 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी बसपा - Mayawati and Akash Anand

बसपा सुप्रीमो मायावती लखनऊ में पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ लखनऊ में बैठक की. बैठक में पार्टी की हार और आने वाले चुनाव को लेकर चर्चा की गई. बैठक की शुरुआत में भतीजे आकाश आनंद ने मायावती के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. इसी के साथ बहनजी ने उन्हें एक बार फिर से उत्तराधिकारी घोषित करते हुए नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दे दी.

Review meeting of Bahujan Samaj Party President and former Chief Minister Mayawati in Lucknow
bsp president mayawati (photo credit: etv bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 23, 2024, 10:27 AM IST

Updated : Jun 23, 2024, 5:21 PM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा बैठक की. इस मौके पर सबसे पहले बसपा सुप्रीमो ने आकाश आनंद से अपनी नाराजगी दूर करते हुए उन्हें एक बार फिर से पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया. साथ ही अपना एकमात्र उत्तराधिकारी भी घोषित किया. इसके अलावा बैठक में मायावती ने माना कि इंडी गठबंधन के संविधान बचाओ नारे ने उनका कोर वोट बैंक भी उनसे छीन लिया. मायावती ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी आगामी सभी उप चुनाव लड़ेगी.

आकाश आक्रोशित हो गए और वरिष्ठों ने सुधारा नहीं

लखनऊ के बसपा कार्यालय में राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा बैठक में सबसे पहले आकाश आनंद ने मायावती के पैर छूए. जिस पर मायावती ने उनकी पीठ थपथपाई. इसके बाद मायावती ने ऐलान किया कि आकाश फिर से नेशनल कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करेंगे. मायावती के पदाधिकारियों के सामने कहा कि चुनाव के दौरान नेता आक्रोशित हो ही जाता है, लेकिन उसे संयम से काम लेना चाहिए. इसके अलावा वरिष्ठ नेताओं ने भी इस बात का ध्यान नहीं दिया कि आकाश मंच पर अधिक आक्रोशित हो जा रहे थे. अब वे नए जोश से पार्टी के लिए कार्य करेंगे.

उप चुनाव लड़ेगी बसपा, कांग्रेस को देना होगा करारा जवाब

मायावती ने समीक्षा बैठक में कहा कि संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में चुनाव में संविधान बचाओ जैसे अनेकों मुद्दों से पार्टी का नुकसान हुआ है. कहा कि कांग्रेस ने भारतीय संविधान सभा में डा. भीमराव अम्बेडकर को आने से रोकने के लिए अलग-अलग तरह हथकण्डे अपनाये थे, वह पार्टी अब संविधान को कैसे बचाने की बात कर सकती है? ऐसे में पदाधिकारियों को मायावती ने निर्देश दिए कि लोगों को इन्हीं बातों से अवगत कराएं और दलित वर्ग को अपने साथ जोड़ें. मायावती ने बैठक में कहा कि वर्तमान में केन्द्र की NDA सरकार पूरे तौर से स्थिर नहीं है. इनकी कभी भी अस्थिर होने की स्थिति बन सकती है. ऐसे में पार्टी के लोगों को पूरे देश में जनाधार को युद्धस्तर पर बढ़ाना है. वहीं मायावती ने बैठक में ऐलान किया कि बसपा यूपी में होने वाले 9 सीटों पर उप चुनाव लड़ेगी.

राज्यों के पदाधिकारियों के साथ करेंगी बैठक

समीक्षा बैठक के बाद मायावती सभी राज्यों के पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठक करेंगी. महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर व हरियाणा में अब विधान सभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इन राज्यों की टीम में मायावती व्यापक बदलाव कर सकती हैं ताकि विधानसभा चुनाव में पार्टी का बेहतर प्रदर्शन रहे. यदि ऐसा नहीं होता है तो बसपा राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खो सकती है.

