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राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने दी आंदोलन की चेतावनी, जानें क्या हैं मांगें - Restoration of old pension

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद (Restoration of Old Pension) ने पुरानी पेंशन मामले में मिली सहूलियत के बाद अब संविदा कर्मचारियों के मुद्दों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का मन बनाया है. इसी क्रम में 25 अक्टूबर को लखनऊ में धरना एवं प्रदर्शन किया जाएगा.

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का ऐलान.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का ऐलान. (Photo Credit-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 16, 2024, 10:27 PM IST

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने बनाई आंदोलन की रणनीति. देखें वरिष्ठ संवाददाता धीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट. (Video Credit-Etv Bharat)

लखनऊ : पुरानी पेंशन को 2005 तक विज्ञापित पदों पर नौकरी का मुद्दा बनाकर सरकार पर दबाव बनाने के बाद राज्य कर्मचारियों का जोश हाई है. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने पुरानी पेंशन बहाली को अपनी जीत बताते हुए अब संविदा कर्मचारियों को परमानेंट करने, वेतन विसंगति सहित कई मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन की रणनीति बनाई है.

संविदा कर्मचारियों की मांगें.
संविदा कर्मचारियों की मांगें. (Photo Credit-Etv Bharat)


दरअसल प्रदेश में एक लाख से अधिक संविदा कमर्चारी अलग अलग विभागों और निगम व अन्य सरकारी संस्थाओं में कार्यरत हैं. पिछले काफी समय से ये लोग विनियमितीकरण की मांग करते रहे हैं. इसके अलावा वेतन विसंगति से भी पांच से अधिक कमर्चारी अलग अलग विभागों के अफसरों से पीड़ित हैं. वेतन विसंगति दूर करने के वित्त विभाग व साथ ही मुख्य कार्यालय से प्रयास किए जाते हैं, लेकिन ज्यादातर विभागों में समस्या बनी रहती है. वित्तीय वर्ष के अंत से पहले ही कमर्चारी के देयकों को ठीक करने और वेतन विसंगति दूर करने की बात कही जाती है, लेकिन इस पर ठीक ढंग से काम नहीं हो पाता है. बाद में सेवानिवृत्त होने के अवसर पर भी कमर्चारियों को परेशान होना पड़ता है. इन्हीं सब समस्याओं को लेकर राज्य कमर्चारी संयुक्त परिषद ने सरकार पर दबाव बनाने की योजना बनाई है.


राज्य कमर्चारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने कहा है कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी प्रदेश में कार्यरत हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों का न्यूनतम मानदेय निर्धारित नहीं हो पा रहा है. मानदेय निर्धारण विगत दो वर्षों से सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग एवं श्रम एवं सेवायोजन विभाग की पत्रावलियों में धूल खा रहा है. सरकारी विभागों में सृजित पदों के तुलना में विज्ञापित पदों पर नियमानुसार गठित चयन समिति के माध्यम से चयनित संविदा शिक्षकों को सरकार नियमित नहीं कर रही है. 2001 के बाद मौजूदा सरकार अपने दो बार के कार्यकाल में संविदा, आउटसोर्स वर्क चार्ज दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण की कोई योजना नहीं ला पाई है. लैब टेक्नीशियन, विपणन निरीक्षक आपूर्ति निरीक्षक, सहित दर्जनों संवर्गों की वेतन विसंगतियों पर मुख्य सचिव समिति अभी तक फैसला नहीं कर पाई है.


जेएन तिवारी का कहना है कि सरकार कर्मचारियों की लगातार अनदेखी कर रही है. संविदाकर्मियों का शोषण चरम पर है. वार्षिक नवीनीकरण के नाम पर समाज कल्याण, जनजाति विकास विभाग, महिला बाल विकास विभाग में सैकड़ों कर्मचारी एवं शिक्षकों को निकाला जा चुका है. कर्मचारियों पर शोषण लगातार बढ़ रहा है. अब संघर्ष के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हम सरकार पर दबाव बनाने का काम करेंगे. अगर कमर्चारियों के हित में सरकार काम नहीं करेगी तो हम बाध्य होंगे. सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ 25 अक्टूबर को लखनऊ में धरना एवं प्रदर्शन का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है.

