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दिल्ली ZOO की 65 साल पुरानी लाइब्रेरी को मिल रहा नया स्वरूप, किताबें भी हो रही डिजिटल, जानिए और क्या हो रहे बदलाव - DIGITAL BOOKS IN DELHI ZOO LIBRARY

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 8, 2024, 2:35 PM IST

DELHI ZOO LIBRARY: आप दिल्ली ZOO की लाइब्रेरी में वन्य जीवों पर की गई रिसर्च और किताबें पढ़ सकते हैं. यहां आपको आजादी से पहले 1950 की भी किताबें मिल जाएंगी. इन किताबों का डिजिटलिकरण किया जा रहा है ताकि ये खराब ना हो और ज्यादा से ज्यादा रीडर्स यहां इस लाइब्रेरी का लाभ ले सके.

दिल्ली ZOO की लाइब्रेरी हो रही है डिजिटल
दिल्ली ZOO की लाइब्रेरी हो रही है डिजिटल (SOURCE: ETV BHARAT)

नई दिल्ली: नेशनल जूलॉजिकल पार्क में 1959 में बनी एक लाइब्रेरी है. इसमें वनस्पति विज्ञान और जीव विज्ञान से संबंधित करीब 100 साल से भी अधिक पुरानी किताबें रखी हैं जो अलग-अलग रिसर्च पर आधारित हैं. ये किताबें समय के साथ खराब न हो जाएं इसके लिए इनका डिजिटल प्रारूप तैयार किया जाएगा. इससे सदियों तक इस रिसर्च को लोग पढ़ सकेंगे. लाइब्रेरी के रिनोवेशन का काम चल रहा है. 15 अगस्त से लाइब्रेरी एक नए स्वरूप में शुरू की जाएगी.

दिल्ली ZOO की 65 साल पुरानी लाइब्रेरी को मिलेगा नया स्वरूप (SOURCE: ETV BHARAT)

वर्ष 1952 में मथुरा रोड स्थित पुराने किले के पास दिल्ली जू का निर्माण कार्य शुरु हुआ. दिल्ली जू को चिड़ियाघर भी कहते हैं इस चिड़ियाघर का डिजाइन जर्मनी के कार्ल हेगनबेक और श्रीलंका के मेजर वाइनमेन ने बनाया था. 1 नवंबर सन 1959 में दिल्ली जू बनकर तैयार हुआ और तत्कालीन एग्रीकल्चर मिनिस्टर पंजाब राव देशमुख ने दिल्ली ZOO का उद्घाटन किया था. इस जू के निर्माण के साथ एक लाइब्रेरी का भी निर्माण किया गया था. इस लाइब्रेरी में वन्यजीवों आर आधारित किताबें संरक्षित की गई. लाइब्रेरी में 100 साल से अधिक पुरानी किताबें हैं. जिनमें कई तरह की रिसर्च मौजूद है. दिल्ली ज़ू के अधिकारियों के मुताबिक इतनी पुरानी किताबें और शोध किसी लाइब्रेरी या प्रकाशक के पास मौजूद नहीं हैं. वन्यजीव पर रिसर्च करने वाले इस लाइब्रेरी में अध्ययन के लिए आते हैं. यहां पर जाकर कोई भी पढ़ाई कर सकता है, लेकिन उस व्यक्ति को दिल्ली ज़ू का टिकट लेकर प्रवेश करना होगा. इसके बाद डायरेक्टर ऑफिस में संपर्क करना पड़ेगा.

  • 1959 से दिल्ली ज़ू में बनी है लाइब्रेरी, वन्यजीव पर आधारित पुस्तकें संरक्षित की गई हैं.
  • 500 से अधिक किताबें हैं, जो दुकानों पर नहीं मिल सकती हैं. शोधकर्ता इन्हें पढ़ने आते हैं.
  • 18000 पर्यटक 1 दिन में दिल्ली ज़ू घूमने के लिए ऑनलाइन टिकट खरीद सकते हैं.
  • 15 अगस्त से दिल्ली ज़ू में नए स्वरूप में खुलेगी लाइब्रेरी, डिजिटल होंगी किताबें.
  • लाइब्रेरी में वन्यजीव, पर्यावरण, रूल बुक्स समेत अन्य बुक्स संरक्षित की गई हैं.
  • आजादी के पहले की शोध आधारित प्रकाशित किताबें भी लाइब्रेरी में संरक्षित हैं

किताबों की डिजिटल कॉपी भी होगी तैयार
दिल्ली ज़ू के डायरेक्टर डॉ. संजीत कुमार ने बताया कि ज़ू की लाइब्रेरी में 500 से अधिक किताबें हैं. जो बहुत पुरानी हो गई हैं. समय के साथ ये खराब हो सकती हैं. ऐसे में सभी पुरानी किताबों को स्कैन कर उनका डिजिटल प्रारूप तैयार किया जाएगा. जिन्हें लाइब्रेरी के कम्प्यूटर में संरक्षित किया जाएगा. जिससे लोग आने वाले समय मे सदियों तक इन शोध और पुस्तकों को पढ़ सकेंगे.

