ETV Bharat / state

पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव को हाईकोर्ट से राहत, रेप के मामले में गिरफ्तारी पर लगाया रोक, जांच अधिकारी को नोटिस जारी कर मांगा जवाब - Allahabad High Court

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 2, 2024, 11:09 PM IST

घटना के समय विधानसभा में मौजूद विधायक पर रेप का आरोप कैसे, पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव पर दर्ज़ मुक़दमे को लेकर हाई कोर्ट ने उठाया सवाल

हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक की गिरफ्तारी पर लगाई रोक
हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक की गिरफ्तारी पर लगाई रोक (PHOTO credits ETV Bharat)

प्रयागराज: घटना के दिन और समय पर विधानसभा की कार्रवाई में भाग ले रहे पूर्व विधायक पर दुष्कर्म का केस दर्ज किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है. पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव के खिलाफ एटा कोतवाली थाने में दर्ज मुकदमें को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने विवेचक को यह बताने के लिए कहा है कि, उन्होंने यह कैसे तय किया कि अभियुक्त घटना के समय एटा में मौजूद था. प्रमोद यादव और दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने दिया है.

बता दें कि, याचिकाकर्ता प्रमोद यादव और अन्य इस मामले में सह अभियुक्त है. जबकि रामेश्वर यादव और उनके भाई जुगेन्द्र यादव को मुख्य आयुक्त बनाया गया है. याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि, इस मामले में पीड़िता को सुनियोजित तरीके से प्लांट की गई है. कुछ लोग जिनकी रामेश्वर सिंह यादव और उनके भाई से रंजिश है. उन्होंने झूठे साक्ष्य इकट्ठा करके दुष्कर्म और पॉस्को एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है.

अभियुक्तों पर 29 जनवरी 2016 को हुई घटना की प्राथमिक 7 नवंबर 2023 को 7 साल 10 महीने की देरी से दर्ज कराई गई. कहा गया कि, जिस दिन की घटना बताई जा रही है. मुख्य अभियुक्त रामेश्वर सिंह यादव उस समय समाजवादी पार्टी के विधायक थे और विधानसभा की कार्रवाई में 29 जनवरी 2016 को उपस्थित थे. रामेश्वर सिंह यादव के लिए यह संभव नहीं है कि, घटना को अंजाम देने के बाद उसी दिन एटा से 370 किलोमीटर दूर लखनऊ में विधानसभा की कार्रवाई में भी उपस्थित हों.

साक्ष्य के तौर पर कोर्ट के समक्ष घटना वाले दिन का विधानसभा का अटेंडेंस रजिस्टर प्रस्तुत किया गया. जिसे देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट है कि घटना वाले दिन विधानसभा सुबह 9:30 बजे शुरू हुई और घटना उसी दिन सुबह 9:30 बजे की एटा की बताई जा रही है. इन हालात में अदालत जानना चाहती है कि, जांच अधिकारी ने किस आधार पर अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. कोर्ट ने विवेचक को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि, उन्होंने कैसे तय किया कि रामेश्वर सिंह यादव उस दिन एटा में ही थे. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट का आदेश- परीक्षाओं में नकल से व्यक्ति ही नहीं पूरे समाज का नुकसान, यूपी कांस्टेबल भर्ती में नकल के आरोपी की जमानत खारिज

प्रयागराज: घटना के दिन और समय पर विधानसभा की कार्रवाई में भाग ले रहे पूर्व विधायक पर दुष्कर्म का केस दर्ज किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है. पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव के खिलाफ एटा कोतवाली थाने में दर्ज मुकदमें को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने विवेचक को यह बताने के लिए कहा है कि, उन्होंने यह कैसे तय किया कि अभियुक्त घटना के समय एटा में मौजूद था. प्रमोद यादव और दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने दिया है.

बता दें कि, याचिकाकर्ता प्रमोद यादव और अन्य इस मामले में सह अभियुक्त है. जबकि रामेश्वर यादव और उनके भाई जुगेन्द्र यादव को मुख्य आयुक्त बनाया गया है. याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि, इस मामले में पीड़िता को सुनियोजित तरीके से प्लांट की गई है. कुछ लोग जिनकी रामेश्वर सिंह यादव और उनके भाई से रंजिश है. उन्होंने झूठे साक्ष्य इकट्ठा करके दुष्कर्म और पॉस्को एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है.

अभियुक्तों पर 29 जनवरी 2016 को हुई घटना की प्राथमिक 7 नवंबर 2023 को 7 साल 10 महीने की देरी से दर्ज कराई गई. कहा गया कि, जिस दिन की घटना बताई जा रही है. मुख्य अभियुक्त रामेश्वर सिंह यादव उस समय समाजवादी पार्टी के विधायक थे और विधानसभा की कार्रवाई में 29 जनवरी 2016 को उपस्थित थे. रामेश्वर सिंह यादव के लिए यह संभव नहीं है कि, घटना को अंजाम देने के बाद उसी दिन एटा से 370 किलोमीटर दूर लखनऊ में विधानसभा की कार्रवाई में भी उपस्थित हों.

साक्ष्य के तौर पर कोर्ट के समक्ष घटना वाले दिन का विधानसभा का अटेंडेंस रजिस्टर प्रस्तुत किया गया. जिसे देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट है कि घटना वाले दिन विधानसभा सुबह 9:30 बजे शुरू हुई और घटना उसी दिन सुबह 9:30 बजे की एटा की बताई जा रही है. इन हालात में अदालत जानना चाहती है कि, जांच अधिकारी ने किस आधार पर अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. कोर्ट ने विवेचक को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि, उन्होंने कैसे तय किया कि रामेश्वर सिंह यादव उस दिन एटा में ही थे. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट का आदेश- परीक्षाओं में नकल से व्यक्ति ही नहीं पूरे समाज का नुकसान, यूपी कांस्टेबल भर्ती में नकल के आरोपी की जमानत खारिज

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.