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रिटायरमेंट के बाद इंस्पेक्टर-दरोगा से रिकवरी पर हाईकोर्ट ने लगायी रोक, ब्याज सहित रिफंड का आदेश - Allahabad High Court Order

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को रिटायरमेंट के बाद पुलिस इंस्पेक्टर और दरोगा से की गई वसूली को रद्द करने का आदेश दिया. साथ ही कटौती राशि ब्याज सहित वापसी का निर्देश दिया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 11, 2024, 7:20 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर जय प्रकाश राम एवं दरोगा अनार सिंह की अलग अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उनके सेवानिवृत्त लाभों से की गई वसूली आदेश को रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने याचीगणों की याचिकाओं को मंजूर कर पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे याचीगण से की गयी कटौती की धनराशि 5 लाख 81 हजार 444 ब्याज सहित तीन माह में भुगतान करें.

रिटायर पुलिस कर्मियों के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि यह कटौती बगैर विभागीय जाँच के की गयी थी. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण से कटौती बगैर विभागीय कार्यवाही सम्पादित किये गये की गयी है एवं वसूली का आदेश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300 (ए) का उल्लंघन है. इसलिये कटौती का आदेश नियम व कानून के विरूद्ध है.

यह भी कहा गया कि स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह एवं थॉमस डेनियल बनाम केरल राज्य में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले में यह स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति होने के पश्चात अधिक धनराशि की वसूली एवं कटौती नहीं की जा सकती, अगर कर्मचारी ने स्वयं कोई धोखे से या घपला करके धनराशि न ली हो.

मामले के अनुसार दोनों याचिकाकर्ता यूपी पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे. सेवानिवृत्ति के बाद उनके ग्रेच्यूटी एवं पेंशन से कटौती कर ली गयी थी. कहा गया था कि याचीगणों को उनके सेवाकाल में अधिक वेतन भुगतान किया गया है. अधिवक्ता का तर्क था कि याचीगणों को सेवा के दौरान जो वेतन दिया गया है, वह शासनादेशों के परिप्रेक्ष्य में बिल्कुल सही है एवं उनकी कोई गलती नहीं थी.

ये भी पढ़ें- मलेरिया की दवा से ठीक होंगे पार्किंसन के मरीज, KGMU में सफल रहा दवा का शोध

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर जय प्रकाश राम एवं दरोगा अनार सिंह की अलग अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उनके सेवानिवृत्त लाभों से की गई वसूली आदेश को रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने याचीगणों की याचिकाओं को मंजूर कर पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे याचीगण से की गयी कटौती की धनराशि 5 लाख 81 हजार 444 ब्याज सहित तीन माह में भुगतान करें.

रिटायर पुलिस कर्मियों के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि यह कटौती बगैर विभागीय जाँच के की गयी थी. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण से कटौती बगैर विभागीय कार्यवाही सम्पादित किये गये की गयी है एवं वसूली का आदेश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300 (ए) का उल्लंघन है. इसलिये कटौती का आदेश नियम व कानून के विरूद्ध है.

यह भी कहा गया कि स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह एवं थॉमस डेनियल बनाम केरल राज्य में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले में यह स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति होने के पश्चात अधिक धनराशि की वसूली एवं कटौती नहीं की जा सकती, अगर कर्मचारी ने स्वयं कोई धोखे से या घपला करके धनराशि न ली हो.

मामले के अनुसार दोनों याचिकाकर्ता यूपी पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे. सेवानिवृत्ति के बाद उनके ग्रेच्यूटी एवं पेंशन से कटौती कर ली गयी थी. कहा गया था कि याचीगणों को उनके सेवाकाल में अधिक वेतन भुगतान किया गया है. अधिवक्ता का तर्क था कि याचीगणों को सेवा के दौरान जो वेतन दिया गया है, वह शासनादेशों के परिप्रेक्ष्य में बिल्कुल सही है एवं उनकी कोई गलती नहीं थी.

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