रतलाम: नगर निगम ने जीआईएस तकनीक की मदद से शहर के 75 हजार से अधिक मकानों का सर्वे पूरा कर लिया है. निगम को इससे ढाई से तीन करोड़ रुपए तक के अतिरिक्त राजस्व प्राप्ति होने की उम्मीद है. वहीं, टैक्स चोरी पर भी निगम को अंकुश लगाने में मदद मिल सकेगी. दरअसल, नगर निगम ने निजी एजेंसी की मदद से सभी 49 वार्डों में जीआईएस सर्वे करवाया गया था. जिसमें 75 हजार घरों का जीआईएस मेपिंग पूरा हो चुका है.
इससे नगर निगम को पक्के मकानों के निर्माण क्षेत्रफल का सटीक आकलन मिल सकेगा. निगम को वर्तमान में मिल रहे संपत्ति राजस्व के मुकाबले ढाई से 3 करोड़ रुपए तक का अधिक राजस्व मिल सकेगा.
निगम ने जीआईएस तकनीक का किया इस्तेमाल
नगर निगम की राजस्व समिति के अध्यक्ष दिलीप गांधी ने बताया कि 'नगर निगम में पारंपरिक तरीके से ही आम लोग अपनी संपत्ति का कर जमा करवाते हैं. लेकिन ऐसे में वास्तविक संपत्ति की बजाय कम क्षेत्रफल का टैक्स कई उपभोक्ता जमा करवाते हैं. यहां तक कि बीते कुछ वर्षों में निर्माण हो जाने के बाद भी ऐसे कई मकान का संपत्ति कर निगम को प्राप्त नहीं हो पा रहा था. ऐसे में जीआईएस तकनीक का इस्तेमाल कर नगर निगम ने रतलाम शहर में बने नए मकान का सर्वे और पूर्व की संपत्तियों का जीआईएस मेपिंग करवाया है.
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निगम को होने जा रहा 3 करोड़ का फायदा
नगर निगम ने ऐसे 75000 मकान का सर्वे नीचे एजेंसी से करवाया है. इस सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जिसमे कई लोगों ने संपत्ति कर बचाने के लिए अपनी वास्तविक संपत्ति के क्षेत्रफल का ब्यौरा ही नगर निगम को नहीं दिया था. नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार जीआईएस तकनीक के माध्यम से करीब ढाई से 3 करोड़ रुपए के राजस्व का फायदा नगर निगम को होने जा रहा है. बहरहाल जीआईएस तकनीक के माध्यम से नगरीय क्षेत्र में बने मकान के क्षेत्रफल का वास्तविक आकलन किया जा रहा है. जिसकी मदद से आम उपभोक्ता भी अपनी संपत्ति ब्यौरा ऑनलाइन चेक कर सकते हैं. वहीं, नगर निगम को भी संपत्ति कर के रूप में अतिरिक्त राजस्व का फायदा मिल रहा है.