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रतलाम में कैसे जहरीली हुई गेहूं की फसल, किसान ऐसा क्या करने में लगे हैं - RATLAM SPRAY PESTICIDES WHEAT CROPS

रतलाम में किसान गेहूं की फसलों को कीट और फंगस जैसी बीमारियों से बचाने के लिए अंधाधुंध कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं.

RATLAM SPRAY PESTICIDES WHEAT CROPS
किसान गेहूं की फसल को बना रहे जहरीली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 21, 2025, 9:56 PM IST

रतलाम (दिव्यराज राठौर): गेहूं की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार करने वाले मध्य प्रदेश में अब गेहूं की फसल में भी अंधाधुंध कीटनाशक का इस्तेमाल होने लगा है. बदली हुई जलवायु और खराब मौसम की वजह से गेहूं में भी अब कीट और फंगस की समस्या देखी जा रही है. जिसके चलते किसान कीटनाशक और फंगीसाइड का प्रयोग फसल में कर रहे हैं. जिससे प्रमुख खाद्यान्न गेहूं भी अब रासायनिक जहर से अछूता नहीं रह गया है. पहले ही गेहूं में यूरिया के अत्यधिक इस्तेमाल की वजह से नुकसान दायक रसायन की मात्रा बढ़ती जा रही है. वहीं, अब कीटनाशकों के जहर की मात्रा भी गेहूं में बढ़ सकती है.

मौसम बदलने से बढ़ी समस्या

आमतौर पर गेहूं की फसल में कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. गेहूं में कोई खास प्रकार की बीमारी या व्याधि भी नहीं आती थी, लेकिन अब जलवायु और लगातार बदलते मौसम की वजह से गेहूं में इल्ली, थ्रीप्स, माहू और फंगस जनित रोग देखे जा रहे हैं. करमदी के किसान राजेश पुरोहित बताते हैं कि "बीमारियों से बचने के लिए मजबूरी में उन्हें रासायनिक दवाइयां का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. अन्यथा पूर्व में ऐसी समस्या गेहूं की फसल में नहीं आती थी. "

अनुशंसित मात्रा में फंगीसाइड का करें उपयोग

कृषि विभाग की उपसंचालक नीलम सिंह का कहना है कि "गेहूं में कुछ बीमारियां मौसम परिवर्तन की वजह से देखी जा रही है. जिनकी रोकथाम के लिए अनुशंसित मात्रा में ही फंगीसाइड का उपयोग करें. कीट की समस्या से बचाव के लिए नीम ऑयल और अन्य जैविक कीटनाशक का उपयोग किसान भाई करें तो गेहूं की फसल में उत्पादन भी बेहतर मिलेगा और हमारा खद्यान्न रासायनिक जहर से भी बचा हुआ रहेगा."

किसान कीटनाशक का न करें इस्तेमाल

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में खासकर मालवा क्षेत्र में सर्वाधिक मात्रा में गेहूं की फसल बोई जाती है. उत्पादन के मामले में भी मालवा के किसान आगे हैं. ऐसे में किसान यदि गेहूं की फसल में रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करें, तो वह स्वयं के परिवार के साथ खाद्यान्न का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा भी कर सकेंगे.

रतलाम (दिव्यराज राठौर): गेहूं की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार करने वाले मध्य प्रदेश में अब गेहूं की फसल में भी अंधाधुंध कीटनाशक का इस्तेमाल होने लगा है. बदली हुई जलवायु और खराब मौसम की वजह से गेहूं में भी अब कीट और फंगस की समस्या देखी जा रही है. जिसके चलते किसान कीटनाशक और फंगीसाइड का प्रयोग फसल में कर रहे हैं. जिससे प्रमुख खाद्यान्न गेहूं भी अब रासायनिक जहर से अछूता नहीं रह गया है. पहले ही गेहूं में यूरिया के अत्यधिक इस्तेमाल की वजह से नुकसान दायक रसायन की मात्रा बढ़ती जा रही है. वहीं, अब कीटनाशकों के जहर की मात्रा भी गेहूं में बढ़ सकती है.

मौसम बदलने से बढ़ी समस्या

आमतौर पर गेहूं की फसल में कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. गेहूं में कोई खास प्रकार की बीमारी या व्याधि भी नहीं आती थी, लेकिन अब जलवायु और लगातार बदलते मौसम की वजह से गेहूं में इल्ली, थ्रीप्स, माहू और फंगस जनित रोग देखे जा रहे हैं. करमदी के किसान राजेश पुरोहित बताते हैं कि "बीमारियों से बचने के लिए मजबूरी में उन्हें रासायनिक दवाइयां का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. अन्यथा पूर्व में ऐसी समस्या गेहूं की फसल में नहीं आती थी. "

अनुशंसित मात्रा में फंगीसाइड का करें उपयोग

कृषि विभाग की उपसंचालक नीलम सिंह का कहना है कि "गेहूं में कुछ बीमारियां मौसम परिवर्तन की वजह से देखी जा रही है. जिनकी रोकथाम के लिए अनुशंसित मात्रा में ही फंगीसाइड का उपयोग करें. कीट की समस्या से बचाव के लिए नीम ऑयल और अन्य जैविक कीटनाशक का उपयोग किसान भाई करें तो गेहूं की फसल में उत्पादन भी बेहतर मिलेगा और हमारा खद्यान्न रासायनिक जहर से भी बचा हुआ रहेगा."

किसान कीटनाशक का न करें इस्तेमाल

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में खासकर मालवा क्षेत्र में सर्वाधिक मात्रा में गेहूं की फसल बोई जाती है. उत्पादन के मामले में भी मालवा के किसान आगे हैं. ऐसे में किसान यदि गेहूं की फसल में रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करें, तो वह स्वयं के परिवार के साथ खाद्यान्न का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा भी कर सकेंगे.

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