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कांवड़ नेमप्लेट विवाद: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संतों की प्रतिक्रिया आई सामने, कही ये बात - kanwar yatra 2024 - KANWAR YATRA 2024

Saints Reaction On Supreme Court Decision कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश पर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. वहीं इस मामले में साधु-संतों की प्रतिक्रिया सामने आई है. साधु संतों ने कांवड़ यात्रा में दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट अनिवार्य किए जाने की मांग उठी है. कहा कि इससे किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

Saints reaction on Kanwad nameplate controversy
कांवड़ नेमप्लेट विवाद पर संतों की प्रतिक्रिया (Photo-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 23, 2024, 5:15 PM IST

Updated : Jul 23, 2024, 5:27 PM IST

कांवड़ नेमप्लेट विवाद में संतों की प्रतिक्रिया (Video-ETV Bharat)

हरिद्वार/देहरादून: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाली खाने की दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाए जाने वाले सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाए जाने के बाद हरिद्वार से साधु संतों की प्रतिक्रिया सामने आई है. वहीं संत समाज का कहना है कि दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. साथ ही ऐसा करने से कोई भाईचारा कम नहीं होगा. हरिद्वार के संतों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाए जाने पर स्टे लगाया है. जबकि मामले की सुनवाई 26 जुलाई को होनी है.

स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने क्या कहा: जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने कहा है कि आखिरकार किसी को इस पर क्या आपत्ति हो सकती है, अगर कोई नाम या अपना पहचान अपने दुकान पर लिखता है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर महामंडलेश्वर ने कहा कि यह उचित निर्णय नहीं लगता और इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आजकल नाम बदल बदलकर धोखाधड़ी हो रही है. इस निर्देश के बाद वह समाप्त हो सकती है और इसमें कोई भेदभाव वाली बात नहीं लगती है. महामंडलेश्वर ने कहा है कि इस पर दोबारा से उन्हें विचार होना चाहिए.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कही ये बात: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा कि सावन मास हिंन्दू धर्म के लोगों के लिए पवित्र मास होता है. साव के दौरान शिव भक्त कांवड़िये हो या फिर आमजन प्याज लहसुन तक का सेवन नहीं करते है. ऐसे में सभी की अपनी धार्मिक भावनाएं यदि कोई अपनी पहचान बता कर अपना कार्य कर रहा है तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. इससे न ही भाईचारा कम होगा और ना ही कोई विवाद होगा.

बीकेटीसी अध्यक्ष ने सरकार के फैसले को बताया सही: वहीं केदारनाथ बदरीनाथ समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भी कहा है कि यह फैसला बिल्कुल सही था और इस फैसले को लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आखिरकार उस व्यक्ति को पता होना चाहिए कि वह कहां पर खाना खा रहा है. यह सभी बातें एक धर्म विशेष को महत्व देने के लिए की जा रही हैं, जबकि यह बात सही नहीं है. यह फैसला हर जगह पर लागू होना चाहिए.

बता दें कि कांवड़ यात्रा से पहले उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ पटरी पर बने सभी होटल और खाने-पीने के संस्थाओं को अपनी दुकान के बाहर नेमप्लेट लगाने के निर्देश दिए थे. जिसे 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था. जिसके बाद इस मामले में संत अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

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कांवड़ नेमप्लेट विवाद में संतों की प्रतिक्रिया (Video-ETV Bharat)

हरिद्वार/देहरादून: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाली खाने की दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाए जाने वाले सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाए जाने के बाद हरिद्वार से साधु संतों की प्रतिक्रिया सामने आई है. वहीं संत समाज का कहना है कि दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. साथ ही ऐसा करने से कोई भाईचारा कम नहीं होगा. हरिद्वार के संतों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाए जाने पर स्टे लगाया है. जबकि मामले की सुनवाई 26 जुलाई को होनी है.

स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने क्या कहा: जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने कहा है कि आखिरकार किसी को इस पर क्या आपत्ति हो सकती है, अगर कोई नाम या अपना पहचान अपने दुकान पर लिखता है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर महामंडलेश्वर ने कहा कि यह उचित निर्णय नहीं लगता और इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आजकल नाम बदल बदलकर धोखाधड़ी हो रही है. इस निर्देश के बाद वह समाप्त हो सकती है और इसमें कोई भेदभाव वाली बात नहीं लगती है. महामंडलेश्वर ने कहा है कि इस पर दोबारा से उन्हें विचार होना चाहिए.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कही ये बात: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा कि सावन मास हिंन्दू धर्म के लोगों के लिए पवित्र मास होता है. साव के दौरान शिव भक्त कांवड़िये हो या फिर आमजन प्याज लहसुन तक का सेवन नहीं करते है. ऐसे में सभी की अपनी धार्मिक भावनाएं यदि कोई अपनी पहचान बता कर अपना कार्य कर रहा है तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. इससे न ही भाईचारा कम होगा और ना ही कोई विवाद होगा.

बीकेटीसी अध्यक्ष ने सरकार के फैसले को बताया सही: वहीं केदारनाथ बदरीनाथ समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भी कहा है कि यह फैसला बिल्कुल सही था और इस फैसले को लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आखिरकार उस व्यक्ति को पता होना चाहिए कि वह कहां पर खाना खा रहा है. यह सभी बातें एक धर्म विशेष को महत्व देने के लिए की जा रही हैं, जबकि यह बात सही नहीं है. यह फैसला हर जगह पर लागू होना चाहिए.

बता दें कि कांवड़ यात्रा से पहले उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ पटरी पर बने सभी होटल और खाने-पीने के संस्थाओं को अपनी दुकान के बाहर नेमप्लेट लगाने के निर्देश दिए थे. जिसे 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था. जिसके बाद इस मामले में संत अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

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Last Updated : Jul 23, 2024, 5:27 PM IST
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