22 सीटों पर उतारे मुस्लिम प्रत्याशी, सभी हारे

बता दें कि मायावती ने लोक सभा चुनाव के दौरान यूपी में 22 सीटों पर मुस्लिम कंडीडेट उतारे थे, बावजूद इसके बसपा को मुसलमानों का वोट नहीं मिला. इसको लेकर मायावती नतीजों के आने के बाद अपनी नाराजगी जाहिर कर चुकी है. ऐसे में माना जा रहा है कि आज की बैठक में मायावती मुस्लिम वोट बैंक को बसपा के साथ कैसे जोड़ा जाए इस पर चर्चा हो सकती है. इसके अलावा बसपा का कोर वोटबैंक भी छिटक कर समाजवादी पार्टी के साथ जाने पर भी मायावती पदाधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगी.

ऐसे गिरा बसपा का वोट प्रतिशत.
ऐसे गिरा बसपा का वोट प्रतिशत. (photo credit etv bharat)

चुनाव दर चुनाव खिसका बसपा का वोट प्रतिशत

चुनाव दर चुनाव बसपा का वोट प्रतिशत खिसकता ही गया. हैरत की बात है कि बहुजन समाज पार्टी ने साल 1989 में पहला चुनाव लड़ा था. तब पार्टी को दो सीटें मिली थीं और 9.90 % वोट खाते में आए थे. अब 2024 में स्थिति यह है कि लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुला है और वोट प्रतिशत भी गिरकर 9 % के करीब रह गया है. यूपी में 79 सीटों पर मैदान में उतरी बहुजन समाज पार्टी किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी.

लोकसभा चुनाव बसपा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य.
लोकसभा चुनाव बसपा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य. (photo credit etv bharat)

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी 10 साल पीछे चली गई. 2014 में बहुजन समाज पार्टी एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई थी. 2024 में भी पार्टी ने अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. पार्टी के देश भर में 483 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे जबकि उत्तर प्रदेश में 79 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन कहीं से भी नहीं जीती. 40 स्टार प्रचारकों में से कोई भी काम नहीं आया.

2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 19.77 फीसदी वोट हासिल हुए, जबकि 2019 में यह मत प्रतिशत गिरा और 19.42 फीसदी पर सिमट गया. अब अगर 2024 के चुनाव से तुलना करें तो 10 फीसदी वोट बसपा के कम हुए हैं.

इसी तरह 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा के खाते में सिर्फ 1 सीट आई. इस चुनाव में वोट प्रतिशत घटकर 12.88 फीसदी रहा.

8 सीटों पर नोटा से भी कम वोट मिले

इस बार के चुनाव की बात की जाए तो यूपी की 79 लोकसभा सीटों में से आठ ऐसी हैं जहां पर पार्टी प्रत्याशियों की जमानत तो जब्त हुई ही, नोटा से भी कम वोट हासिल कर पाए. इनमें से कानपुर से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े कुलदीप भदौरिया भी शामिल हैं. उन्हें सिर्फ 12032 वोट मिले. इनके अलावा मिर्जापुर, रॉबर्टसगंज, कैसरगंज, झांसी, बांदा, बहराइच, हमीरपुर और कौशांबी में भी पार्टी उम्मीदवारों की हालत खस्ता हुई.

कब होती है जमानत जब्त

लोकसभा सीट पर कुल मतदान के वध मत का एक बटे छे वोट पाने वाले कैंडिडेट की जमानत बच जाती है यह कुल मतदान का 16.6% हिस्सा होता है उदाहरण के तौर पर अगर किसी सीट पर एक लाख वोट पड़े हैं तो इसमें कैंडिडेट को 16.66 वोट मिलते हैं तभी उस उम्मीदवार की जमानत बच सकती है. जमानत जब्त होने पर उम्मीदवार की जमानत राशि जो 25,000 रुपये होती है, वह जब्त हो जाती है. चुनाव आयोग इस जमानत राशि को वापस नहीं करता है.

