रांची: विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड में सुपरहिट रही मंईयां सम्मान योजना का क्रेज भले ही महिलाओं में बना हुआ है, लेकिन हकीकत यह है कि इस योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की पड़ताल में यह बात निकलकर सामने आई है.
राजधानी रांची के हेहल अंचल कार्यालय में मंईयां योजना का फॉर्म जमा करने के लिए कतार में खड़ी सैकड़ों महिलाओं ने अपनी समस्या ईटीवी भारत से साझा की. मंईयां योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने पहुंचीं कई महिलाओं ने सरकार के सिस्टम के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि एक बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार आवेदन जमा करने के बावजूद उनके खाते में पैसे नहीं आए हैं. ऐसे में एक बार फिर इस उम्मीद के साथ वह घंटों लाइन में खड़ी हैं कि शायद इस बार फार्म जमा होने वाला उन्हें लाभ मिले.
सुबह 8 बजे से अंचल कार्यालय में लाइन में खड़ी मेट्रो गली की जसवीर कौर कहती हैं कि उन्होंने कई बार ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में आवेदन जमा किया है. इसके बावजूद उनके खाते में अब तक पैसे नहीं आए हैं. जबकि उनके घर के अन्य महिला सदस्यों और परिचितों के खाते में पैसे आने शुरू हो गए हैं. वहीं इंद्रपुरी निवासी वीणा देवी कहती हैं कि अब तक वह तीन बार आवेदन जमा कर चुकी हैं. चौथी बार आवेदन लेकर अंचल कार्यालय पहुंची हैं. पार्षद से लेकर अंचल कार्यालय तक में ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड में आवेदन वह दाखिल कर चुकी हैं. इसके बावजूद उन्हें कोई मैसेज नहीं आया है.
सुबह 8 बजे ही लग जाती है लंबी लाइन
मंईयां सम्मान योजना के तहत दिसंबर महीने से हर महीने सरकार द्वारा 2500 रुपये दिए जाने हैं. वर्तमान समय में 1000 रुपये प्रति माह मिलता है. ऐसे में 18 से 50 वर्ष की महिलाएं इस योजना का लाभ लेने के लिए अंचल कार्यालय में आवेदन जमा करने के लिए मशक्कत कर रही हैं. हालत यह है कि घर का कामकाज छोड़कर यह महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर सुबह 8 बजे से ही अंचल कार्यालय में लाइन में खड़ी हो जाती हैं.
लाइन में खड़ी इन महिलाओं का मानना है कि यदि सरकार का सिस्टम ठीक हो जाए तो कोई परेशानी नहीं होगी और लोगों को बार-बार चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है और आवेदन जमा करने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. महिलाओं के साथ घर के पुरुष और बच्चे भी अंचल कार्यालय आने को विवश हैं.
बहरहाल, महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना के लाभ से यदि महिलाएं ही वंचित रह जाएंगी तो सवाल उठना लाजिमी है.ऐसे में आवश्यकता निचले स्तर के सिस्टम को दुरुस्त करने की है, ताकि आम लोगों को कोई परेशानी ना हो.
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