राजगढ़। राजगढ़ शहर में रोज सुबह 6 बजे भोंपू की आवाज़ सुनाई देती है. एक बुजुर्ग अपने झुके हुए कांधों पर झोला लटकाए हुए ब्रेड बेचता है. उनका तरीका वही बरसों पुराना है. जिसमें केवल भोपू की ही आवाज निकालते हैं, इनकी उम्र लगभग 80 साल है. खुद्दारी ऐसी कि कभी किसी से कोई मदद नहीं मांगी. बचपन से ही घर-घर जाकर ब्रेड बेच रहे हैं. खुद की शादी नहीं कराई लेकिन अपने दोनों भाइयों के लिए जीवन समर्पित कर दिया.
बचपन से ही ब्रेड बेच रहे हैं कन्हैया गिर
शहर में निवास करने वाले कन्हैया गिर अविवाहित हैं. उन्होंने अपना घर नहीं बसाया. वे बचपन से ब्रेड बेचकर ही अपना जीवनयापन कर रहे हैं. वह रोजाना सुबह 5 बजे एक झोले में ब्रेड निकलते हैं. 4 घंटे गलियों में घूमकर ब्रेड बेचकर गुजर बसर कर रहे हैं. उनके परिवार में दो भाई और हैं, जिनकी शादियां हो चुकी हैं. वे अपने अपने परिवार के साथ रहते हैं. ईटीवी भारत ने इस बुजुर्ग व्यक्ति से बात की और उनके बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि वह राजगढ़ में डाक बंगले पर रहते हैं. ब्रेड बेचने का काम बचपन से कर रहे हैं.
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कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया
कन्हैया गिर का कहना है "मेरा कोई नही हैं. मुझे अकेले का पेट पालना है. इसलिए इसमें जितना मिलता है, गुजारा हो जाता है. रोज सुबह 5 बजे घर से निकलता हूं और 9 बजे वापस घर पहुंच जाता हूं. उसके बाद कुछ नही करता. ईश्वर जब तक चला रहा है, ये ऐसे ही चलता रहेगा." गौरतलब है कि दूसरों के आगे हाथ फैलाने वालों के लिए कन्हैया गिर एक मिसाल हैं, जिन्होंने बचपन से शुरू किया ईमानदारी का कार्य आज भी जारी रखा है.