रतलाम। रतलाम लोकसभा सीट पर अब तक हुए 18 चुनावों में सात बार महिलाएं मैदान में उतरीं, लेकिन जीत सिर्फ एक बार नसीब हुई. वह भी 62 साल पहले वर्ष 1962 में. उस वक्त कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जमुनादेवी ने जीत हासिल कर इस सीट पर पहली महिला सांसद होने का रिकॉर्ड बनाया था. उनके बाद से क्षेत्र दूसरी महिला सांसद चुने जाने की राह देख रहा है. यदि इस बार भाजपा प्रत्याशी अनीता नागर सिंह चौहान की विजय हुई, तो यह इंतजार खत्म हो जाएगा.
गौरतलब है कि रतलाम लोकसभा सीट पर 1952 में पहला चुनाव हुआ था. जबकि पहली बार 1962 में कांग्रेस ने जमुनादेवी को चुनावी मैदान में उतारा था. खास बात ये है कि उनसे पहले दो बार के सांसद अमरसिंह के नाम की घोषणा भी हो चुकी थी, लेकिन ऐन वक्त पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने युवा महिला नेत्री जमुनादेवी को टिकट दे दिया. उस वक्त पूरे देश में इसकी चर्चा हुई थी. जमुनादेवी ने इस चुनाव में जीत हासिल की. इसके बाद जमुनादेवी ने 1980 में दूसरी बार जनता पार्टी की प्रत्याशी के रूप में भी चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें पराजय झेलनी पड़ी.
महिलाओं को टिकट देने में भाजपा आगे
1952 में हुए पहले चुनाव से लेकर 2024 तक की स्थिति देखें तो महिलाओं को टिकट देने में भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ रखा है. भाजपा ने इस बार अनीता नागर सिंह चौहान के रूप में चौथी दफे महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा हैं. जबकि कांग्रेस ने केवल एक बार 1962 में महिला को टिकट दिया था.
कब-कब महिला प्रत्याशी मैदान में उतरी
1967 के आम चुनाव में दूसरी बार महिला प्रत्याशी के रूप में सड़ीबाई ने सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
रेलम चौहान दो बार चुनाव लड़ी
भाजपा ने रेलम चौहान को दो बार 1991 और 2004 में टिकट दियाय दोनों ही बार उन्हें पराजय मिली. 2014 के लोकसभा चुनाव में मीना अतुल डेविड ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा. उन्हें महज 10 हजार 979 मत ही प्राप्त हुए.
2015 के उप चुनाव में मिली हार
रतलाम लोकसभा सीट से सांसद दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद 2015 में यहां उप चुनाव हुआ. भाजपा ने स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया को टिकट दिया, लेकिन वे ये चुनाव 88 हजार 832 मतों के अंतर से हार गईं.
12 बार भूरिया उपनाम के उम्मीदवार को मिली जीत
रतलाम लोकसभा सीट पर 12 बार भूरिया उपनाम वाले प्रत्याशी को जीत मिली है. इसमें से 6 बार दिलीप सिंह भूरिया और 5 बार कांतिलाल भूरिया चुनाव जीते. जबकि एक बार सुरसिंह भूरिया विजय हुए.
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भाजपा के हिस्से दो जीत
अब तक हुए 18 चुनाव में 14 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की तो 2 बार भाजपा ने. इस सीट पर भाजपा के लिए स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया ने 2014 में खाता खोला था. जबकि 2019 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में गुमान सिंह डामोर ने जीत हासिल की थी. वहीं भागीरथ भंवर दो बार 1971 में सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के रूप में और 1977 में भारतीय लोकदल के उम्मीदवार के रूप में जीते थे.