नई दिल्ली: दिल्ली यूपी बॉर्डर शिव कांवड़ सेवा समिति पिछले 28 सालों से निरंतर कांवड़ शिविर दिल्ली-यूपी बॉर्डर यानी शाहदरा बॉर्डर पर बिना किसी रूकावट के आयोजित करती आ रही है. कांवड़ सेवा समिति की एक खास बात यह भी है कि इस समिति में कई बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट पूरी सेवा भाव से इसका आयोजन करते आए हैं. इतना ही नहीं यह समिति इसलिए भी ज्यादा खास और अहम बन जाती है क्योंकि इसके संरक्षक दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल हैं और वह हर साल पूरी लगन और निष्ठा व सेवा भाव के साथ शिव भक्त कांवड़ियों की सेवा में अपना समय देते आए हैं.
पिछले 28 सालों से लगाया जा रहा कैंप: समिति के अध्यक्ष और दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल ने बातचीत में बताया की यह कांवड़ कैंप पिछले 28 सालों से इसी जगह पर लगाया जाता रहा है जब यहां पर दिलशाद गार्डन मेट्रो स्टेशन भी नहीं होता था. यह कांवड़ कैंप दिल्ली यूपी बॉर्डर को कनेक्ट करने वाले दिलशाद गार्डन मेट्रो स्टेशन की जगह पर लगाया जाता था. इस कांवड़ कैंप में आने वाले सभी शिव भक्तों को खाने पीने से लेकर दूसरी सभी मूलभूत और जरूरी सुविधाएं मुहैया करवायी जाती हैं. यह दिल्ली का पूरी तरह से व्यवस्थित सुविधाओं से लैस कांवड़ कैंप है.
खास बात यह है कि दिल्ली प्रवेश करने के साथ ही यह पहला कैंप है और पूरी तरह से सुव्यवस्थित है. इस कैंप में समिति के करीब 400 से ज्यादा लोगों की टीम कैंप सेवा से जुड़े अलग-अलग कार्यों को देखती हैं जिसके कई सदस्य अपनी इंडस्ट्रीज का संचालन भी करते हैं और यहां पर पूरी सेवा देने का काम करते हैं. शिविर में करीब चार-चार घंटे की ड्यूटी शिव भक्तों के लिए सेवा भाव से देते हैं.
रामनिवास गोयल ने बताया कि हरिद्वार से चलते हुए करीब 20 किलोमीटर आगे बहादराबाद में भी एक कांवड़ कैंप का आयोजन पिछले 12 सालों से आयोजित किया जा रहा है. उसमें पिछले तीन दिनों तक 20 से 22 जुलाई तक सेवाएं देने का काम मैंने खुद किया है और पूरी व्यवस्थाएं वहां पर कांवड़ियों के लिए की गई हैं. वहां पर भी कांवड़ियों की अच्छी भीड़ हर रोज आ रही है. कांवड़ियों के खाने पीने के लिए हर रोज करीब 10 क्विंटल आटा लग रहा है. वहां पर भी रोटी बनाने के लिए दो मशीनों की व्यवस्था यानी रोटी मेकर लगाई गई है जिससे कि खाने के लिए व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे.
पहले घरवालों को बोलकर मंगवाते थे खाना: दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने शुरुआती समय में और अब के वर्तमान समय में आए सेवा भाव और दूसरी चीजों में बदलाव पर कहा कि पहले जब कांवड़ कैंप लगाया था तो घरों से रोटी बनाकर आया करती थीं. घर वालों को सूचना दी जाती थी कि पांच भोले, 7 भोले, 10 भोले का खाना बनाकर भिजवा दिया जाए. इसके बाद कांवड़ कैंप में हर साल भोलों की संख्या बढ़ती गई. यहां पर हलवाई और भट्टी की व्यवस्था दो-तीन सालों तक की गई. इसके बाद से कांवड़ कैंप में भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई और सेवाओं का विस्तार होता चला गया.