15 अगस्त से नए स्वरूप में शुरू होगी लाइब्रेरी
दिल्ली ज़ू के डायरेक्टर डॉ. संजीत कुमार ने बताया कि ज़ू में जो पहले लाइब्रेरी बनी थी. वह बहुत पुरानी हो गई थी. लाइब्रेरी के रेनोवेशन का काम चल रहा है. आगामी 15 अगस्त को दिल्ली ज़ू की लाइब्रेरी को नए स्वरूप में शुरू किया जाएगा. इसके लिए तेजी से काम हो रहा है. डॉ. संजीत कुमार ने कहा कि हमारा उद्देश्य ये है कि जो लोग ZOO घूमने के लिए आ रहे हैं. उन्हें कैसे बेहतर सुविधाएं दें और शिक्षा के जरिये उन्हें वन्यजीव और पर्यावरण से जोड़ें. इसके लिए तमाम प्रयास किये जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- दिल्ली जू में जानवरों व पक्षियों को देखने के साथ पेड़ पौधों के बारे में भी जान सकेंगे पर्यटक, जानें क्या है योजना

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नई दिल्ली: नेशनल जूलॉजिकल पार्क में 1959 में बनी एक लाइब्रेरी है. इसमें वनस्पति विज्ञान और जीव विज्ञान से संबंधित करीब 100 साल से भी अधिक पुरानी किताबें रखी हैं जो अलग-अलग रिसर्च पर आधारित हैं. ये किताबें समय के साथ खराब न हो जाएं इसके लिए इनका डिजिटल प्रारूप तैयार किया जाएगा. इससे सदियों तक इस रिसर्च को लोग पढ़ सकेंगे. लाइब्रेरी के रिनोवेशन का काम चल रहा है. 15 अगस्त से लाइब्रेरी एक नए स्वरूप में शुरू की जाएगी.

दिल्ली ZOO की 65 साल पुरानी लाइब्रेरी को मिलेगा नया स्वरूप (SOURCE: ETV BHARAT)

वर्ष 1952 में मथुरा रोड स्थित पुराने किले के पास दिल्ली जू का निर्माण कार्य शुरु हुआ. दिल्ली जू को चिड़ियाघर भी कहते हैं इस चिड़ियाघर का डिजाइन जर्मनी के कार्ल हेगनबेक और श्रीलंका के मेजर वाइनमेन ने बनाया था. 1 नवंबर सन 1959 में दिल्ली जू बनकर तैयार हुआ और तत्कालीन एग्रीकल्चर मिनिस्टर पंजाब राव देशमुख ने दिल्ली ZOO का उद्घाटन किया था. इस जू के निर्माण के साथ एक लाइब्रेरी का भी निर्माण किया गया था. इस लाइब्रेरी में वन्यजीवों आर आधारित किताबें संरक्षित की गई. लाइब्रेरी में 100 साल से अधिक पुरानी किताबें हैं. जिनमें कई तरह की रिसर्च मौजूद है. दिल्ली ज़ू के अधिकारियों के मुताबिक इतनी पुरानी किताबें और शोध किसी लाइब्रेरी या प्रकाशक के पास मौजूद नहीं हैं. वन्यजीव पर रिसर्च करने वाले इस लाइब्रेरी में अध्ययन के लिए आते हैं. यहां पर जाकर कोई भी पढ़ाई कर सकता है, लेकिन उस व्यक्ति को दिल्ली ज़ू का टिकट लेकर प्रवेश करना होगा. इसके बाद डायरेक्टर ऑफिस में संपर्क करना पड़ेगा.

  • 1959 से दिल्ली ज़ू में बनी है लाइब्रेरी, वन्यजीव पर आधारित पुस्तकें संरक्षित की गई हैं.
  • 500 से अधिक किताबें हैं, जो दुकानों पर नहीं मिल सकती हैं. शोधकर्ता इन्हें पढ़ने आते हैं.
  • 18000 पर्यटक 1 दिन में दिल्ली ज़ू घूमने के लिए ऑनलाइन टिकट खरीद सकते हैं.
  • 15 अगस्त से दिल्ली ज़ू में नए स्वरूप में खुलेगी लाइब्रेरी, डिजिटल होंगी किताबें.
  • लाइब्रेरी में वन्यजीव, पर्यावरण, रूल बुक्स समेत अन्य बुक्स संरक्षित की गई हैं.
  • आजादी के पहले की शोध आधारित प्रकाशित किताबें भी लाइब्रेरी में संरक्षित हैं

किताबों की डिजिटल कॉपी भी होगी तैयार
दिल्ली ज़ू के डायरेक्टर डॉ. संजीत कुमार ने बताया कि ज़ू की लाइब्रेरी में 500 से अधिक किताबें हैं. जो बहुत पुरानी हो गई हैं. समय के साथ ये खराब हो सकती हैं. ऐसे में सभी पुरानी किताबों को स्कैन कर उनका डिजिटल प्रारूप तैयार किया जाएगा. जिन्हें लाइब्रेरी के कम्प्यूटर में संरक्षित किया जाएगा. जिससे लोग आने वाले समय मे सदियों तक इन शोध और पुस्तकों को पढ़ सकेंगे.

15 अगस्त से नए स्वरूप में शुरू होगी लाइब्रेरी
दिल्ली ज़ू के डायरेक्टर डॉ. संजीत कुमार ने बताया कि ज़ू में जो पहले लाइब्रेरी बनी थी. वह बहुत पुरानी हो गई थी. लाइब्रेरी के रेनोवेशन का काम चल रहा है. आगामी 15 अगस्त को दिल्ली ज़ू की लाइब्रेरी को नए स्वरूप में शुरू किया जाएगा. इसके लिए तेजी से काम हो रहा है. डॉ. संजीत कुमार ने कहा कि हमारा उद्देश्य ये है कि जो लोग ZOO घूमने के लिए आ रहे हैं. उन्हें कैसे बेहतर सुविधाएं दें और शिक्षा के जरिये उन्हें वन्यजीव और पर्यावरण से जोड़ें. इसके लिए तमाम प्रयास किये जा रहे हैं.

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