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विजयदशमी का सिर्फ 46 मिनट शुभ मुहूर्त, 12 अक्टूबर को रावण दहन, शस्त्र पूजा विधि - RAVAN DAHAN MUHURAT 2024

रावण पुतला दहन और विजयदशमी का पर्व 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस शुभ नक्षत्र में रावण दहन का विशेष महत्व है.

Ravan Dahan Muhurat 2024
शस्त्र पूजा के लिए केवल 46 मिनट का मुहूर्त (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 11, 2024, 4:09 PM IST

Updated : Oct 11, 2024, 4:24 PM IST

Ravan Dahan Muhurat 2024 : सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि भगवान श्रीराम और लंका नरेश रावण के मध्य युद्ध का समापन आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर हुआ था. इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. इस शुभ अवसर पर अयोध्या में विजयादशमी मनाई गई थी. तब से भारत देश में हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा मनाया जाता है. इस बार ये तिथि 12 अक्टूबर को पड़ने वाली है. हालांकि, इस वर्ष अष्टमी और नवमी एक दिन मनाने से लोग दशहरा को लेकर असमंजस में हैं.

12 अक्टूबर को 10.59 बजे से मुहूर्त शुरू

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर के दिन है. इस दिन सुबह 10 बजकर 59 मिनट से दशमी तिथि शुरू होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. पंचांग के अनुसार, 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा. इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से लेकर 02 बजकर 49 मिनट तक है. यानि इसी 46 मिनट में शस्त्र पूजन करना होगा. हालांकि दशहरा के लिए शुभ समय दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक है.

ये है रावण दहन का शुभ मुहूर्त

दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है. दशहरा में श्रवण नक्षत्र का विशेष महत्व है. दशहरा का पर्व श्रवण नक्षत्र में मनाने का विधान है. 12 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 24 मिनट पर श्रवण नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा और अगले दिन 13 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. रावण दहन के लिए श्रवण नक्षत्र का होना बेहद जरुरी है. इसलिए 12 अक्टूबर को रावण दहन के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 52 मिनट से शाम 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. बता दें कि रावण दहन प्रदोष काल में किया जाता है.

यहां पढ़ें...

नाभि नहीं रावण की नाक पर होता है वार, चिकलाना में 6 महीने पहले करते हैं रावण वध

सीना ताने दशानन का 105 फूटा पुतला दहन को तैयार, मोहन यादव तीर से करेंगे अचूक वार

दशहरे के दिन इस तरह करें पूजा

पंडित शैलेंद्र शास्त्री ने बताया कि "दशहरा पूजन के दिन जल्दी उठकर स्नान कर लीजिए फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाएं. एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. इसके बाद आप प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करिए. इस दिन दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. पूजा समाप्त होने के बाद बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लीजिए.

Ravan Dahan Muhurat 2024 : सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि भगवान श्रीराम और लंका नरेश रावण के मध्य युद्ध का समापन आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर हुआ था. इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. इस शुभ अवसर पर अयोध्या में विजयादशमी मनाई गई थी. तब से भारत देश में हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा मनाया जाता है. इस बार ये तिथि 12 अक्टूबर को पड़ने वाली है. हालांकि, इस वर्ष अष्टमी और नवमी एक दिन मनाने से लोग दशहरा को लेकर असमंजस में हैं.

12 अक्टूबर को 10.59 बजे से मुहूर्त शुरू

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर के दिन है. इस दिन सुबह 10 बजकर 59 मिनट से दशमी तिथि शुरू होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. पंचांग के अनुसार, 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा. इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से लेकर 02 बजकर 49 मिनट तक है. यानि इसी 46 मिनट में शस्त्र पूजन करना होगा. हालांकि दशहरा के लिए शुभ समय दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक है.

ये है रावण दहन का शुभ मुहूर्त

दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है. दशहरा में श्रवण नक्षत्र का विशेष महत्व है. दशहरा का पर्व श्रवण नक्षत्र में मनाने का विधान है. 12 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 24 मिनट पर श्रवण नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा और अगले दिन 13 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. रावण दहन के लिए श्रवण नक्षत्र का होना बेहद जरुरी है. इसलिए 12 अक्टूबर को रावण दहन के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 52 मिनट से शाम 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. बता दें कि रावण दहन प्रदोष काल में किया जाता है.

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दशहरे के दिन इस तरह करें पूजा

पंडित शैलेंद्र शास्त्री ने बताया कि "दशहरा पूजन के दिन जल्दी उठकर स्नान कर लीजिए फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाएं. एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. इसके बाद आप प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करिए. इस दिन दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. पूजा समाप्त होने के बाद बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लीजिए.

Last Updated : Oct 11, 2024, 4:24 PM IST
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