रांचीः राजधानी के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान जहां एक तरफ मॉर्निंग और इवनिंग वॉक करने वाले लोगों के लिए स्वर्ग जैसा है, वहीं दूसरी तरफ खुले में शराब पीने वालों के लिए भी यह सबसे मुफीद जगह बन गया है. शराब पीकर मोरहाबादी मैदान में वाहन चलाने की वजह से अक्सर हादसे सामने आ रहे हैं. जिसमें लोगों की जान भी जा रही है.
खतरनाक हुआ मोरहाबादी मैदान
बीते सोमवार की रात जिस तरह से रांची के मोरहाबादी मैदान में एक अनियंत्रित वाहन ने चार लोगों को रौंद डाला, जिसमें एक सरकारी अधिकारी की मौत हो गई. जबकि उनकी पत्नी सहित तीन अन्य लोग बुरी तरह से घायल होकर अस्पताल में पड़े हुए हैं. इस हादसे में एक महिला की कमर की हड्डी टूट गई. इस घटना ने एक बार फिर से रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. हादसे को लेकर हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया है.
हकीकत यह है कि मैदान आम लोगों के लिए खतरनाक हो गया है. खासकर शाम 6 बजे के बाद तो मोरहाबादी मैदान में आम लोगों के लिए चलना भी मुश्किल है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है मैदान के पास स्थित दो शराब दुकान और एक बार. रांची के मोरहाबादी मैदान के पास शाम होते ही शराबियों का जमावड़ा लग जाता है. सड़क के किनारे अनगिनत लगे ठेलों के पास शराबियों का जमावड़ा लग जाता है और वह वहीं खुले में बैठकर ही शराब पीते हैं. शराब का नशा चढ़ने पर जब भी अपने वाहनों को लेकर निकलते हैं तब उनका अपने ऊपर कोई नियंत्रण नहीं होता है और इसका खामियाजा सड़क पर पैदल चलने वाले लोगों को भुगतना पड़ता है.
करमटोली चौक से लेकर म्यूजियम तक शराबियों का अड्डा
रांची के करमटोली चौक से लेकर मोरहाबादी मैदान स्थित म्यूजियम तक शाम ढलते सड़क का एक किनारा पूरी तरह से शराबियों का अड्डा बन जाता है. मोरहाबादी मैदान के पास स्थित दो शराब दुकानों से लोग शराब खरीदते हैं और फिर सड़क पर ही बैठकर शराब को पीते भी हैं. कभी-कभार पुलिस के द्वारा शराबियों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है लेकिन फिर दूसरे दिन उसी सड़क पर स्थिति पिछले दिन की तरह ही नजर आती है.
रैश ड्राइविंग भी हादसों का कारण
मोरहाबादी मैदान के चारों तरफ बेहतरीन सड़क का निर्माण किया गया है, लेकिन अब यही बेहतरीन सड़क लोगों के लिए मुसीबत बन गई है. सुबह से लेकर शाम तक नवयुवक एक तरफ जहां बाइक का स्टंट करते इस मैदान में नजर आते हैं, वहीं कार सवार भी बेहद तेज गति से अपने वाहन को चलाते हैं. पिछले 1 साल के भीतर दो दर्जन से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. जिनमें रैश ड्राइविंग की वजह से खुद बाइक सवार और कार चालक ही घायल हुए हैं. वहीं जब वाहन अनियंत्रित होता है तो राहगीर भी उसका निशान बन जाते हैं.
तीन जगह बना शराबियों का अड्डा
मोरहाबादी मैदान के आसपास तीन स्थानों पर शराबियों का अड्डा विकसित हो गया है. उनमें पहला है कांके रजिस्ट्री ऑफिस के पास, दूसरा पंचमुखी मंदिर के पास और तीसरा म्यूजियम के पास. तीनों ही स्थान पर शाम ढलते ही अनगिनत ठेले वहां लग जाते हैं, जिसके अंदर बैठकर शराबी शराब का सेवन करते हैं.
दो सप्ताह के भीतर तीन लोगों ने गवाई जान
रांची के मोरहाबादी मैदान और उसके आसपास वाली सड़क पर पिछले दो सप्ताह के भीतर तीन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वही आधा दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. बीते सोमवार को हुए ड्रंक एंड ड्राइव मामले में मोरहाबादी के रहने वाले अरुण कुमार सिंह की मौत हो गई. वहीं पिछले सप्ताह मोराबादी मैदान के दूसरी तरफ प्रेस क्लब के पास दो छात्रों को एक वाहन ने कुचल दिया था, जिसमें दोनों की दर्दनाक मौत हो गई थी. ऐसा नहीं है कि मोरहाबादी मैदान में यह हादसे हाल के दिनों में हो रहे हैं, दरअसल मोरहाबादी मैदान में अक्सर सड़क हादसे सामने आते हैं, जिसकी वजह से कई लोगों को अपनी जान का नुकसान उठाना पड़ा है तो कई घायल होकर अस्पताल पहुचे हैं.
क्या कर रही है पुलिस
झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह ने बताया कि मोरहाबादी में सोमवार को हुआ हादसा काफी दुखदायी है. डीजीपी के अनुसार ड्रंक एंड ड्राइव को लेकर रांची पुलिस को वृहद रूप से अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है. भविष्य में ऐसी वारदात मोराबादी मैदान में सामने ना आए इसके लिए कई निर्देश रांची पुलिस को जारी किए गए हैं.
पुलिस रोके शराबियों को
रांची के मोरहाबादी मैदान में सुबह और शाम में काफी लोग टहलने के लिए निकलते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार शराबियों की वजह से मोराबादी मैदान का वातावरण बेहद खराब हो गया है. अब मोरहाबादी मैदान में टहलने में भी डर लगता है. स्थानीय लोगों ने यह मांग की है कि मोराबादी मैदान में वृहद अभियान चलाकर शराबियों को खदेड़ा जाए और अगर संभव हो तो शराब की दुकान को भी बंद करवाया जाए.
आंकड़े चौकाने वाले
रांची पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले एक साल में रांची के मोरहाीबादी मैदान में रैश ड्राइविंग को लेकर एक दर्जन से ज्यादा मामले थानों में रिपोर्ट किए गए हैं. एक साल के भीतर लगभग 20 लोग दूसरे वाहनों के चपेट में आकर घायल हुए हैं. घायल होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या महिलाओं और बच्चों की है.
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