बसपा की हार का आकाश फैक्टर

वैसे तो बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद का राजनीति में डेढ़ महीने तक चला वनवास अब खत्म हो गया है, लेकिन इसका खामियाज लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी को भुगतना पड़ा है. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आकाश आनंद की बयानबाजी से नाराज होकर बसपा सुप्रीमो ने 7 मई को आकाश आनंद नेशनल कोऑर्डिनेटर समेत सभी पदों से हटाते हुए उन्हें पूरी तरह से साइलेंट कर दिया था.लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा का उत्तर प्रदेश में इस बार खाता भी नहीं खुला. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना था कि मायावती द्वारा आकाश आनंद पर की गई कार्रवाई का वोटरों में अच्छा संकेत नहीं गया था.

भाजपा की B टीम का लगा टैग

लोकसभा चुनाव में अपने भतीजे आकाश आनंद को बीएसपी मुखिया ने जोर-जोर से चुनाव मैदान में उतारा. चुनाव प्रचार में उनके भाषण लोगों को खूब आकर्षित कर रहे थे. युवा आकाश से जुड़ने लगे थे, क्योंकि आकाश युवाओं के मुद्दे लगातार उठा रहे थे, लेकिन उन्होंने जोश में एक ऐसा बयान दे दिया कि, उन्हें पद से तो हटाया ही गया प्रचार से भी किनारे कर दिया गया. इससे संदेश गया कि बीएसपी बीजेपी की बी टीम बनकर रह गई है. इसका उनको कोर वोटरों में गलत मैसेज गया और बीएसपी का अपना वोट बैंक भी छिटक गया.

कार्रवाई का नतीजों पर पड़ा असर

27 अप्रैल को आकाश आनंद पर एफआईआर हुई उसके बाद उनकी रैली पर रोक लग गई. नतीजों में साफ दिखा है कि, पहले तीन चरणों के लिए आकाश का जादू चला. आकाश आनंद ने तीन चरणों के चुनाव में लगभग 25 सीटों पर चुनाव प्रचार किया और उनके प्रचार के अंदाज से लोग काफी प्रभावित हुए. कोर वोटर को तो आकाश आनंद पार्टी के साथ रोकने में सफल ही रहे. आम जनता को भी बीएसपी की तरफ आकर्षित करने में कामयाब हुए. आकाश आनंद ने जिन सीटों पर रैलियां और जनसभाएं कीं और नतीजे सामने आए तो उन सीटों का वोट प्रतिशत भी अच्छा रहा है. डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटों पर 50 हजार से ज्यादा वोट और आधा दर्जन सीटों पर एक लाख से ज्यादा वोट पाने में प्रत्याशी सफल भी हुए.

लोकसभा चुनाव के नतीजे में आकाश के प्रचार के असर की बात की जाए तो इनमें से 19 सीटें (73%) ऐसी हैं जिन पर बसपा प्रत्याशियों को 50000 से ज्यादा वोट मिले हैं. छह सीटों (23%) पर प्रत्याशियों को एक लाख से ज्यादा वोट मिले हैं. बाद के चार चरणों में कुल सदस्य 64 सीटों पर चुनाव हुए इनमें से 25 (39%) सीटों पर 50000 से ज्यादा और 11 (17%) सीटों पर ही एक लाख से ज्यादा उम्मीदवारों को वोट मिले.

अब आकाश को फिर से नई जिम्मेदारी

अब मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को बसपा में फिर वही पद देते हुए जिम्मेदारी सौंपी है. उन्होंने आकाश आनंद को उत्तराखंड में होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी का स्टार प्रचारक नियुक्त किया है. बसपा की ओर से उत्तराखंड उपचुनाव के लिए जारी स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम दूसरे स्थान पर रखा गया है. पहले नंबर पर खुद मायावती का नाम है.

उत्तराखंड की दो सीटों पर 10 जुलाई को होना है उपचुनाव: उत्तराखंड में दो विधानसभा सीटों पर 10 जुलाई को उपचुनाव होना है. इसको लेकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने स्टार प्रचारक को की लिस्ट जारी की है.




