शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ी व्यवस्था दी है. अदालत ने अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के अधिकार को लेकर ये महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है. हाई कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने व्यवस्था देते हुए कहा है कि अवैध संबंधों अथवा अमान्य वैवाहिक संबंधों से पैदा हुए बच्चों का पंजीकरण करने से इंकार करना गैरकानूनी है. कोर्ट ने नाबालिग बच्चों की ओर से दायर याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जीवित प्राणी हैं.
इस तथ्य को कानून में स्वीकार किया जाना चाहिए इसलिए उनके नाम संबंधित पंचायत के रिकॉर्ड में दर्ज किए जाने चाहिए. न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं के नाम पंचायत रिकॉर्ड में दर्ज करना हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-16 के प्रावधानों के अनुरूप होगा.
इसमें देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून को ध्यान में रखा गया है. कोर्ट ने प्रतिवादियों की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि याचिकाकर्ताओं के माता-पिता के बीच विवाह विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4(ए) के प्रावधानों के मद्देनजर पंजीकृत नहीं किया जा सकता है और इस आधार पर याचिकाकर्ताओं के नाम पंचायत रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किए जा सकते हैं, स्पष्ट रूप से गलत धारणा है साथ ही ये हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16(1) के महत्व का उल्लंघन करता है.
मामले के अनुसार तीन नाबालिग बच्चों, जिनकी उम्र क्रमशः 12, 9 और 5 वर्ष है, ने अपनी मातृ-प्राकृतिक अभिभावक के माध्यम से याचिका दायर कर प्रतिवादियों को पंचायत रिकॉर्ड यानी जन्म रजिस्टर और परिवार रजिस्टर में उनके नाम दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी. उनकी याचिका को मंजूर करते हुए हाई कोर्ट ने उपरोक्त अहम व्यवस्था दी है.
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