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भीषण गर्मी में सूखी बलरामपुर की कन्हर नदी, जलसंकट से त्राहिमाम ! - Ramanujganj Kanhar river water dry - RAMANUJGANJ KANHAR RIVER WATER DRY

बलरामपुर में अप्रैल माह में ही रामानुजगंज की जीवनदायिनी कन्हर नदी सूख चुकी है. नदी का पानी सूखने से क्षेत्र के पशु-पक्षियों को भी काफी परेशानी हो रही है. क्षेत्र में जलसंकट की स्थिति पैदा हो गई है, क्योंकि नदी के आस-पास के क्षेत्र के लोग इसी जल पर निर्भर हैं.

Ramanujganj Kanhar river water dry
सूख गई कन्हर नदी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 28, 2024, 5:00 PM IST

Updated : Apr 28, 2024, 6:39 PM IST

बलरामपुर की जीवनदायिनी सूखी

बलरामपुर: रामानुजगंज क्षेत्र की जीवनदायिनी कही जाने वाली कन्हर नदी अप्रैल माह में ही पूरी तरह से सूख चुकी है. कन्हर नदी के सूखने से रामानुजगंज में जलसंकट की स्थिति पैदा हो गई है. साथ ही नदी के सूखने के कारण आसपास के क्षेत्र का भूमिगत जलस्तर भी काफी नीचे चला गया है. रामानुजगंज की पच्चीस हजार की आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नगर पंचायत की ओर से डबरी का निर्माण कराया गया है. यही कारण है कि पशु पक्षी भी बूंद-बूंद पानी के लिए क्षेत्र में तरस रहे हैं.

क्षेत्र के लोगों को करना पड़ेगा जलसंकट का सामना: दरअसल, रामानुजगंज सहित आसपास के इलाकों की बड़ी आबादी पेयजल सहित अन्य दैनिक जरूरतों के लिए कन्हर नदी पर ही निर्भर है. मई और जून के महीने में लोगों को गंभीर जलसंकट की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. नगर पंचायत की ओर से शहरवासियों को गर्मी में पेयजल आपूर्ति कराने के लिए डबरी का निर्माण कराया गया है.

पानी स्टोरेज के लिए बना एनीकेट हुआ बेकार: कन्हर नदी में पानी स्टोरेज के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर एनीकेट का निर्माण कराया गया था, लेकिन एनीकेट का कोई भी लाभ रामानुजगंज के लोगों को नहीं मिला. एनीकेट का निर्माण सफल नहीं हो सका. एनीकेट के कुछ गेट खराब हो चुके हैं, जिसके कारण पानी का स्टोरेज नहीं हो पाता है. पानी लिकेज हो जाता है. जलसंसाधन विभाग और नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से एनीकेट की मरम्मत कराने की जरूरत है, ताकि यहां साल भर पानी का स्टोरेज बना रहे.

पानी के लिए तड़प रहे पशु-पक्षी: इस बारे में क्षेत्र में रहने वाले पूर्व सीएमओ सुदर्शन दुबे ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "वर्तमान में कन्हर नदी की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि नदी में एक बूंद पानी नहीं है. इंसानों के साथ ही पशु-पक्षियों के लिए भी पानी का संकट गहरा गया है. एनीकेट निर्माण के बाद नदी में बालू का स्तर अधिक हो गया है. बालू भरने के कारण ही पानी का स्तर नीचे चला गया है."

पहले साल भर नदी में बहता था पानी: कन्हर नदी के किनारे रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक धनंजय पाठक ने ईटीवी भारत को बताया कि, "पहले लोग नदी में ही स्नान किया करते थे, लेकिन जब से एनीकेट का निर्माण हुआ. तब से नदी की स्थिति लगातार खराब हो रही है. पहले गर्मी के मौसम में भी नदी में पानी बहता रहता था."

बता दें कि कन्हर नदी क्षेत्र की प्रमुख नदी है. यह नदी जशपुर जिले के खुड़िया पठार से निकलती है. कन्हर नदी छत्तीसगढ़ और झारखंड दो राज्यों के बीच से होकर बहती है. इन दोनों राज्यों की सीमा का निर्धारण भी करती है.

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बलरामपुर: रामानुजगंज क्षेत्र की जीवनदायिनी कही जाने वाली कन्हर नदी अप्रैल माह में ही पूरी तरह से सूख चुकी है. कन्हर नदी के सूखने से रामानुजगंज में जलसंकट की स्थिति पैदा हो गई है. साथ ही नदी के सूखने के कारण आसपास के क्षेत्र का भूमिगत जलस्तर भी काफी नीचे चला गया है. रामानुजगंज की पच्चीस हजार की आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नगर पंचायत की ओर से डबरी का निर्माण कराया गया है. यही कारण है कि पशु पक्षी भी बूंद-बूंद पानी के लिए क्षेत्र में तरस रहे हैं.

क्षेत्र के लोगों को करना पड़ेगा जलसंकट का सामना: दरअसल, रामानुजगंज सहित आसपास के इलाकों की बड़ी आबादी पेयजल सहित अन्य दैनिक जरूरतों के लिए कन्हर नदी पर ही निर्भर है. मई और जून के महीने में लोगों को गंभीर जलसंकट की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. नगर पंचायत की ओर से शहरवासियों को गर्मी में पेयजल आपूर्ति कराने के लिए डबरी का निर्माण कराया गया है.

पानी स्टोरेज के लिए बना एनीकेट हुआ बेकार: कन्हर नदी में पानी स्टोरेज के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर एनीकेट का निर्माण कराया गया था, लेकिन एनीकेट का कोई भी लाभ रामानुजगंज के लोगों को नहीं मिला. एनीकेट का निर्माण सफल नहीं हो सका. एनीकेट के कुछ गेट खराब हो चुके हैं, जिसके कारण पानी का स्टोरेज नहीं हो पाता है. पानी लिकेज हो जाता है. जलसंसाधन विभाग और नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से एनीकेट की मरम्मत कराने की जरूरत है, ताकि यहां साल भर पानी का स्टोरेज बना रहे.

पानी के लिए तड़प रहे पशु-पक्षी: इस बारे में क्षेत्र में रहने वाले पूर्व सीएमओ सुदर्शन दुबे ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "वर्तमान में कन्हर नदी की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि नदी में एक बूंद पानी नहीं है. इंसानों के साथ ही पशु-पक्षियों के लिए भी पानी का संकट गहरा गया है. एनीकेट निर्माण के बाद नदी में बालू का स्तर अधिक हो गया है. बालू भरने के कारण ही पानी का स्तर नीचे चला गया है."

पहले साल भर नदी में बहता था पानी: कन्हर नदी के किनारे रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक धनंजय पाठक ने ईटीवी भारत को बताया कि, "पहले लोग नदी में ही स्नान किया करते थे, लेकिन जब से एनीकेट का निर्माण हुआ. तब से नदी की स्थिति लगातार खराब हो रही है. पहले गर्मी के मौसम में भी नदी में पानी बहता रहता था."

बता दें कि कन्हर नदी क्षेत्र की प्रमुख नदी है. यह नदी जशपुर जिले के खुड़िया पठार से निकलती है. कन्हर नदी छत्तीसगढ़ और झारखंड दो राज्यों के बीच से होकर बहती है. इन दोनों राज्यों की सीमा का निर्धारण भी करती है.

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Last Updated : Apr 28, 2024, 6:39 PM IST
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