जयपुर: सांगानेर स्थित देश की पहली ओपन जेल की जमीन पर हॉस्पिटल बनाए जाने के मामले में कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किए रजिस्ट्रार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. कमिश्नर की रिपोर्ट में मुख्य तौर पर कैदियों के कल्याण व सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की जरूरतों पर जोर दिया है. इसके अलावा जेल की मौजूदा संरचनाओं को परिसर के भीतर वैकल्पिक क्षेत्रों में स्थानांतरित करने की भी सिफारिश की गई है, ताकि 300 बैड्स के सेटेलाइट हॉस्पिटल का निर्माण जेल की कार्यक्षमता से समझौता किए बिना ही किया जा सके. कमिश्नर की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट आगामी सुनवाई पर विचार करेगा.
रिपोर्ट के साथ नक्शा पेश कर कहा कि लाल चिह्नित क्षेत्र में स्थित मौजूदा कैदी सुविधाओं को नीले और हरे चिह्नित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जा सकता है, जिससे कि जेल की संचालन प्रक्रिया सुचारू तौर पर जारी रह सके. इस स्थानांतरण योजना से कैदियों के लिए बेहतर आवास व सामुदायिक जगह बनाई जा सकेगी और इससे उनके जीवन को भी सुधारा जा सकेगा. इस दौरान स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के साथ ही कैदियों के कल्याण व अधिकारों से किसी तरह का कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ओपन जेल परिसर में सेटेलाइट हॉस्पिटल बनाए जाने को चुनौती देने पर पिछली सुनवाई को रजिस्ट्रार को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर मौका मुआयना रिपोर्ट देने के लिए कहा था. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व राज्य के एएजी शिवमंगल शर्मा पैरवी कर रहे हैं. एएजी शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से जेल के लिए 17,800 वर्ग मीटर क्षेत्र को बनाए रखने और कैदियों को स्थानांतरित करने के लिए 14,940 वर्ग मीटर क्षेत्र का प्रस्ताव दिया है. जबकि 22,232.33 वर्ग मीटर क्षेत्र को हॉस्पिटल बनाने के लिए रिजर्व किया है. राज्य सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया है कि जब तक कैदियों का स्थानांतरण पूरा नहीं हो जाता, तब तक मौजूदा संरचनाओं को नहीं तोड़ा जाएगा.