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सोयाबीन किसान मुश्किल में, रात दिन की मेहनत बारिश से बर्बाद, कटी फसल तबाह - Ratlam Soybean Crop Destroyed - RATLAM SOYBEAN CROP DESTROYED

रतलाम में असमय हो रही बारिश से किसानों की सोयाबीन की फसल बर्बाद हो रही है. किसानों के खेतों में कटी पड़ी सोयाबीन की फसल अंकुरित होने लगी है, जिससे किसान चिंतित और परेशान हैं. इससे पहले सोयाबीन की फसल में येलो मोजेक वायरस भी अटैक कर चुका है. इसकी वजह से फसल की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है.

RATLAM SOYBEAN CROP DESTROYED
सोयाबीन की फसल बचाते हुए किसान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 28, 2024, 5:50 PM IST

रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम में मौसम की दोहरी मार से किसानों की सोयाबीन की फसल चौपट होने की कगार पर पहुंच गई है. पहले सोयाबीन की गिरती कीमत, येलो मोजेक वायरस का अटैक और अब सितंबर के आखिरी हफ्ते में हो रही बारिश से सोयाबीन की पककर तैयार हुई फसल खराब होने लगी है. रतलाम, मंदसौर और नीमच में हो रही बारिश की वजह से खेतों में सोयाबीन की फसल अंकुरित होने लग गई है. पानी से भरे खेतों में कटकर पड़ी हुई.

असमय बारिश से सोयाबनी की फसल खराब

असमय हो रही बारिश से किसानों की सोयाबीन पक चुकी फसल बर्बाद हो रही है. खेतों में बारिश का पानी भर गया है, जिससे खेत में कटकर पड़ी फसल खराब हो रही है. गौरतलब है कि इस बार सोयाबीन की लागत बढ़ने के साथ कीमतों में गिरावट के चलते किसान पहले ही परेशान थे. जिसके बाद येलो मोजेक वायरस की वजह से भी बड़े क्षेत्र में सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई. वहीं, अब बारिश की वजह से बची हुई सोयाबीन की गुणवत्ता भी खराब हो रही है.

किसानों ने सरकार से लगाई मुआवजा की गुहार (ETV Bharat)

6000 रुपए एमएसपी की उठी मांग

दरअसल, सोयाबीन की लागत बढ़ने और विभिन्न बीमारियों की वजह से सोयाबीन की फसल में उत्पादन घटा है. जिसके बाद अब बची कुची सोयाबीन की फसल भी असमय हुई बारिश की भेंट चढ़ गई है. सोयाबीन की एमएसपी 6000 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने की मांग भी मालवा सहित पूरे मध्य प्रदेश में उठी थी. इसी दौरान येलो मोजेक वायरस की वजह से सोयाबीन के बड़े रकबे में इसका उत्पादन गिरा है.

सोयाबीन किसानों को हुआ भारी नुकसान

किसान राजेश पुरोहित बताते हैं कि "एक बीघे में एक से दो क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन मिल रहा है. ऐसे में सोयाबीन एमएसपी पर खरीदा भी जाता है, तो किसानों को सोयाबीन की लागत भी नहीं मिल पाएगी." खेत में सोयाबीन की फसल को बचाने का प्रयास कर रहे किसान समरथ पाटीदार के अनुसार "फसल को हार्वेस्ट करने के जितनी कीमत का सोयाबीन उत्पादन भी उन्हें नहीं मिल पाएगा. बारिश में लगातार भीगने की वजह से सोयाबीन के दाने अंकुरित होने लगे हैं. वहीं, कई खेतों में जलभराव की वजह से कटकर पड़ी हुई फसल भी खराब हो गई है."

यहां पढ़ें...

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ग्रामीणों ने उठाई मुआवजा की मांग

ग्रामीणों ने प्रशासन से सोयाबीन की खराब हुई फसल का सर्वे करवाने और फसल बीमा का लाभ दिलवाने की मांग की है. वहीं, उपसंचालक कृषि विभाग नीलम सिंह का कहना है कि "बारिश से हुए नुकसान की जानकारी विभाग और जिला प्रशासन को दी गई है. फसल के नुकसान का सर्वे करवाने के संबंध में प्रशासन निर्णय लेगा."

रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम में मौसम की दोहरी मार से किसानों की सोयाबीन की फसल चौपट होने की कगार पर पहुंच गई है. पहले सोयाबीन की गिरती कीमत, येलो मोजेक वायरस का अटैक और अब सितंबर के आखिरी हफ्ते में हो रही बारिश से सोयाबीन की पककर तैयार हुई फसल खराब होने लगी है. रतलाम, मंदसौर और नीमच में हो रही बारिश की वजह से खेतों में सोयाबीन की फसल अंकुरित होने लग गई है. पानी से भरे खेतों में कटकर पड़ी हुई.

असमय बारिश से सोयाबनी की फसल खराब

असमय हो रही बारिश से किसानों की सोयाबीन पक चुकी फसल बर्बाद हो रही है. खेतों में बारिश का पानी भर गया है, जिससे खेत में कटकर पड़ी फसल खराब हो रही है. गौरतलब है कि इस बार सोयाबीन की लागत बढ़ने के साथ कीमतों में गिरावट के चलते किसान पहले ही परेशान थे. जिसके बाद येलो मोजेक वायरस की वजह से भी बड़े क्षेत्र में सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई. वहीं, अब बारिश की वजह से बची हुई सोयाबीन की गुणवत्ता भी खराब हो रही है.

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6000 रुपए एमएसपी की उठी मांग

दरअसल, सोयाबीन की लागत बढ़ने और विभिन्न बीमारियों की वजह से सोयाबीन की फसल में उत्पादन घटा है. जिसके बाद अब बची कुची सोयाबीन की फसल भी असमय हुई बारिश की भेंट चढ़ गई है. सोयाबीन की एमएसपी 6000 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने की मांग भी मालवा सहित पूरे मध्य प्रदेश में उठी थी. इसी दौरान येलो मोजेक वायरस की वजह से सोयाबीन के बड़े रकबे में इसका उत्पादन गिरा है.

सोयाबीन किसानों को हुआ भारी नुकसान

किसान राजेश पुरोहित बताते हैं कि "एक बीघे में एक से दो क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन मिल रहा है. ऐसे में सोयाबीन एमएसपी पर खरीदा भी जाता है, तो किसानों को सोयाबीन की लागत भी नहीं मिल पाएगी." खेत में सोयाबीन की फसल को बचाने का प्रयास कर रहे किसान समरथ पाटीदार के अनुसार "फसल को हार्वेस्ट करने के जितनी कीमत का सोयाबीन उत्पादन भी उन्हें नहीं मिल पाएगा. बारिश में लगातार भीगने की वजह से सोयाबीन के दाने अंकुरित होने लगे हैं. वहीं, कई खेतों में जलभराव की वजह से कटकर पड़ी हुई फसल भी खराब हो गई है."

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ग्रामीणों ने प्रशासन से सोयाबीन की खराब हुई फसल का सर्वे करवाने और फसल बीमा का लाभ दिलवाने की मांग की है. वहीं, उपसंचालक कृषि विभाग नीलम सिंह का कहना है कि "बारिश से हुए नुकसान की जानकारी विभाग और जिला प्रशासन को दी गई है. फसल के नुकसान का सर्वे करवाने के संबंध में प्रशासन निर्णय लेगा."

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