लखनऊ: यूपी में राज्यसभा की 10 सीट के लिए अब 11 उम्मीदवार मैदान में आ गए हैं. सभी के नामांकन पर्चे सही पाए गए हैं. इससे एक बात तो तय हो गई है कि यूपी में राज्यसभा चुनाव 2024 काफी दिलचस्प रहेगा. साथ ही यह भी तय है कि अब मतदान होगा. आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा के पाले में 7 और समाजवादी पार्टी के पाले में 2 सीट जाती दिखाई दे रही हैं. एक सीट के लिए दोनों दल में जोर आजमाइश रहेगी.
राज्यसभा चुनाव 2024 में क्या है वोटों का गणित: राज्यसभा चुनाव का मतदान राज्य की विधानसभा में होता है. इसमें सिर्फ विधायक ही वोट डालते हैं. राज्यसभा की खाली सीट और मौजूदा विधायकों की संख्या के आधार पर एक निश्चित वोट जीत का आधार होता है. यूपी की स्थिति के अनुसार इस बार राज्यसभा चुनाव के प्रत्याशी को जीत के लिए 37 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा.
राज्यसभा चुनाव में वोट की गणना का क्या है फार्मूला: विधानसभा में राज्यसभा चुनाव के समय मौजूद विधायकों की संख्या को राज्य में निर्वाचित होने वाली यानी राज्यासभा की खाली सीटों में एक जोड़कर भाग देने पर जो संख्या आती है, उतने विधायकों का समर्थन प्रत्याशी को जीत के लिए चाहिए होता है. यूपी की बात करें तो विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं. लेकिन, वर्तमान में चार सीट खाली हैं. इस हिसाब से कुल 399 विधायक हैं. वर्तमान में यूपी में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव होना है. इस हिसाब से 399 को जब 11 से भाग देंगे तो संख्या आती है लगभग 37. इतने विधायक ही एक प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करेंगे.
यूपी में एनडीए के विधायक : 286
- भाजपा : 252
- अपना दल (एस) : 13
- रालोद : 9
- निषाद पार्टी : 06
- सुभासपा : 06
कैसे मिलेगी भाजपा को आठवीं सीट: यूपी में भाजपा यानी एनडीए के पास कुल 286 विधायक हैं. इसमें जयंत चौधरी की रालोद के 9 विधायक भी शामिल हैं. इस हिसाब से भाजपा के सात प्रत्याशियों का राज्यसभा में जाना तय है. लेकिन, भाजपा में संजय सेठ के रूप में अपना आठवां प्रत्याशी भी मैदान में उतार दिया है. इस सीट को जीतने के लिए भाजपा के पास सिर्फ 27 विधायकों का ही समर्थन है. ऐसे में भाजपा को आठवीं सीट जीतने के लिए क्रॉस वोटिंग का सहारा है. इसके लिए भाजपा सपा के विधायकों में सेंध लगाने की कोशिश करेगी.
यूपी में इंडिया गठबंधन के विधायक : 110
- सपा: 108
- कांग्रेस : 02
जयंत ने सपा का बिगाड़ा खेल, कैसे मिलेगी तीसरी सीट: इंडिया गठबंधन से अलग होकर रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने सपा के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. अब उसके सामने तीसरी सीट जीतने का संकट खड़ा हो गया है. सपा के पास अपने 108 और कांग्रेस के 2 मिलाकर कुल 110 विधायक हैं. ऐसे में सपा के पाले में 2 राज्यसभा की सीटें तो जाना तय है. तीसरी सीट के लिए सपा के 36 विधायकों का तो समर्थन है, बस एक की कमी है. इसके लिए सपा को या तो बुआ मायावती का सहारा लेना होगा या फिर जनसत्ता या निर्दल विधायक का समर्थन लेने की जुगत लगानी होगी.
निर्दलीय व अन्य दल के विधायक: 6
- जनसत्ता दल : 2
- बसपा : 1
- निर्दलीय : 3
11वें प्रत्याशी ने फंसाई 10वीं सीट: भाजपा ने संजय सेठ को अपना आठवां उम्मीदवार घोषित करके राज्यसभा की 10वीं सीट पर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है. संख्याबल के हिसाब से इस सीट के लिए जहां भाजपा को 10 विधायकों का समर्थन जुटाने की जुगत लगानी होगी, वहीं सपा को सिर्फ एक विधायक के समर्थन की आवश्यकता होगी. अब 27 फरवरी को देखना होगा कि भाजपा सपा में सेंधमारी करके क्रॉस वोटिंग कराने में कामयाब हो पाती है या अखिलेश बुआ मायावती या निर्दल का समर्थन लेने में कामयाब होंगे.
भाजपा ने 2018 में भी उतारा था एक ज्यादा प्रत्याशी, जीती थी नवीं सीट: भाजपा इस बार के राज्यसभा चुनाव में 2018 का इतिहास दोहराने की कोशिश में है. 2018 में भाजपा के पास सिर्फ 8 सीट जीतने के लायक विधायक थे. लेकिन, उसने नवां प्रत्याशी उतारकर खलबली मचा दी थी. बाद में भाजपा ने नवीं सीट जीत भी ली थी. वैसी ही स्थिति इस बार भी है.