- इस बार कांवड़िए ला रहे ज्यादा मात्रा में गंगाजल: रामनिवास गोयल ने बताया कि इस बार एक अलग चीज देखने को मिली है कि शिवभक्त कांवड़िया इस बार कांवड़ की बजाय जल ज्यादा लेकर आ रहे हैं जिसकी वजह से थोड़ी सी व्यवस्थाएं अव्यवस्थित हो गई हैं क्योंकि इसकी बड़ी वजह यह है कि जल को रखने के लिए जगह ज्यादा चाहिए होती है, हालांकि व्यवस्थाएं की जा रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले सालों में अगर यह सिलसिला जारी रहेगा तो जल को रखने के लिए जगह की ज्यादा व्यवस्था करनी होगी. कांवड़ रखने के लिए पहले से समुचित व्यवस्थाएं की हुई हैं लेकिन कांवड़ियां इस बार जल लेकर ज्यादा आ रहे हैं जोकि 50 से लेकर 100, 150 और 200 किलो वजन (गंगा जल) लेकर आ रहे हैं.
रामनिवास गोयल ने कहा कि 26 जुलाई को विधिवत तौर पर कांवड़ शिविर का उद्घाटन किया गया था लेकिन यहां पर खाने-पीने की व्यवस्था बनाने के लिए 3 दिन पहले ही भट्टी की व्यवस्था की गई. कांवड़ियों के लिए खाने पीने की व्यवस्था बाहर से करवाना मुमकिन नहीं था इसलिए तीन दिन पहले ही व्यवस्था शुरू करनी पड़ गई क्योंकि कांवड़ियों का आवागमन बहुत ज्यादा हो गया.
450 से ज्यादा मेंबर सेवा में जुटे हुए हैं: शिव कावड़ सेवा समिति के संयोजक और विवेक विहार श्री राम मंदिर के प्रधान अशोक कुमार गर्ग ने बताया कि शिविर में 450 से ज्यादा मेंबर पूरी सेवा में जुटे हुए हैं. करीब 200 से ज्यादा महिलाएं भी शिव भक्त कांवड़ियों की सेवा कर रही हैं. चाय नाश्ते से लेकर फ्रूट चाट, जूस और खाने का पूरा इंतजाम महिलाओं ने संभाला हुआ है.
महाराजा अग्रसेन सेवा संघ ट्रस्ट के प्रधान पराग गुप्ता ने कहा कि दिल्ली और बहादराबाद (हरिद्वार) में लगाये जाने वाले कैंपों में शिव भक्तों की सेवा करके बड़ा शुकून मिलता है. यह कांवड़ शिविर 28 साल से लग रहा है तो बहादराबाद में 12 साल हो गए. वहां पर भी शिव भक्तों की लाइन कभी नहीं टूटती है.
ठहरे और खाने पीने के खास इंतजाम: हरिद्वार के हर की पौड़ी से कांवड़ लेकर आए उत्तम नगर के कांवड़िया विशु ने बताया कि मेरठ तक अपने पैसों से ही सब कुछ करना पड़ता है, लेकिन इससे आगे कांवड़ शिविर की व्यवस्था मिलनी शुरू हो जाती है. यहां पर बहुत अच्छी व्यवस्था की हुई है.
मंगोलपुरी के कांवड़िया हिमांशु ने कहा कि वह हरिद्वार से कांवड़ लेकर आए हैं और यहां कैंप में ठहरे हुए हैं यहां पर खाने पीने की और सभी तरह की सुविधाओं का खास इंतजाम किया हुआ है.
बता दें कि आगामी 2 अगस्त को भगवान भोले नाथ का जलाभिषेक किया जाएगा. इसके लिए अब हरिद्वार और गोमुख से कांवड़ लाने वाले कांवड़ियों को आगमन दिल्ली में बढ़ने लगा है. आने वाले 3-4 दिनों में इसकी संख्या में जबर्दस्त वृद्धि होने की संभावना है. दरअसल, हरियाणा और राजस्थान जाने वाले कांवड़िए बड़ी संख्या में दिल्ली के अलग-अलग मार्गों व बॉर्डरों से गुजरते हैं.