रतलाम: रिडेंसिफिकेशन योजना के अंतर्गत नई बिल्डिंग के बनने का इंतजार कर रहे जर्जर और खस्ताहाल रतलाम जिला अस्पताल के हालात उस समय बिगड़ गए जब गुरुवार रात हुई मूसलाधार बारिश में जिला अस्पताल की बिल्डिंग जगह-जगह से टपकने लगी. जिला अस्पताल के कुछ वार्डों में सिवरेज लाइन का पानी तक घुस गया. जिसकी वजह से मरीजों को नरकीय हालात में रात गुजारनी पड़ी. महिला एवं पुरुष वार्ड सहित सर्जिकल वार्ड में भी बारिश का पानी और कीचड़ घुस गया. यहां तक की ऑपरेशन थिएटर के बाहर भी पानी भर गया.
सिवरेज लाइन का पानी अस्पताल में भरा
अस्पताल प्रबंधन द्वारा हर वर्ष मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी बारिश में इन वार्डों की यही हालत बन जाती है. टपकती छत के नीचे गीले बिस्तरों पर ही मरीजों का उपचार किया जा रहा है. वार्ड में जगह नहीं मिलने पर गलियारे में उपचार ले रहे मरीजों को तो पलंग के नीचे से बह रहे सिवरेज लाइन के पानी की बदबू में ही रात निकालनी पड़ी है. गौरतलब है कि गुरुवार शाम रतलाम में करीब 5 घंटे में 5 इंच बारिश दर्ज की गई है. जिसकी वजह से शहर के निचले इलाकों सहित जिला अस्पताल परिसर में भी पानी भर गया.
बारिश में हर वर्ष होते हैं ऐसे ही हालात
दरअसल, हर वर्ष बारिश के मौसम में रतलाम जिला अस्पताल की जर्जर बिल्डिंग का खामियाजा गंभीर रूप से बीमार मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ता है. बीती रात हुई जोरदार बारिश के बाद जिला अस्पताल में हर वर्ष की तरह इस बार भी बदतर हालात बन गए. सामान्य वार्डों के साथ ही आईसीयू और सीसीयु यूनिट की व्यवस्था भी बिगड़ गई. मरीज के साथ ही उनके परिजनों को भी जिला अस्पताल परिसर में रात गुजारना मुश्किल हो गया. जिला अस्पताल प्रबंधन हर वर्ष मेंटेनेंस और वॉटरप्रूफिंग के नाम पर लाखों रुपए खर्च करता है, लेकिन बारिश के दौरान जिला अस्पताल की छत टपकने लगती है. पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से सिवरेज लाइन का पानी और कीचड़ अस्पताल के वार्ड में घुस जाता है.
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जिला अस्पताल को नई बिल्डिंग का इंतजार
रतलाम में बन रहे गोल्ड पार्क की जमीन के बदले एक निजी कंपनी को रिडेंसिफिकेशन के अंतर्गत जिला अस्पताल परिसर में 300 बेड की अस्पताल बिल्डिंग तैयार करना है. जिसके लिए जिला अस्पताल के पिछले हिस्से की पुरानी बिल्डिंग को गिरा दिया गया. इसके बाद एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जिला अस्पताल में बनने वाले 300 बेड के अस्पताल की बिल्डिंग का कार्य कछुआ चाल से चल रहा है. ऐसे में सीमित वार्डों में चल रहे जिला अस्पताल की हालत और बदतर होती जा रही है