राजगढ़। गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल में पढ़ने वालों बच्चों का नवीन सत्र 2024-25 प्रारंभ हो चुका है. ऐसे में बच्चों की एडमिशन फीस, ड्रेस, कॉपी-किताब, टिफिन आदि कई जरूरत के सामानों का इंतजाम करना होता है, जिसको लेकर अभिभावकों के अंदर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती है. ईटीवी ने ऐसे ही कुछ अभिभावकों से बात की जिनके बच्चे स्कूल में अध्ययनरत हैं. अभिभावकों का कहना है कि वे इसके लिए पहले से प्रिपेयर रहते हैं और अलग से सेविंग करते हैं. प्रोफेशन कामकाज करने वाले अभिभावक जिनकी कोई निश्चित इनकम नहीं है वे अपने घर के खर्चों में कटौती कर अपने बच्चों की शिक्षा के लिए जरूरी चीजों की पूर्ति करते हैं.
अनुमानित खर्च की पहले से होती है तैयारी
अभिभावक मनोज गुर्जर बताते है कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को स्कूल के खर्च के लिए पहले से तैयारी करनी पड़ती है. बच्चों के स्कूल की नई यूनिफॉर्म, कॉपी-किताब सहित अन्य जरूरत की वस्तु लेना होता है और उनके ट्यूशन सहित ऑटो की फीस का इंतजाम करना होता है. इसके लिए प्रोफेशनल व्यक्ति के तौर पर हम अपने खर्च को कम करते हैं और 1-2 महीने पहले से ही स्कूल के अनुमानित खर्च की तैयारी करके रखते हैं.
अभिभावक जितेंद्र मौर्य बताते है कि बच्चों की स्कूल फीस और अन्य खर्चों को हम सेविंग्स के रूप में पहले से ही मैनेज करके रखते हैं. कुछ समय के बाद ये एकत्रित होकर एक बड़ा बजट बन जाता है, जिससे हम अपने बच्चों की शिक्षा के लिए होने वाले खर्च, एडमिशन, स्कूल फीस, ड्रेस और अन्य खर्च को मैनेज करते है.
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फीस में देरी से बच्चों के डिप्रेशन की चिंता
अभिभावक प्रशांत बैस कहते है कि बच्चों की शिक्षा में होने वाले खर्च प्रतिवर्ष बढ़ते ही जाते हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए इसे मैनेज करना पड़ता है. हम अपने अन्य खर्चों में कटौती करते जाते हैं क्योंकि इनकम वही की वही है. उन्होंने बताया कि शिक्षा के लिए होने वाले खर्च को इसलिए भी समय पर मैनेज करना जरूरी है ताकि टीचर स्कूल में बच्चों को फीस के लिए रोक-टोक नहीं करें. अन्य बच्चों के बीच क्लास में फीस के लिए रोक-टोक करने पर उन्हें लगता है कि उनके अभिभावक फीस जमा करने में सक्षम नहीं हैं और उनके डिप्रेशन में जाने का डर रहता है.