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KIMS फाउंडेशन ने डेवलप किया AI-संचालित चश्मा, बदल जाएगी दिव्यांगों की जिंदगी, जानें क्या हैं फीचर्स ?

KIMS फाउंडेशन ने दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए AI-संचालित स्मार्ट चश्मा विकसित किया है, जिसमें फेस रिकॉग्निशन और नेविगेशन असिस्टेंट जैसे फीचर्स मौजूद हैं.

KIMS फाउंडेशन के बनाए AI ग्लासेस की मदद से पढ़ती हुई एक दृष्टिबाधित महिला
KIMS फाउंडेशन के बनाए AI ग्लासेस की मदद से पढ़ती हुई एक दृष्टिबाधित महिला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 22, 2024, 4:45 PM IST

Updated : Nov 22, 2024, 5:08 PM IST

हैदराबाद: ऐसे दौर में जब टेक्नोलॉजी लगातार संभावनाओं की सीमाओं को नए सिरे से परिभाषित कर रही है, AI-पावर्ड स्मार्ट चश्मे दृष्टिहीन लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आ रहे हैं. KIMS फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर (KFRC) द्वारा विकसित ये इनोवेटिव चश्मा भारत में लगभग दो करोड़ दृष्टिहीन लोगों के जीवन को बदलने के लिए तैयार है.

तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने सिकंदराबाद में एक वितरण कार्यक्रम में इस चश्मे का अनावरण किया. इस दौरान उन्होंने कहा, "ये AI-संचालित स्मार्ट चश्मा दृष्टिहीन व्यक्तियों के जीवन में नई रोशनी लाएंगे और उन्हें एक उज्जवल भविष्य की उम्मीद देंगे."

दृष्टिबाधित व्यक्तियों के जीवन में बदलाव
KIMS अस्पताल के CMD डॉ बोलिनेनी भास्कर राव के नेतृत्व में विकसित AI-संचालित चश्मे का उद्देश्य दृष्टिबाधित व्यक्तियों की स्वतंत्रता और गतिशीलता को बढ़ाना है. चश्मे में कई क्रांतिकारी फीचर्स हैं, जो दृष्टिबाधित लोगों को अपनी आस-पास की दुनिया में नेविगेट करने के तरीके को बदल सकते हैं.

वितरण कार्यक्रम के दौरान डॉ राव ने इस बात पर भी जोर दिया कि ये चश्मे नेत्रहीन व्यक्तियों के आत्मविश्वास को काफी बढ़ाएंगे, जिससे वे आसानी और गरिमा के साथ अपने रोजमर्रा के काम आराम से कर सकेंगे. उन्होंने कहा, "इन चश्मों में यूज की गई टेक्नोलॉजी जिदंगी को बेहतर बनाने और नेत्रहीन समुदाय को अधिक स्वतंत्रता प्रदान करने में मदद करेगी."

शुरुआती चरण में यह चश्मे 100 लोगों को निशुल्क दिए गए. जिन लोगों को चश्मे मिले उन्हें इनके इस्तेमाल के लिए ट्रेनिंग भी दी गई. इस ट्रेनिंग को इस तरह से डि़जाइन किया गया था कि यूजर्स पूरी तरह से समझ सकें कि चश्मे का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल कैसे किया जाए और उन्हें अपनी रोजमर्रा में कैसे शामिल किया जाए.

स्मार्ट ग्लास के फीचर्स
AI-संचालित ग्लास में दृष्टिबाधित लोगों की सहायता के लिए कई फीचर्स शामिल किए गए हैं. इन फीचर्स में सबसे अहम फेस रिकग्निशन है. इन चश्मों की एक खासियत यह है कि ये 400 चेहरों तक को स्टोर कर सकते हैं. इससे यूजर्स अपने परिवार, दोस्तों और परिचितों को नाम से पहचान सकते हैं. इससे उनका सोशल इंटरैक्शन बढ़ता है और दूसरों पर निर्भरता कम होती है.

