बीकानेर. सनातन धर्म में रक्षा बंधन का बहुत महत्त्व है.रक्षाबंधन के दिन हिन्दुओं का अत्यधिक महत्वपूर्ण त्यौहार है. इस दिन बहनें अपने भाई की दीर्घायु के लिए एवं सुख समृद्धि वैभव की कामना को लेकर कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित अपराह्न काल में प्रति वर्ष रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है. रक्षाबंधन का पर्व आज यानी 19 अगस्त को मनाया जा रहा है. रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के शुभ मुहूर्त को लेकर इस बार भद्रा का साया होने से ज्योतिष और धर्मशास्त्र के जानकारों ने दोपहर बाद का समय बताया है. हालांकि कई लोगों का मानना है कि सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद अगर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है तो उत्तम होगा क्योंकि उस वक्त प्रदोष काल होता है. वहीं ज्योतिर्विद कपिल जोशी का कहना है कि दोपहर 2:10 बजे बाद रक्षाबंधन पर्व मनाया जाना उचित है ओर रात्रि सात बजे तक समय सर्वश्रेष्ठ है.
रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह त्योहार भाई बहन के स्नेह की डोर में बांधने वाला त्योहार है, इस दिन बहन भाई के हाथ में रक्षा बांधती है. इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन बहुत ही शुभ दिन बन रहा है. रक्षाबंधन के दिन श्रावण माह के अंतिम सोमवार पर है, जो भगवन शिव के पूजन के लिए बहुत ही शुभ दिन है. बहनें श्रावण मास की अंतिम सोमवारी का व्रत करेंगी. वहीं भाई अपने बहन की रक्षा के लिए श्रावण मास की अंतिम सोमवार को शिव के पूजन करने के बाद रक्षाबंधन करेंगे. महादेव का पूजन करने का अद्भुत दिन है. लेकिन इस दिन भद्रा की साया दोपहर तक रहेगा.
भद्रा में मना सकते हैं रक्षाबंधन ? : वहीं, पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि ज्योतिष शास्त्र एवं धर्मग्रंथों के आधार पर भद्रा में रक्षा बंधन एवं होलिका दहन नहीं किया जाता है. लेकिन परिस्थितिजन्य स्थिति में ज्योतिष शास्त्र एवं धर्म शास्त्रों में इसको लेकर उल्लेख किया गया है. वे कहते हैं कि यदि पर्व के दिन में भद्रा हो तो भद्रा के परिहाय वाक्य जो ज्योतिष शास्त्र के मुहूर्त ग्रंथों मुहूर्त चिनामणि, मुहूर्त मार्तण्ड, शीघ्र बोध, बालबोध मुहूर्त कल्पदम् आदि में लिखा है कि यदि भद्रा इन चार स्थितियों में हो तो उसका कोई दोष नहीं होता.
भद्रा की इन चार स्थितियों में दोष नहीं :
- स्वर्ग और पाताल में भद्रा का वास हो
- प्रतिकूल काल वाली भद्रा हो
- दिनार्ध के बाद भद्रा हो
- भद्रा का पुच्छ काल हो
शुभ मुहूर्त : किराडू कहते हैं कि विशेष परिस्थिति में परिहार वचनों 'मध्यानातपरत शुभम' के अनुसार दिन विशेष में भद्रा होने पर मध्यान काल उपरान्त आवश्यक कायों को किया जा सकता है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित समय अपराह्न काल के समय रक्षा बंधन किया जाता है.
कब प्रारंभ हुआ रक्षा बंधन पर्व : स्कन्द पुराण के अनुसार देवासुर संग्राम के समय देवताओं के गुरु बृहस्पति ने इन्द्र की रक्षा के लिए रक्षासूत्र बांधा था. पौराणिक मान्यता अनुसार इसी दिन माता लक्ष्मी ने भी राजा बलि के अनुरोध पर उसकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था.