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ठगों के इंटरनेशनल नेटवर्क को खंगालने में जुटी सीआईडी, यूके-ऑस्ट्रेलिया वालों से की जा रही थी ठगी

International Cyber Thugs In Ranchi. रांची में इंटरनेशनल कॉल सेंटर के नाम पर ऑस्ट्रेलिया और यूके के कितने लोगों के साथ ठगी की गई थी और इस नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं यह पता लगाने के लिए सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच केंद्रीय एजेसियों का भी सहयोग लेगी. इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर और सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच फिलहाल इस मामले की तफ्तीश कर रही है.

International Cyber Thugs In Ranchi
International Cyber Thugs In Ranchi
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 20, 2024, 10:32 PM IST

ठगों के इंटरनेशनल नेटवर्क को खंगालने में जुटी सीआईडी

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में बैठकर यूके और ऑस्ट्रेलिया के बुजुर्ग नागरिकों के साथ ठगी करने वाले नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं. चुकी यह नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्टिव था इसलिए सीआईडी की टीम मामले की तफ्तीश के लिए केंद्रीय एजेंसियों के संपर्क में है. झारखंड सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि इस नेटवर्क का खुलासा बिना सेंट्रल एजेंसियों की मदद के पॉसिबल ही नहीं है. इस गिरोह का जाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है इसलिए सीआईडी की टीम अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के साथ-साथ देश की एजेंसियों के साथ भी संपर्क कर रही है.

सीआईडी डीजी के अनुसार इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच में सक्षम है इसलिए हम उनकी मदद ले रहे हैं. चुकी यह विश्व स्तर पर साइबर क्राइम को लेकर भारत की बदनामी का सवाल है इसलिए सीआईडी इसे लेकर बेहद गंभीर है. सीआईडी डीजी के अनुसार पूरे मामले की तफ्तीश बेहतर तरीके से की जाएगी ताकि आरोपियों को सजा भी दिलाई जा सके. ठगी के मामले में अंतरराष्ट्रीय लिंक सामने आया है जिसकी जांच की जा रही है.


करोड़ों की ठगी का अनुमान

इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर में कार्यरत एसीपी जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि रांची में चल रहे फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर से कितने की ठगी की गई है इसका अनुमान अभी तक नहीं लग पाया गया है. लेकिन यह ठगी करोड़ों से ज्यादा की है.

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच के द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया गया है. इस कॉल सेंटर से यूके और ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को ठगा जाता था. सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच को यह सूचना मिली थी की राजधानी रांची के कॉल सेंटर से यूके और ऑस्ट्रेलिया के बुजुर्ग लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है. गिरोह के द्वारा यूके और ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को उनके लैपटॉप और कंप्यूटर पर वायरस होने से संबंधित मैसेज रांची से भेजे जाते थे. बाद में रांची से ही यूके और आस्ट्रेलिया के भाषा मे रांची से फोन कर वहां के नागरिकों को फंसा कर उनसे पैसे की ठगी की जाती थी.

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि कभी इंटरनेट स्पीड बढ़ाने के नाम पर लोगों को झांसे में लिया जाता था तो कभी FIB (विदेशी इंटेलिजेंस ब्यूरो) के नाम पर मेल भेज उन्हें डरा धमका कर ठगी की जाती थी. इसकी सूचना मिलने के बाद सीआईडी की टीम के साथ सेंट्रल की I4C की टीम के द्वारा रांची के किशोरगंज स्थित बीएन हाइट्स में रेड की गई. मामले की गंभीरता को देखते हुए सीआईडी साइबर क्राइम ब्रांच के द्वारा दिल्ली से इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर की टीम को बुलाया गया था.

बड़ा सा ऑफिस खोल रखा था

ठगी की वारदात को अंजाम देने के लिए गिरोह के द्वारा 65 हजार रुपए मासिक किराये पर एक बड़ा सा ऑफिस भी खोला गया था. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि जांच में यह बात सामने आई है कि गिरफ्तार एकरामुल अंसारी और रविकांत रिकी कंसलटेंसी सर्विसेज, जीजी इन्फोटेक और आरोग्य ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे.

फर्जी कॉल सेंटर से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लोगों को इंटरनेट कॉलिंग सॉफ्टवेयर से कॉल किया जाता था. जिसमें उन्हें बताया जाता कि वह इंटेलिजेंस एजेंसी से बोल रहे हैं. यह गिरोह विदेश के लोगों को ईमेल रिमोट डेस्कटॉप एप्लीकेशन का प्रयोग कर ठगी कर रहे थे. सीआईडी डीजी के अनुसार एकराम इससे पहले यूपी के गोरखपुर में फर्जी कॉल सेंटर चला कर ठगी किया करता था. वहां वह गिरफ्तार भी किया गया था. जेल से छूटने के बाद उसने रांची में कॉल सेंटर खोल लिया.