नेविगेशन असिस्टेंट
चश्मे में नेविगेशन कैपेबलिटीज भी हैं, जो यूजर्स को घर, ऑफिस या कॉलेज जैसे पहले से सटोर लोकेशन की पहचान करने और उन तक एक्सेस में मदद करती हैं. इसके अलावा चश्मा रियल टाइम की ऑब्सटिकल अलर्ट प्रदान करता है, जो सुरक्षित रूप से घूमने के लिए ज्यादा कॉम्प्रेहेन्सिव सॉल्यूशन प्रदान करता है.

KIMS फाउंडेशन के AI ग्लास छात्रों को वितरित किए गए
KIMS फाउंडेशन के AI ग्लास छात्रों को वितरित किए गए (ETV Bharat)

टेक्स्ट-टू-स्पीच फंक्शनलिटी
चश्मे में एक बिल्ट इन रीडिंग एड दिया गया है जो टेक्स्ट को तेज आवाज में पढ़ सकता है. चाहे वह किताबें हों, संकेत हों या दस्तावेज, टेक्स्ट-टू-स्पीच फीचर यूजर्स को आसानी से प्रिंटिड मैटेरियस के साथ जुड़ने की अनुमति देता है.

हल्का और आरामदायक
केवल 45 ग्राम वजन वाले ये चश्मे काफी हल्के और आरामदायक हैं. ये बिना किसी परेशानी के लंबे समय तक पहने जा सकते हैं. यह उन यूजर्स के लिए बेहतर है, जो पूरे दिन चश्मा लगाते हैं.

कितनी है कीमत?
इन एआई-संचालित चश्मों की कीमत लगभग 10000 रुपये प्रति यूनिट है. हालांकि, वितरण के पहले चरण में इन्हें दृष्टिबाधित छात्रों और जरूरतमंद व्यक्तियों को मुफ़्त में उपलब्ध कराया जा रहा है. केएफआरसी के अध्यक्ष और डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक डॉ वी भुजंगा राव ने बताया कि उनका लक्ष्य चश्मों को व्यापक रूप से उपलब्ध कराना है.

डॉ राव ने कहा, "हालांकि, प्रारंभिक वितरण का ध्यान दृष्टिहीन छात्रों पर केंद्रित है, लेकिन हम यूजर्स के फीडबैक के आधार पर इसका विस्तार करने की योजना बना रहे हैं, ताकि टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट के साथ-साथ इसे अधिक किफायती और सुलभ बनाया जा सके."

स्मार्ट ग्लास कैसे काम करते हैं?
स्मार्ट ग्लास काम करने के लिए कंप्यूटर विजन और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल करते हैं. ये USB-रिचार्जेबल बैटरी द्वारा संचालित होते हैं. ये एककंपेनियन ऐप के साथ आते हैं जो यूजर्स को एड्रेस, फेस और रूट्स जैसी आवश्यक जानकारी स्टोर करने की अनुमति देता है. यह ऐप यूजर्स को इन सुविधाओं तक सहजता से पहुंचने में मदद करता है, जिससे उनकी स्वतंत्र रूप से जीने की क्षमता में और सुधार होता है.

जैसे-जैसे इन चश्मों की तकनीक विकसित होती जाएगी, उम्मीद है कि वे और अधिक बेहतर होते जाएंगे. साथ ही ये संभावित रूप से कम कीमत पर और भी अधिक एडवांस फीचर्स के साथ आएंगे.

उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास
इन चश्मों का विकास KFRC, अचला हेल्थ सर्विसेज और अचला सॉल्यूशंस के सीईओ राजेश राजू के बीच हुए कॉलोब्रेशन से किया गया था. राजेश राजू ने यूजर्स से निरंतर सुधार सुनिश्चित करने के लिए कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर किसी भी तकनीकी समस्या की रिपोर्ट करने का आग्रह किया है.