ये भी पढे़ंः आकाश आनंद का डेढ़ महीने बाद वनवास खत्म; मायावती ने उपचुनाव के लिए बनाया स्टार प्रचार

ये भी पढ़ेंः तत्काल टिकट कैंसिल कराने पर कब ले सकते रिफंड? 5 तरीके

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा बैठक की. इस मौके पर सबसे पहले बसपा सुप्रीमो ने आकाश आनंद से अपनी नाराजगी दूर करते हुए उन्हें एक बार फिर से पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया. साथ ही अपना एकमात्र उत्तराधिकारी भी घोषित किया. इसके अलावा बैठक में मायावती ने माना कि इंडी गठबंधन के संविधान बचाओ नारे ने उनका कोर वोट बैंक भी उनसे छीन लिया. मायावती ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी आगामी सभी उप चुनाव लड़ेगी.

आकाश आक्रोशित हो गए और वरिष्ठों ने सुधारा नहीं

लखनऊ के बसपा कार्यालय में राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा बैठक में सबसे पहले आकाश आनंद ने मायावती के पैर छूए. जिस पर मायावती ने उनकी पीठ थपथपाई. इसके बाद मायावती ने ऐलान किया कि आकाश फिर से नेशनल कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करेंगे. मायावती के पदाधिकारियों के सामने कहा कि चुनाव के दौरान नेता आक्रोशित हो ही जाता है, लेकिन उसे संयम से काम लेना चाहिए. इसके अलावा वरिष्ठ नेताओं ने भी इस बात का ध्यान नहीं दिया कि आकाश मंच पर अधिक आक्रोशित हो जा रहे थे. अब वे नए जोश से पार्टी के लिए कार्य करेंगे.

उप चुनाव लड़ेगी बसपा, कांग्रेस को देना होगा करारा जवाब

मायावती ने समीक्षा बैठक में कहा कि संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में चुनाव में संविधान बचाओ जैसे अनेकों मुद्दों से पार्टी का नुकसान हुआ है. कहा कि कांग्रेस ने भारतीय संविधान सभा में डा. भीमराव अम्बेडकर को आने से रोकने के लिए अलग-अलग तरह हथकण्डे अपनाये थे, वह पार्टी अब संविधान को कैसे बचाने की बात कर सकती है? ऐसे में पदाधिकारियों को मायावती ने निर्देश दिए कि लोगों को इन्हीं बातों से अवगत कराएं और दलित वर्ग को अपने साथ जोड़ें. मायावती ने बैठक में कहा कि वर्तमान में केन्द्र की NDA सरकार पूरे तौर से स्थिर नहीं है. इनकी कभी भी अस्थिर होने की स्थिति बन सकती है. ऐसे में पार्टी के लोगों को पूरे देश में जनाधार को युद्धस्तर पर बढ़ाना है. वहीं मायावती ने बैठक में ऐलान किया कि बसपा यूपी में होने वाले 9 सीटों पर उप चुनाव लड़ेगी.

राज्यों के पदाधिकारियों के साथ करेंगी बैठक

समीक्षा बैठक के बाद मायावती सभी राज्यों के पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठक करेंगी. महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर व हरियाणा में अब विधान सभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इन राज्यों की टीम में मायावती व्यापक बदलाव कर सकती हैं ताकि विधानसभा चुनाव में पार्टी का बेहतर प्रदर्शन रहे. यदि ऐसा नहीं होता है तो बसपा राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खो सकती है.

22 सीटों पर उतारे मुस्लिम प्रत्याशी, सभी हारे

बता दें कि मायावती ने लोक सभा चुनाव के दौरान यूपी में 22 सीटों पर मुस्लिम कंडीडेट उतारे थे, बावजूद इसके बसपा को मुसलमानों का वोट नहीं मिला. इसको लेकर मायावती नतीजों के आने के बाद अपनी नाराजगी जाहिर कर चुकी है. ऐसे में माना जा रहा है कि आज की बैठक में मायावती मुस्लिम वोट बैंक को बसपा के साथ कैसे जोड़ा जाए इस पर चर्चा हो सकती है. इसके अलावा बसपा का कोर वोटबैंक भी छिटक कर समाजवादी पार्टी के साथ जाने पर भी मायावती पदाधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगी.