ये भी पढ़ें-

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रांची में बैठ इंग्लैंड - ऑस्ट्रेलिया में ठगी, इंटेलिजेंस एजेंसी के नाम पर हो रही थी वसूली

ठगों के इंटरनेशनल नेटवर्क को खंगालने में जुटी सीआईडी

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में बैठकर यूके और ऑस्ट्रेलिया के बुजुर्ग नागरिकों के साथ ठगी करने वाले नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं. चुकी यह नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्टिव था इसलिए सीआईडी की टीम मामले की तफ्तीश के लिए केंद्रीय एजेंसियों के संपर्क में है. झारखंड सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि इस नेटवर्क का खुलासा बिना सेंट्रल एजेंसियों की मदद के पॉसिबल ही नहीं है. इस गिरोह का जाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है इसलिए सीआईडी की टीम अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के साथ-साथ देश की एजेंसियों के साथ भी संपर्क कर रही है.

सीआईडी डीजी के अनुसार इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच में सक्षम है इसलिए हम उनकी मदद ले रहे हैं. चुकी यह विश्व स्तर पर साइबर क्राइम को लेकर भारत की बदनामी का सवाल है इसलिए सीआईडी इसे लेकर बेहद गंभीर है. सीआईडी डीजी के अनुसार पूरे मामले की तफ्तीश बेहतर तरीके से की जाएगी ताकि आरोपियों को सजा भी दिलाई जा सके. ठगी के मामले में अंतरराष्ट्रीय लिंक सामने आया है जिसकी जांच की जा रही है.


करोड़ों की ठगी का अनुमान

इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर में कार्यरत एसीपी जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि रांची में चल रहे फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर से कितने की ठगी की गई है इसका अनुमान अभी तक नहीं लग पाया गया है. लेकिन यह ठगी करोड़ों से ज्यादा की है.

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच के द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया गया है. इस कॉल सेंटर से यूके और ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को ठगा जाता था. सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच को यह सूचना मिली थी की राजधानी रांची के कॉल सेंटर से यूके और ऑस्ट्रेलिया के बुजुर्ग लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है. गिरोह के द्वारा यूके और ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को उनके लैपटॉप और कंप्यूटर पर वायरस होने से संबंधित मैसेज रांची से भेजे जाते थे. बाद में रांची से ही यूके और आस्ट्रेलिया के भाषा मे रांची से फोन कर वहां के नागरिकों को फंसा कर उनसे पैसे की ठगी की जाती थी.

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि कभी इंटरनेट स्पीड बढ़ाने के नाम पर लोगों को झांसे में लिया जाता था तो कभी FIB (विदेशी इंटेलिजेंस ब्यूरो) के नाम पर मेल भेज उन्हें डरा धमका कर ठगी की जाती थी. इसकी सूचना मिलने के बाद सीआईडी की टीम के साथ सेंट्रल की I4C की टीम के द्वारा रांची के किशोरगंज स्थित बीएन हाइट्स में रेड की गई. मामले की गंभीरता को देखते हुए सीआईडी साइबर क्राइम ब्रांच के द्वारा दिल्ली से इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर की टीम को बुलाया गया था.

बड़ा सा ऑफिस खोल रखा था

ठगी की वारदात को अंजाम देने के लिए गिरोह के द्वारा 65 हजार रुपए मासिक किराये पर एक बड़ा सा ऑफिस भी खोला गया था. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि जांच में यह बात सामने आई है कि गिरफ्तार एकरामुल अंसारी और रविकांत रिकी कंसलटेंसी सर्विसेज, जीजी इन्फोटेक और आरोग्य ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे.

फर्जी कॉल सेंटर से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लोगों को इंटरनेट कॉलिंग सॉफ्टवेयर से कॉल किया जाता था. जिसमें उन्हें बताया जाता कि वह इंटेलिजेंस एजेंसी से बोल रहे हैं. यह गिरोह विदेश के लोगों को ईमेल रिमोट डेस्कटॉप एप्लीकेशन का प्रयोग कर ठगी कर रहे थे. सीआईडी डीजी के अनुसार एकराम इससे पहले यूपी के गोरखपुर में फर्जी कॉल सेंटर चला कर ठगी किया करता था. वहां वह गिरफ्तार भी किया गया था. जेल से छूटने के बाद उसने रांची में कॉल सेंटर खोल लिया.

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