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शिवहर में रसोईया संघ का प्रदर्शन, मानदेय बढ़ाने को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में अपनी मांगों को रखा - ETV BHARAT BIHAR

Rasiya Sangha Strike In Sheohar: शिवहर में रसोईया संघ द्वारा धरना दिया गया है. सभी मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे है. उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगों को रखा है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 20, 2024, 5:51 PM IST

शिवहर: बिहार में पिछले साल से ही रसोईया संघ द्वारा मानदेय में बढ़ोतरी को लेकर लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. लेकिन सरकार की अब तक इस पर नजर नहीं पड़ी है. ऐसे में शिवहर जिले में एक बार फिर से रसोईया संघ द्वारा प्रदर्शन किया गया है.

शहर में रोषपूर्ण प्रदर्शन किया: मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश रसोईया संघ के संयोजक वशिष्ठ राउत चंद्रवंशी एवं जिला अध्यक्ष देवेंद्र राय की अगुवाई में जिले के मध्यान भोजन रसोईया द्वारा शहर में रोषपूर्ण प्रदर्शन किया गया. सभी प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचा, जहां अपनी मांगों को रखा है.

10,000 रुपए मानदेय की मांग: इस दौरान कामरेड हैदर अली रंगरेज, रामनरेश राय, शांति देवी, चंद्रिका ठाकुर, सुनैना देवी, धर्मेंद्र चौधरी, नीलम देवी, राज मंगल महतो, लक्ष्मी देवी सहित सैकड़ों रसोईया रोषपूर्ण प्रदर्शन में शामिल रहे. सभी का कहना था कि 1650 रुपए मानदेय से घर गृहस्थी नहीं चलने वाला है. हमें 10,000 रुपए मानदेय चाहिए.

मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर किया अनुरोध: प्रदेश संयोजक वशिष्ठ रावत चंद्रवंशी ने कहा कि हमने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अनुरोध किया है. पत्र में बताया है कि गरीब बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी एवं अनूठी मध्यान भोजन योजना को सफल बनाने में रसोई घर का महत्वपूर्ण एवं केंद्रीय भूमिका है.

45 रुपए दैनिक मजदूरी पर करती मांग: उन्होंने अवगत कराते हुए कहा कि मध्यान भोजन बनाने वाली महिला रसोईयां दलित, महादलित, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक तथा कमजोर वर्ग से आती है. जिन्हें अत्यंत कम मानदेय दिया जा रहा है. मात्र 45 रुपए औसतन दैनिक मजदूरी पर सभी काम कर रही है. जो अकुशल मजदूरों के लिए घोषित न्यूनतम मजदूरी से भी काफी कम है. यह बात अत्यंत अपमानजनक है. उन्हें कई तरह के सामाजिक लाभ से वंचित किया जा रहा है.

ठगा हुआ महसूस कर रही: उन्होंने हवाला देते हुए कहा कि हाल ही के दिनों में राज्य के नियोजित शिक्षकों के मानदेय में बिहार सरकार ने बढ़ोतरी की है, लेकिन रसोईया के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. ऐसे में सरकार के इस भेद-भाव से राज्य की रसोइया अपने आपको ठगा हुआ महसूस करती है.

"हमारी मांग है कि एमडीएम रसोइया को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी दी जाएं. वर्ष में 10 महीने के बजाय 12 महीने का मानदेय भुगतान किया जाए. सभी कर्मी को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा का लाभ और राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए. मांग पूरा नहीं होने पर पुनः धरना प्रदर्शन दिया जाएगा." - वशिष्ठ रावत चंद्रवंशी, प्रदेश संयोजक, रसोईया संघ

इसे भी पढ़े- यह कैसी सरकार, काम 12 महीना और वेतन 10 माह का, मध्यान भोजन रसोइया संघ ने पटना में भरी हुंकार

शिवहर: बिहार में पिछले साल से ही रसोईया संघ द्वारा मानदेय में बढ़ोतरी को लेकर लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. लेकिन सरकार की अब तक इस पर नजर नहीं पड़ी है. ऐसे में शिवहर जिले में एक बार फिर से रसोईया संघ द्वारा प्रदर्शन किया गया है.

शहर में रोषपूर्ण प्रदर्शन किया: मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश रसोईया संघ के संयोजक वशिष्ठ राउत चंद्रवंशी एवं जिला अध्यक्ष देवेंद्र राय की अगुवाई में जिले के मध्यान भोजन रसोईया द्वारा शहर में रोषपूर्ण प्रदर्शन किया गया. सभी प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचा, जहां अपनी मांगों को रखा है.

10,000 रुपए मानदेय की मांग: इस दौरान कामरेड हैदर अली रंगरेज, रामनरेश राय, शांति देवी, चंद्रिका ठाकुर, सुनैना देवी, धर्मेंद्र चौधरी, नीलम देवी, राज मंगल महतो, लक्ष्मी देवी सहित सैकड़ों रसोईया रोषपूर्ण प्रदर्शन में शामिल रहे. सभी का कहना था कि 1650 रुपए मानदेय से घर गृहस्थी नहीं चलने वाला है. हमें 10,000 रुपए मानदेय चाहिए.

मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर किया अनुरोध: प्रदेश संयोजक वशिष्ठ रावत चंद्रवंशी ने कहा कि हमने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अनुरोध किया है. पत्र में बताया है कि गरीब बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी एवं अनूठी मध्यान भोजन योजना को सफल बनाने में रसोई घर का महत्वपूर्ण एवं केंद्रीय भूमिका है.

45 रुपए दैनिक मजदूरी पर करती मांग: उन्होंने अवगत कराते हुए कहा कि मध्यान भोजन बनाने वाली महिला रसोईयां दलित, महादलित, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक तथा कमजोर वर्ग से आती है. जिन्हें अत्यंत कम मानदेय दिया जा रहा है. मात्र 45 रुपए औसतन दैनिक मजदूरी पर सभी काम कर रही है. जो अकुशल मजदूरों के लिए घोषित न्यूनतम मजदूरी से भी काफी कम है. यह बात अत्यंत अपमानजनक है. उन्हें कई तरह के सामाजिक लाभ से वंचित किया जा रहा है.

ठगा हुआ महसूस कर रही: उन्होंने हवाला देते हुए कहा कि हाल ही के दिनों में राज्य के नियोजित शिक्षकों के मानदेय में बिहार सरकार ने बढ़ोतरी की है, लेकिन रसोईया के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. ऐसे में सरकार के इस भेद-भाव से राज्य की रसोइया अपने आपको ठगा हुआ महसूस करती है.

"हमारी मांग है कि एमडीएम रसोइया को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी दी जाएं. वर्ष में 10 महीने के बजाय 12 महीने का मानदेय भुगतान किया जाए. सभी कर्मी को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा का लाभ और राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए. मांग पूरा नहीं होने पर पुनः धरना प्रदर्शन दिया जाएगा." - वशिष्ठ रावत चंद्रवंशी, प्रदेश संयोजक, रसोईया संघ

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