ऐसे गिरा बसपा का वोट प्रतिशत.
ऐसे गिरा बसपा का वोट प्रतिशत. (photo credit etv bharat)

चुनाव दर चुनाव खिसका बसपा का वोट प्रतिशत

चुनाव दर चुनाव बसपा का वोट प्रतिशत खिसकता ही गया. हैरत की बात है कि बहुजन समाज पार्टी ने साल 1989 में पहला चुनाव लड़ा था. तब पार्टी को दो सीटें मिली थीं और 9.90 % वोट खाते में आए थे. अब 2024 में स्थिति यह है कि लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुला है और वोट प्रतिशत भी गिरकर 9 % के करीब रह गया है. यूपी में 79 सीटों पर मैदान में उतरी बहुजन समाज पार्टी किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी.

लोकसभा चुनाव बसपा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य.
लोकसभा चुनाव बसपा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य. (photo credit etv bharat)

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी 10 साल पीछे चली गई. 2014 में बहुजन समाज पार्टी एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई थी. 2024 में भी पार्टी ने अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. पार्टी के देश भर में 483 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे जबकि उत्तर प्रदेश में 79 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन कहीं से भी नहीं जीती. 40 स्टार प्रचारकों में से कोई भी काम नहीं आया.

2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 19.77 फीसदी वोट हासिल हुए, जबकि 2019 में यह मत प्रतिशत गिरा और 19.42 फीसदी पर सिमट गया. अब अगर 2024 के चुनाव से तुलना करें तो 10 फीसदी वोट बसपा के कम हुए हैं.

इसी तरह 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा के खाते में सिर्फ 1 सीट आई. इस चुनाव में वोट प्रतिशत घटकर 12.88 फीसदी रहा.

8 सीटों पर नोटा से भी कम वोट मिले

इस बार के चुनाव की बात की जाए तो यूपी की 79 लोकसभा सीटों में से आठ ऐसी हैं जहां पर पार्टी प्रत्याशियों की जमानत तो जब्त हुई ही, नोटा से भी कम वोट हासिल कर पाए. इनमें से कानपुर से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े कुलदीप भदौरिया भी शामिल हैं. उन्हें सिर्फ 12032 वोट मिले. इनके अलावा मिर्जापुर, रॉबर्टसगंज, कैसरगंज, झांसी, बांदा, बहराइच, हमीरपुर और कौशांबी में भी पार्टी उम्मीदवारों की हालत खस्ता हुई.

कब होती है जमानत जब्त

लोकसभा सीट पर कुल मतदान के वध मत का एक बटे छे वोट पाने वाले कैंडिडेट की जमानत बच जाती है यह कुल मतदान का 16.6% हिस्सा होता है उदाहरण के तौर पर अगर किसी सीट पर एक लाख वोट पड़े हैं तो इसमें कैंडिडेट को 16.66 वोट मिलते हैं तभी उस उम्मीदवार की जमानत बच सकती है. जमानत जब्त होने पर उम्मीदवार की जमानत राशि जो 25,000 रुपये होती है, वह जब्त हो जाती है. चुनाव आयोग इस जमानत राशि को वापस नहीं करता है.

बसपा की हार का आकाश फैक्टर

वैसे तो बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद का राजनीति में डेढ़ महीने तक चला वनवास अब खत्म हो गया है, लेकिन इसका खामियाज लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी को भुगतना पड़ा है. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आकाश आनंद की बयानबाजी से नाराज होकर बसपा सुप्रीमो ने 7 मई को आकाश आनंद नेशनल कोऑर्डिनेटर समेत सभी पदों से हटाते हुए उन्हें पूरी तरह से साइलेंट कर दिया था.लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा का उत्तर प्रदेश में इस बार खाता भी नहीं खुला. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना था कि मायावती द्वारा आकाश आनंद पर की गई कार्रवाई का वोटरों में अच्छा संकेत नहीं गया था.

