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सबसे छिपाकर क्यों की जाती है माता की साधना, जाने क्या है गुप्त नवरात्रि का रहस्य - Ratlam Gupt Navratri Festival 2024

गुप्त नवरात्रि में माता की पूजा करने वाले भक्तों को विशेष फल प्राप्त होता है. रतलाम के पंडित प्रकाश शर्मा का कहना है कि शास्त्रों के विद्वान व पंडित अपने शुद्धिकरण और आध्यात्मिक उर्जा के लिए हमेशा गुप्त नवरात्रि में पूजापाठ करते हैं.

RATLAM GUPT NAVRATRI FESTIVAL 2024
गुप्त नवरात्रि में माता की होती है विशेष पूजा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 6, 2024, 10:20 PM IST

Updated : Jul 6, 2024, 10:51 PM IST

रतलाम। आम लोगों की जानकारी में दो ही नवरात्रि होती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के अतिरिक्त 2 और गुप्त नवरात्रि हिंदू कैलेंडर वर्ष में होती है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि साल में दो बार माघ और आषाढ़ माह में आती है. इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई यानी आज से प्रारंभ हो गई है. जिसमें गुप्त साधना का विशेष महत्व माना गया है.

शास्त्रों के विद्वान आत्म शुद्धिकरण के लिए करते हैं पूजा (ETV Bharat)

वर्ष में दो बार आती है गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि की साधना का विशेष फल साधक को प्राप्त होता है. पंडितों और शास्त्र के विद्वानों ने इन दो नवरात्रियों को गुप्त रखा है, क्योंकि ब्राह्मण, पंडित एवं शास्त्र के विद्वान शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में अपने जजमानों के पूजापाठ और साधना करवाने में व्यस्थ रहते हैं, लेकिन स्वयं की साधना के लिए इन विद्वानों को समय नहीं मिल पाता है. इसलिए वर्ष में दो बार आने वाली इन गुप्त नवरात्रियों में पंडित, ब्राह्मण व विद्वान मां की आराधना और साधना करते हैं.

शास्त्र के विद्वान करते हैं मां की आराधना

रतलाम के पंडित प्रकाश शर्मा बताते हैं कि गुप्त नवरात्रि में की गई साधना का विशेष फल प्राप्त होता है. खासकर ब्राह्मणों ने इसे अपने शुद्धिकरण और आध्यात्मिक रिचार्ज के लिए हमेशा से ही गुप्त रखा है. जैसा की इन नवरात्रियों के नाम से ही समझ आता है. इन्हें आम साधकों से छुपाया गया है. गुप्त नवरात्रि में ब्राह्मण और शास्त्र के विद्वान शक्ति की आराधना करते हैं.

बिना हर्षोल्लास के पूजा पाठ होता है

गुप्त नवरात्रि में शारदीय और चैत्र नवरात्रि के त्यौहार की तरह ही घट स्थापना और विधि विधान से पूजा पाठ करते हैं. बस इसमें बिना हर्ष उल्लास और बिना दिखावे के पूजा पाठ किया जाता है. अपनी साधना को गुप्त रखने से नवरात्रि में साधना का विशेष फल प्राप्त होता है. पंडित प्रकाश भट्ट के अनुसार गुप्त नवरात्रि साल में दो बार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा और आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में आती है. जहां नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है.

यहां पढ़ें...

9 नहीं दस दिन की होगी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, घोड़े पर सवार हो कर आएंगी मां, इन बातों का रखें खास ध्यान

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रहस्यमई साधना के लिए जानी जाती है गुप्त नवरात्रि

बहरहाल, इन दोनों नवरात्रियों को रहस्यमई साधना से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन गुप्त नवरात्रि वर्ष भर जजमानों के लिए व्यस्त रहने वाले ब्राह्मण और पंडितों की शक्ति की आराधना करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. हालांकि आम साधक भी इस दौरान 9 दिनों तक माता की आराधना कर विशेष फल प्राप्त करते हैं.

रतलाम। आम लोगों की जानकारी में दो ही नवरात्रि होती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के अतिरिक्त 2 और गुप्त नवरात्रि हिंदू कैलेंडर वर्ष में होती है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि साल में दो बार माघ और आषाढ़ माह में आती है. इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई यानी आज से प्रारंभ हो गई है. जिसमें गुप्त साधना का विशेष महत्व माना गया है.

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वर्ष में दो बार आती है गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि की साधना का विशेष फल साधक को प्राप्त होता है. पंडितों और शास्त्र के विद्वानों ने इन दो नवरात्रियों को गुप्त रखा है, क्योंकि ब्राह्मण, पंडित एवं शास्त्र के विद्वान शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में अपने जजमानों के पूजापाठ और साधना करवाने में व्यस्थ रहते हैं, लेकिन स्वयं की साधना के लिए इन विद्वानों को समय नहीं मिल पाता है. इसलिए वर्ष में दो बार आने वाली इन गुप्त नवरात्रियों में पंडित, ब्राह्मण व विद्वान मां की आराधना और साधना करते हैं.

शास्त्र के विद्वान करते हैं मां की आराधना

रतलाम के पंडित प्रकाश शर्मा बताते हैं कि गुप्त नवरात्रि में की गई साधना का विशेष फल प्राप्त होता है. खासकर ब्राह्मणों ने इसे अपने शुद्धिकरण और आध्यात्मिक रिचार्ज के लिए हमेशा से ही गुप्त रखा है. जैसा की इन नवरात्रियों के नाम से ही समझ आता है. इन्हें आम साधकों से छुपाया गया है. गुप्त नवरात्रि में ब्राह्मण और शास्त्र के विद्वान शक्ति की आराधना करते हैं.

बिना हर्षोल्लास के पूजा पाठ होता है

गुप्त नवरात्रि में शारदीय और चैत्र नवरात्रि के त्यौहार की तरह ही घट स्थापना और विधि विधान से पूजा पाठ करते हैं. बस इसमें बिना हर्ष उल्लास और बिना दिखावे के पूजा पाठ किया जाता है. अपनी साधना को गुप्त रखने से नवरात्रि में साधना का विशेष फल प्राप्त होता है. पंडित प्रकाश भट्ट के अनुसार गुप्त नवरात्रि साल में दो बार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा और आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में आती है. जहां नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है.

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रहस्यमई साधना के लिए जानी जाती है गुप्त नवरात्रि

बहरहाल, इन दोनों नवरात्रियों को रहस्यमई साधना से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन गुप्त नवरात्रि वर्ष भर जजमानों के लिए व्यस्त रहने वाले ब्राह्मण और पंडितों की शक्ति की आराधना करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. हालांकि आम साधक भी इस दौरान 9 दिनों तक माता की आराधना कर विशेष फल प्राप्त करते हैं.

Last Updated : Jul 6, 2024, 10:51 PM IST
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