राजू ने कहा, "इस परियोजना को जीवन में लाने में सहयोग आवश्यक रहा है और हमें उम्मीद है कि यह इनोवेशन दृष्टिहीन लोगों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा."

यह भी पढ़ें- रामोजी फाउंडेशन ने ISB को दान किए 30 करोड़ रुपये, ऑडिटोरियम के निर्माण में मिलेगी मदद

हैदराबाद: ऐसे दौर में जब टेक्नोलॉजी लगातार संभावनाओं की सीमाओं को नए सिरे से परिभाषित कर रही है, AI-पावर्ड स्मार्ट चश्मे दृष्टिहीन लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आ रहे हैं. KIMS फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर (KFRC) द्वारा विकसित ये इनोवेटिव चश्मा भारत में लगभग दो करोड़ दृष्टिहीन लोगों के जीवन को बदलने के लिए तैयार है.

तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने सिकंदराबाद में एक वितरण कार्यक्रम में इस चश्मे का अनावरण किया. इस दौरान उन्होंने कहा, "ये AI-संचालित स्मार्ट चश्मा दृष्टिहीन व्यक्तियों के जीवन में नई रोशनी लाएंगे और उन्हें एक उज्जवल भविष्य की उम्मीद देंगे."

दृष्टिबाधित व्यक्तियों के जीवन में बदलाव
KIMS अस्पताल के CMD डॉ बोलिनेनी भास्कर राव के नेतृत्व में विकसित AI-संचालित चश्मे का उद्देश्य दृष्टिबाधित व्यक्तियों की स्वतंत्रता और गतिशीलता को बढ़ाना है. चश्मे में कई क्रांतिकारी फीचर्स हैं, जो दृष्टिबाधित लोगों को अपनी आस-पास की दुनिया में नेविगेट करने के तरीके को बदल सकते हैं.

वितरण कार्यक्रम के दौरान डॉ राव ने इस बात पर भी जोर दिया कि ये चश्मे नेत्रहीन व्यक्तियों के आत्मविश्वास को काफी बढ़ाएंगे, जिससे वे आसानी और गरिमा के साथ अपने रोजमर्रा के काम आराम से कर सकेंगे. उन्होंने कहा, "इन चश्मों में यूज की गई टेक्नोलॉजी जिदंगी को बेहतर बनाने और नेत्रहीन समुदाय को अधिक स्वतंत्रता प्रदान करने में मदद करेगी."

शुरुआती चरण में यह चश्मे 100 लोगों को निशुल्क दिए गए. जिन लोगों को चश्मे मिले उन्हें इनके इस्तेमाल के लिए ट्रेनिंग भी दी गई. इस ट्रेनिंग को इस तरह से डि़जाइन किया गया था कि यूजर्स पूरी तरह से समझ सकें कि चश्मे का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल कैसे किया जाए और उन्हें अपनी रोजमर्रा में कैसे शामिल किया जाए.

स्मार्ट ग्लास के फीचर्स
AI-संचालित ग्लास में दृष्टिबाधित लोगों की सहायता के लिए कई फीचर्स शामिल किए गए हैं. इन फीचर्स में सबसे अहम फेस रिकग्निशन है. इन चश्मों की एक खासियत यह है कि ये 400 चेहरों तक को स्टोर कर सकते हैं. इससे यूजर्स अपने परिवार, दोस्तों और परिचितों को नाम से पहचान सकते हैं. इससे उनका सोशल इंटरैक्शन बढ़ता है और दूसरों पर निर्भरता कम होती है.

नेविगेशन असिस्टेंट
चश्मे में नेविगेशन कैपेबलिटीज भी हैं, जो यूजर्स को घर, ऑफिस या कॉलेज जैसे पहले से सटोर लोकेशन की पहचान करने और उन तक एक्सेस में मदद करती हैं. इसके अलावा चश्मा रियल टाइम की ऑब्सटिकल अलर्ट प्रदान करता है, जो सुरक्षित रूप से घूमने के लिए ज्यादा कॉम्प्रेहेन्सिव सॉल्यूशन प्रदान करता है.