यह भी पढ़ें : खुशखबरी! पुरानी पेंशन स्कीम का दायरा बढ़ा; 50 हजार कर्मचारियों को होगा फायदा - Pension Scheme

यह भी पढ़ें : पुरानी पेंशन व्यवस्था को वापस लाने की चल रही तैयारी, जानें क्या हैं फायदे - Old Pension Scheme

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने बनाई आंदोलन की रणनीति. देखें वरिष्ठ संवाददाता धीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट. (Video Credit-Etv Bharat)

लखनऊ : पुरानी पेंशन को 2005 तक विज्ञापित पदों पर नौकरी का मुद्दा बनाकर सरकार पर दबाव बनाने के बाद राज्य कर्मचारियों का जोश हाई है. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने पुरानी पेंशन बहाली को अपनी जीत बताते हुए अब संविदा कर्मचारियों को परमानेंट करने, वेतन विसंगति सहित कई मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन की रणनीति बनाई है.

संविदा कर्मचारियों की मांगें.
संविदा कर्मचारियों की मांगें. (Photo Credit-Etv Bharat)


दरअसल प्रदेश में एक लाख से अधिक संविदा कमर्चारी अलग अलग विभागों और निगम व अन्य सरकारी संस्थाओं में कार्यरत हैं. पिछले काफी समय से ये लोग विनियमितीकरण की मांग करते रहे हैं. इसके अलावा वेतन विसंगति से भी पांच से अधिक कमर्चारी अलग अलग विभागों के अफसरों से पीड़ित हैं. वेतन विसंगति दूर करने के वित्त विभाग व साथ ही मुख्य कार्यालय से प्रयास किए जाते हैं, लेकिन ज्यादातर विभागों में समस्या बनी रहती है. वित्तीय वर्ष के अंत से पहले ही कमर्चारी के देयकों को ठीक करने और वेतन विसंगति दूर करने की बात कही जाती है, लेकिन इस पर ठीक ढंग से काम नहीं हो पाता है. बाद में सेवानिवृत्त होने के अवसर पर भी कमर्चारियों को परेशान होना पड़ता है. इन्हीं सब समस्याओं को लेकर राज्य कमर्चारी संयुक्त परिषद ने सरकार पर दबाव बनाने की योजना बनाई है.


राज्य कमर्चारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने कहा है कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी प्रदेश में कार्यरत हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों का न्यूनतम मानदेय निर्धारित नहीं हो पा रहा है. मानदेय निर्धारण विगत दो वर्षों से सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग एवं श्रम एवं सेवायोजन विभाग की पत्रावलियों में धूल खा रहा है. सरकारी विभागों में सृजित पदों के तुलना में विज्ञापित पदों पर नियमानुसार गठित चयन समिति के माध्यम से चयनित संविदा शिक्षकों को सरकार नियमित नहीं कर रही है. 2001 के बाद मौजूदा सरकार अपने दो बार के कार्यकाल में संविदा, आउटसोर्स वर्क चार्ज दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण की कोई योजना नहीं ला पाई है. लैब टेक्नीशियन, विपणन निरीक्षक आपूर्ति निरीक्षक, सहित दर्जनों संवर्गों की वेतन विसंगतियों पर मुख्य सचिव समिति अभी तक फैसला नहीं कर पाई है.


जेएन तिवारी का कहना है कि सरकार कर्मचारियों की लगातार अनदेखी कर रही है. संविदाकर्मियों का शोषण चरम पर है. वार्षिक नवीनीकरण के नाम पर समाज कल्याण, जनजाति विकास विभाग, महिला बाल विकास विभाग में सैकड़ों कर्मचारी एवं शिक्षकों को निकाला जा चुका है. कर्मचारियों पर शोषण लगातार बढ़ रहा है. अब संघर्ष के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हम सरकार पर दबाव बनाने का काम करेंगे. अगर कमर्चारियों के हित में सरकार काम नहीं करेगी तो हम बाध्य होंगे. सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ 25 अक्टूबर को लखनऊ में धरना एवं प्रदर्शन का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है.

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