जोधपुर. अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर का लोकार्पण हो चुका है वहां पर अभी कई प्रकार की धार्मिक गतिविधियां चल रही है, इनमे एक प्रकिया है मंडलोत्सव, जो मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की अगले दिन से 48 दिन के लिए शुरू हुई है जो 10 मार्च तक चलेगी. मंडलोत्सव के दौरान रामलला की चांदी की मूर्ति को शाम चार बजे पालकी में बिठाकर मंदिर की परिक्रमा कराई जाती है. परिक्रमा के पश्चात रामलला झूले में विराजित होते हैं. यह कार्यक्रम श्री श्री विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामी पेजावर मठ एवं राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्टी के निर्देशन में दो घंटे तक मंत्रोचार व धार्मिक गतिविधियां चलती हैं.
जोधपुरी झूले ने विराजते हैं रामलला: खास बात यह है कि जिन दो घंटों तक राम लला जिस झूले में विराजते है वह जोधपुर से गया है. झूले को 7 फरवरी को हो वहां स्थापित किया गया. राम मंदिर परिसर में इस झूले के स्थापित होने की कहानी भी रोचक है. दरअसल जोधपुर में हैंडीक्राफ्ट के एक्सपोर्टर रॉयल अम्बिएंस के अजय पाल सिंह की फैक्ट्री में विशेष रूप से झूले ही बनाए जाते हैं. 23 जनवरी को जब मंडलोत्सव मंदिर में प्रारंभ हुआ तो वहां कर्नाटक के उडप्पी के पूर्व विधायक रघुपति भट्ट मौजूद थे. रामलला की पालकी के भ्रमण के बाद झूला नहीं था. एक स्टेज पर आसन बना कर विराजमान कर मंत्रोच्चार हो रहे थे. ट्रस्ट भी झूला चाहता था, भट्ट ने तय किया कि वे झूला मंगवाएंगे फिर तलाश शुरू हुई. कई फैक्ट्रीज के झूले देखे गए. ऑनलाइन रॉयल अम्बिएंस की वेब साइट पर झूला पसंद आया तो अजय पाल सिंह के पास कॉल आया. अजय पाल ने बताया कि पहले तो उनको विश्वास नहीं हुआ कि वाकई कॉल ट्रस्ट से आया है फिर उन्होंने पुष्टि की, इसके बाद उनसे कोटेशन मांगे गए. इस पर अजय पाल सिंह ने कोटेशन देने से इंकार कर दिया, ट्रस्ट से कहा कि यह तो हमारा सौभाग्य है हमें भगवान राम की सेवा का मौका मिला है. बता दें कि राम लला की आरती के लिए भी 600 किलो शुद्ध देशी घी भी जोधपुर की गौशाला से भेजा गया था.
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तीन दिन में तैयार कर अयोध्या लेकर गए: अजयपाल सिंह ने बताया कि झूले का चयन होने के बाद उसकी जानकारी उन्होंने अपने पिता देवी सिंह सहित परिवार को दी तो सभी ने इस पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह हमारे लिए परम सौभाग्य की बात है. अजय पाल बताते है कि चयन के साथ ही ट्रस्ट ने तीन दिन में झूला मांगा था जो बड़ी टास्क थी.उन्होंने बताया कि हमने 15 कारीगरों की टीम लगाई. सब काम रोक कर सिर्फ एक ही काम दिया गया. कारीगरों ने दिन रात एक कर झूले को तैयार किया. पूरी फिनिशिंग की गई. फोल्डिंग पार्ट्स की नंबरिंग की गई, जिससे अयोध्या में फिटिंग करने में ज्यादा समय नहीं लगे.
ट्रेन में बुक किया, ट्रक से भेजना पड़ा: 5 फरवरी को अजय पाल सिंह ने झूला मरुधर एक्सप्रेस में अयोध्या के लिए बुक करवाया. परिवार के साथ अपने टिकिट भी करवाए. उन्होंने बताया कि झूला 4 फरवरी की शाम को ही रेलवे के पार्सल गोदाम में पहुंचा दिया. सुबह ट्रेन रवाना होने से पहले वे पार्सल कोच के पास यह देखने गए कि झूला सही रखा या नहीं. वहां पहुंचे तो देखा कि झूला कोच में नहीं था. उन्होंने रेलवे से सम्पर्क किया तो जवाब मिला कि जगह नहीं है कल रवाना होगा. इसके बाद उन्होंने मशक्कत कर वापस झूला रेलवे से लिया. एक ट्रक मंगवाया उसमें सुरक्षित रखवा कर रवाना किया. खुद ट्रेन से निकले. छह फरवरी की शाम को कारीगर और झूला अयोध्या पहुंचा. रात को ही फिटिंग शुरू की गई. अगले दिन शाम को राम लला को मंदिर भ्रमण के बाद उसमे विराजमान किया गया.