KIMS फाउंडेशन के AI ग्लास छात्रों को वितरित किए गए
KIMS फाउंडेशन के AI ग्लास छात्रों को वितरित किए गए (ETV Bharat)

टेक्स्ट-टू-स्पीच फंक्शनलिटी
चश्मे में एक बिल्ट इन रीडिंग एड दिया गया है जो टेक्स्ट को तेज आवाज में पढ़ सकता है. चाहे वह किताबें हों, संकेत हों या दस्तावेज, टेक्स्ट-टू-स्पीच फीचर यूजर्स को आसानी से प्रिंटिड मैटेरियस के साथ जुड़ने की अनुमति देता है.

हल्का और आरामदायक
केवल 45 ग्राम वजन वाले ये चश्मे काफी हल्के और आरामदायक हैं. ये बिना किसी परेशानी के लंबे समय तक पहने जा सकते हैं. यह उन यूजर्स के लिए बेहतर है, जो पूरे दिन चश्मा लगाते हैं.

कितनी है कीमत?
इन एआई-संचालित चश्मों की कीमत लगभग 10000 रुपये प्रति यूनिट है. हालांकि, वितरण के पहले चरण में इन्हें दृष्टिबाधित छात्रों और जरूरतमंद व्यक्तियों को मुफ़्त में उपलब्ध कराया जा रहा है. केएफआरसी के अध्यक्ष और डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक डॉ वी भुजंगा राव ने बताया कि उनका लक्ष्य चश्मों को व्यापक रूप से उपलब्ध कराना है.

डॉ राव ने कहा, "हालांकि, प्रारंभिक वितरण का ध्यान दृष्टिहीन छात्रों पर केंद्रित है, लेकिन हम यूजर्स के फीडबैक के आधार पर इसका विस्तार करने की योजना बना रहे हैं, ताकि टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट के साथ-साथ इसे अधिक किफायती और सुलभ बनाया जा सके."

स्मार्ट ग्लास कैसे काम करते हैं?
स्मार्ट ग्लास काम करने के लिए कंप्यूटर विजन और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल करते हैं. ये USB-रिचार्जेबल बैटरी द्वारा संचालित होते हैं. ये एककंपेनियन ऐप के साथ आते हैं जो यूजर्स को एड्रेस, फेस और रूट्स जैसी आवश्यक जानकारी स्टोर करने की अनुमति देता है. यह ऐप यूजर्स को इन सुविधाओं तक सहजता से पहुंचने में मदद करता है, जिससे उनकी स्वतंत्र रूप से जीने की क्षमता में और सुधार होता है.

जैसे-जैसे इन चश्मों की तकनीक विकसित होती जाएगी, उम्मीद है कि वे और अधिक बेहतर होते जाएंगे. साथ ही ये संभावित रूप से कम कीमत पर और भी अधिक एडवांस फीचर्स के साथ आएंगे.

उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास
इन चश्मों का विकास KFRC, अचला हेल्थ सर्विसेज और अचला सॉल्यूशंस के सीईओ राजेश राजू के बीच हुए कॉलोब्रेशन से किया गया था. राजेश राजू ने यूजर्स से निरंतर सुधार सुनिश्चित करने के लिए कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर किसी भी तकनीकी समस्या की रिपोर्ट करने का आग्रह किया है.

राजू ने कहा, "इस परियोजना को जीवन में लाने में सहयोग आवश्यक रहा है और हमें उम्मीद है कि यह इनोवेशन दृष्टिहीन लोगों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा."

यह भी पढ़ें- रामोजी फाउंडेशन ने ISB को दान किए 30 करोड़ रुपये, ऑडिटोरियम के निर्माण में मिलेगी मदद

Last Updated : Nov 22, 2024, 5:08 PM IST
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