ETV Bharat / state

इस जुनूनी गुरु ने हजारों बच्चों को बनाया तैराक, 44 साल से नि:शुल्क दे रहे प्रशिक्षण - Free Swimming Training - FREE SWIMMING TRAINING

उदयपुर में भीषण गर्मी के बीच लोग तैराकी के गुर सीख रहे हैं और वो भी नि:शुल्क. यहां लोगों को तैराकी सिखाने वाले राजू भाई पिछले 44 साल से इसी काम को कर रहे हैं.

जुनूनी गुरु ने हजारों बच्चों को बनाया तैराक
जुनूनी गुरु ने हजारों बच्चों को बनाया तैराक
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 1, 2024, 1:56 PM IST

जुनूनी गुरु ने हजारों बच्चों को बनाया तैराक

उदयपुर. कहते हैं दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो हर हाल में कामयाबी हासिल होती है. इस कथन को चरितार्थ किया है उदयपुर के राजू भाई ने. राजू भाई पिछले 44 साल से यहां लोगों को तैराकी के गुर सीखा रहे हैं. दरअसल, 44 साल पहले राजू भाई ने लेक सिटी में हर रोज एक तैराक पैदा करने का संकल्प लिया था. इसके लिए वो हर रोज फतेहसागर की पाल पर बैठे रहते हैं और जो भी उनसे तैराकी सीखना चाहता है, उसे नि:शुल्क तैराकी सिखाते हैं. गर्मी में तो हर दिन 200 से ज्यादा बच्चें उनसे तैराकी सीखने के लिए आते हैं.

राजू भाई अब तक अनगिनत लोगों को तैराकी की सीखा चुके हैं. वो अक्सर उदयपुर की खूबसूरत फतेहसागर झील की पोड़ी पर नजर आते हैं. यहां को बच्चों को नि:शुल्क तैराकी का प्रशिक्षण देते हैं और बच्चों के साथ खुद भी परिश्रम करते हैं.

इस बीच फतेहसागर झील पर सुबह-सवेरे मॉर्निंग वॉकर्स के साथ-साथ तैराकी करने वाले लोगों की भी संख्या बढ़ने लगी है. यही नहीं नन्हे मुन्ने बच्चे भी फतेहसागर झील में तैराकी सीखने के लिए पहुंचते हैं. राजू भाई बताते हैं कि उनकी कोई तैराकी अकादमी नहीं है. बल्कि वो फतहसागर की पाल पर बैठते हैं और कोई भी माता-पिता तैराकी के लिए बच्चों को फतेहसागर लेकर आता है तो वह पूरे सुरक्षा इंतेजामत के साथ उन्हें तैराकी सीखाना स्वीकार कर लेते हैं.

1980 से सीखा रहे तैराकी : राजू भाई ने बताया कि 1980 में उन्होंने फतेहसागर झील में तैराकी सीखाने का मानस बनाया और फिर यह लक्ष्य तय कर लिया कि वह औसतन एक तैराक रोजाना तैयार करेंगे. गर्मी के मौसम में राजू भाई के पास 200 से ज्यादा बच्चे एक साथ तैराकी सीखने के लिए आने लगते हैं. जिनमें 100 से ज्यादा बच्चे महज 15 दिन में फतेहसागर जैसी बड़ी झील में मछली की तरह तैरने लगते हैं. नन्हे मुन्ने बच्चों के माता-पिता को राजू भाई पर इतना विश्वास है कि वो उन्हीं के भरोसे बच्चों को कई फीट गहरी झील के पानी में उतार देते हैं.

इसे भी पढ़ें : उदयपुर को मिल सकता है वेटलैंड सिटी का दर्जा, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने दी जानकारी

तैराकों पर नजर गढ़ाएं रखते हैं राजू भाई : राजू भाई तैराकी प्रशिक्षण के दौरान सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त रखते हैं और उनके द्वारा तैयार किया जा रहे एक-एक तैराक का पूरा ध्यान रखते हुए पहले तो उन्हें किनारे पर ही तैरना सीखाते हैं और फिर धीरे-धीरे पानी के बीच में ले जाने लगते हैं. यही नहीं, राजू भाई के पास तैराकी सिखाने वाले सिर्फ बच्चे ही नहीं है बल्कि अब कई बड़े लोग भी तैराकी सीखने के लिए उनसे संपर्क करते हैं. कई वर्षों बाद भी जब उनके द्वारा बनाए गए तैराक जब उनसे मिलते हैं तो उनके पांव छूएं बिना नहीं रह पाते. राजू भाई का मानना है कि ज्यादा से ज्यादा तैराक तैयार करने की उनकी इच्छा ने एक जुनून पैदा किया है, जिसमें उन्हें काफी सफलता मिली है. बड़ी बात यह है कि पिछले 44 वर्षों में इस तैराकी प्रशिक्षण के दौरान कोई हादसा घटित नहीं हुआ, ऐसे में लोगों का राजू भाई पर विश्वास दिन दोगुना रात चौगुना बढ़ता जा रहा है.

