पटनाः आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर तेजस्वी यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की जाएगी. शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, अब्बदुल बारी सिद्धीकी सहित अन्य नेता शामिल हुए. तेजस्वी यादव ने कहा कि राज्यसभा में सांसद मनोज झा ने आरक्षण को 9वीं अनुसूची में डालने को लेकर प्रश्न पूछा था लेकिन बीजेपी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया था.
बीजेपी ने रोकने का किया कामः तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन की सरकार ने देश में पहली बार किसी राज्य में जाति आधारित गणना करवाई और 65% आरक्षण व्यवस्था लागू की लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लोग अपने आदमियों से कोर्ट में खड़ा कराकर इसे रोकने करने का प्रयास किया.
"आरक्षण की सीमा 65% बढ़ाने को लेकर उन लोगों ने केंद्र सरकार से अपील की थी इसे 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए. तमिलनाडु की तर्ज पर इसे भी 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए. ताकि इसके साथ कोई छेड़छाड़ ना कर सके. आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अर्जी दाखिल किया जाएगा." -तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा
'आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए': तेजस्वी यादव ने कहा कि हमलोगों को पहले से ही लग रहा था कि केंद्र की सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देना चाहती. आरक्षण व्यवस्था को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की थी लेकिन केंद्र सरकार नहीं चाहती थी. अभी आरक्षण व्यवस्था को लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है. केंद्र और राज्य में अभी एनडीए की सरकार है. यह नहीं चाहते हैं कि बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई थी उसे 9वीं अनुसूची में शामिल की जाए.
'एक दूसरे पर थोप रही जिम्मेदारी' केंद्र सरकार कहती है कि इसका अधिकार राज्य सरकार को है. जबकि हकीकत है कि आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है. तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया. इसको लेकर चर्चा नहीं की गयी. इसको लेकर कितने आंदोलन हुए अब केंद्र की सरकार खुलकर बोल रही है की विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे सकते.
'अध्यादेश लाकर संवैधानिक दर्जा मिले': तेजस्वी यादव ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने आरक्षण व्यवस्था इसीलिए लागू की थी कि जिन लोगों के साथ अभी तक भेदभाव हो रहा था उसको खत्म किया जाए. इसलिए संविधान में कहीं भी आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात नहीं कही गई.
'सरकार के पास आंकड़ा मौजूद': बिहार में किसके पास कितनी संपत्ति है कौन जमींदार है? सभी आंकड़ा बिहार सरकार के पास है. दलितों को अभी भी मंदिर में नहीं जाने दिया जा रहा है. जीतन राम मांझी भी मंदिर गए थे तो मंदिर को धोया गया. केंद्र सरकार से उनकी मांग है कि इस मामले में अध्यादेश लाकर इसे संवैधानिक दर्जा दिया जाए.