भाजपा की B टीम का लगा टैग

लोकसभा चुनाव में अपने भतीजे आकाश आनंद को बीएसपी मुखिया ने जोर-जोर से चुनाव मैदान में उतारा. चुनाव प्रचार में उनके भाषण लोगों को खूब आकर्षित कर रहे थे. युवा आकाश से जुड़ने लगे थे, क्योंकि आकाश युवाओं के मुद्दे लगातार उठा रहे थे, लेकिन उन्होंने जोश में एक ऐसा बयान दे दिया कि, उन्हें पद से तो हटाया ही गया प्रचार से भी किनारे कर दिया गया. इससे संदेश गया कि बीएसपी बीजेपी की बी टीम बनकर रह गई है. इसका उनको कोर वोटरों में गलत मैसेज गया और बीएसपी का अपना वोट बैंक भी छिटक गया.

कार्रवाई का नतीजों पर पड़ा असर

27 अप्रैल को आकाश आनंद पर एफआईआर हुई उसके बाद उनकी रैली पर रोक लग गई. नतीजों में साफ दिखा है कि, पहले तीन चरणों के लिए आकाश का जादू चला. आकाश आनंद ने तीन चरणों के चुनाव में लगभग 25 सीटों पर चुनाव प्रचार किया और उनके प्रचार के अंदाज से लोग काफी प्रभावित हुए. कोर वोटर को तो आकाश आनंद पार्टी के साथ रोकने में सफल ही रहे. आम जनता को भी बीएसपी की तरफ आकर्षित करने में कामयाब हुए. आकाश आनंद ने जिन सीटों पर रैलियां और जनसभाएं कीं और नतीजे सामने आए तो उन सीटों का वोट प्रतिशत भी अच्छा रहा है. डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटों पर 50 हजार से ज्यादा वोट और आधा दर्जन सीटों पर एक लाख से ज्यादा वोट पाने में प्रत्याशी सफल भी हुए.

लोकसभा चुनाव के नतीजे में आकाश के प्रचार के असर की बात की जाए तो इनमें से 19 सीटें (73%) ऐसी हैं जिन पर बसपा प्रत्याशियों को 50000 से ज्यादा वोट मिले हैं. छह सीटों (23%) पर प्रत्याशियों को एक लाख से ज्यादा वोट मिले हैं. बाद के चार चरणों में कुल सदस्य 64 सीटों पर चुनाव हुए इनमें से 25 (39%) सीटों पर 50000 से ज्यादा और 11 (17%) सीटों पर ही एक लाख से ज्यादा उम्मीदवारों को वोट मिले.

अब आकाश को फिर से नई जिम्मेदारी

अब मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को बसपा में फिर वही पद देते हुए जिम्मेदारी सौंपी है. उन्होंने आकाश आनंद को उत्तराखंड में होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी का स्टार प्रचारक नियुक्त किया है. बसपा की ओर से उत्तराखंड उपचुनाव के लिए जारी स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम दूसरे स्थान पर रखा गया है. पहले नंबर पर खुद मायावती का नाम है.

उत्तराखंड की दो सीटों पर 10 जुलाई को होना है उपचुनाव: उत्तराखंड में दो विधानसभा सीटों पर 10 जुलाई को उपचुनाव होना है. इसको लेकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने स्टार प्रचारक को की लिस्ट जारी की है.




ये भी पढे़ंः आकाश आनंद का डेढ़ महीने बाद वनवास खत्म; मायावती ने उपचुनाव के लिए बनाया स्टार प्रचार

ये भी पढ़ेंः तत्काल टिकट कैंसिल कराने पर कब ले सकते रिफंड? 5 तरीके

Last Updated : Jun 23, 2024, 5:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.