जुनूनी गुरु ने हजारों बच्चों को बनाया तैराक

उदयपुर. कहते हैं दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो हर हाल में कामयाबी हासिल होती है. इस कथन को चरितार्थ किया है उदयपुर के राजू भाई ने. राजू भाई पिछले 44 साल से यहां लोगों को तैराकी के गुर सीखा रहे हैं. दरअसल, 44 साल पहले राजू भाई ने लेक सिटी में हर रोज एक तैराक पैदा करने का संकल्प लिया था. इसके लिए वो हर रोज फतेहसागर की पाल पर बैठे रहते हैं और जो भी उनसे तैराकी सीखना चाहता है, उसे नि:शुल्क तैराकी सिखाते हैं. गर्मी में तो हर दिन 200 से ज्यादा बच्चें उनसे तैराकी सीखने के लिए आते हैं.

राजू भाई अब तक अनगिनत लोगों को तैराकी की सीखा चुके हैं. वो अक्सर उदयपुर की खूबसूरत फतेहसागर झील की पोड़ी पर नजर आते हैं. यहां को बच्चों को नि:शुल्क तैराकी का प्रशिक्षण देते हैं और बच्चों के साथ खुद भी परिश्रम करते हैं.

इस बीच फतेहसागर झील पर सुबह-सवेरे मॉर्निंग वॉकर्स के साथ-साथ तैराकी करने वाले लोगों की भी संख्या बढ़ने लगी है. यही नहीं नन्हे मुन्ने बच्चे भी फतेहसागर झील में तैराकी सीखने के लिए पहुंचते हैं. राजू भाई बताते हैं कि उनकी कोई तैराकी अकादमी नहीं है. बल्कि वो फतहसागर की पाल पर बैठते हैं और कोई भी माता-पिता तैराकी के लिए बच्चों को फतेहसागर लेकर आता है तो वह पूरे सुरक्षा इंतेजामत के साथ उन्हें तैराकी सीखाना स्वीकार कर लेते हैं.

1980 से सीखा रहे तैराकी : राजू भाई ने बताया कि 1980 में उन्होंने फतेहसागर झील में तैराकी सीखाने का मानस बनाया और फिर यह लक्ष्य तय कर लिया कि वह औसतन एक तैराक रोजाना तैयार करेंगे. गर्मी के मौसम में राजू भाई के पास 200 से ज्यादा बच्चे एक साथ तैराकी सीखने के लिए आने लगते हैं. जिनमें 100 से ज्यादा बच्चे महज 15 दिन में फतेहसागर जैसी बड़ी झील में मछली की तरह तैरने लगते हैं. नन्हे मुन्ने बच्चों के माता-पिता को राजू भाई पर इतना विश्वास है कि वो उन्हीं के भरोसे बच्चों को कई फीट गहरी झील के पानी में उतार देते हैं.

इसे भी पढ़ें : उदयपुर को मिल सकता है वेटलैंड सिटी का दर्जा, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने दी जानकारी

तैराकों पर नजर गढ़ाएं रखते हैं राजू भाई : राजू भाई तैराकी प्रशिक्षण के दौरान सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त रखते हैं और उनके द्वारा तैयार किया जा रहे एक-एक तैराक का पूरा ध्यान रखते हुए पहले तो उन्हें किनारे पर ही तैरना सीखाते हैं और फिर धीरे-धीरे पानी के बीच में ले जाने लगते हैं. यही नहीं, राजू भाई के पास तैराकी सिखाने वाले सिर्फ बच्चे ही नहीं है बल्कि अब कई बड़े लोग भी तैराकी सीखने के लिए उनसे संपर्क करते हैं. कई वर्षों बाद भी जब उनके द्वारा बनाए गए तैराक जब उनसे मिलते हैं तो उनके पांव छूएं बिना नहीं रह पाते. राजू भाई का मानना है कि ज्यादा से ज्यादा तैराक तैयार करने की उनकी इच्छा ने एक जुनून पैदा किया है, जिसमें उन्हें काफी सफलता मिली है. बड़ी बात यह है कि पिछले 44 वर्षों में इस तैराकी प्रशिक्षण के दौरान कोई हादसा घटित नहीं हुआ, ऐसे में लोगों का राजू भाई पर विश्वास दिन दोगुना रात चौगुना बढ़ता जा रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.