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राजस्थानी भाषा को मिल सकती है मान्यता ! शिक्षा मंत्री की पहल पर मुख्य सचिव ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र - भारत सरकार को पत्र

राजस्थान सरकार ने राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए एक बार फिर अपने प्रयास तेज कर दिए हैं.

भारत सरकार को पत्र
भारत सरकार को पत्र (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 6, 2024, 7:51 AM IST

Updated : Dec 6, 2024, 11:26 AM IST

जयपुर. प्रदेशवासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. अब राजस्थानी भाषा को शीघ्र ही संवैधानिक मान्यता मिल सकती है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की पहल पर मुख्य सचिव राजस्थान सरकार सुधांश पंत ने भारत सरकार के गृह सचिव गोविंद मोहिल को पत्र लिख कर राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश की है. पत्र में राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने और इसे आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई है.

ये लिखा पत्र में : मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने अपने पत्र में भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में और भाषाओं को सम्मिलित करने एवं वस्तुनिष्ठ मानदंड तैयार करने के लिए सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश में विभिन्न भाषाओं को संवैधानिक दर्जा देने के लिए पात्र बताया गया है. समिति की सिफारिश गृह मंत्रालय में विचाराधीन है. राजस्थानी भाषा को अब तक भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया. राजस्थानी भाषा को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने की कार्यवाही के संबंध में यथोचित आदेश प्रदान किए जाए.

पढ़ें: राजस्थानी भाषा की मान्यता: छलका साहित्यकारों का दर्द, कहा- राजस्थानी भाषा को मिले उसका हक - Issue of Rajasthani language

पहले ही संकल्प पारित कर चुकी है विधानसभा : बता दें कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्रदान कर इसे भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में करने का संकल्प राजस्थान विधानसभा द्वारा 3 सितंबर 2003 को पारित किया जा चुका है. जिसे भारत सरकार की ओर मंजूर किया जाना ही शेष है. प्रदेश में माणक राजस्थानी पत्रिका सहित कई भाषा प्रेमी संस्थाओं, राजस्थानी संगठन, साहित्यकार, लेखक, शिक्षक लम्बे समय से राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिये संघर्षरत है.

राजस्थान विधानसभा का संकल्प : 3 सितंबर 2003 राजस्थान विधानसभा ने राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का संकल्प पारित किया था. यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया, लेकिन अब तक इसे मंजूरी नहीं मिल पाई है. राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए कई सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने अभियान चलाए हैं. इसके साथ राजस्थान में कई बार प्रदर्शन और आंदोलन हुए हैं, जिनमें राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने की मांग की गई.

पढ़ें: बच्चे अब किताबों में पढे़ंगे बल्ली, कागलो व बांदरो, मंत्री दिलावर बोले- जल्द लागू करेंगे स्थानीय भाषा के शब्द - Study In Rajasthani

राजस्थानी भाषा की विशिष्टता: राजस्थानी भाषा राजस्थान की संस्कृति, साहित्य, और इतिहास की पहचान है. इसे राजस्थान के कई हिस्सों में प्रमुख भाषा के रूप में बोला जाता है. राजस्थानी भाषा में कविताएं, लोकगीत, और कहानियां भारतीय साहित्य को समृद्ध करती हैं.

समिति की सिफारिश: सीताकांत महापात्र समिति ने भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए समान और वस्तुनिष्ठ मानदंड तैयार करने की सिफारिश की थी. राजस्थानी भाषा इन मानदंडों को पूरा करती है, लेकिन अब तक इसे संवैधानिक दर्जा नहीं मिला. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने केंद्र से इस मांग को मंजूरी देने की अपील की है. प्रदेश सरकार का मानना है कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने से राज्य की संस्कृति और पहचान को नई ताकत मिलेगी.

जयपुर. प्रदेशवासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. अब राजस्थानी भाषा को शीघ्र ही संवैधानिक मान्यता मिल सकती है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की पहल पर मुख्य सचिव राजस्थान सरकार सुधांश पंत ने भारत सरकार के गृह सचिव गोविंद मोहिल को पत्र लिख कर राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश की है. पत्र में राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने और इसे आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई है.

ये लिखा पत्र में : मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने अपने पत्र में भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में और भाषाओं को सम्मिलित करने एवं वस्तुनिष्ठ मानदंड तैयार करने के लिए सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश में विभिन्न भाषाओं को संवैधानिक दर्जा देने के लिए पात्र बताया गया है. समिति की सिफारिश गृह मंत्रालय में विचाराधीन है. राजस्थानी भाषा को अब तक भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया. राजस्थानी भाषा को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने की कार्यवाही के संबंध में यथोचित आदेश प्रदान किए जाए.

पढ़ें: राजस्थानी भाषा की मान्यता: छलका साहित्यकारों का दर्द, कहा- राजस्थानी भाषा को मिले उसका हक - Issue of Rajasthani language

पहले ही संकल्प पारित कर चुकी है विधानसभा : बता दें कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्रदान कर इसे भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में करने का संकल्प राजस्थान विधानसभा द्वारा 3 सितंबर 2003 को पारित किया जा चुका है. जिसे भारत सरकार की ओर मंजूर किया जाना ही शेष है. प्रदेश में माणक राजस्थानी पत्रिका सहित कई भाषा प्रेमी संस्थाओं, राजस्थानी संगठन, साहित्यकार, लेखक, शिक्षक लम्बे समय से राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिये संघर्षरत है.

राजस्थान विधानसभा का संकल्प : 3 सितंबर 2003 राजस्थान विधानसभा ने राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का संकल्प पारित किया था. यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया, लेकिन अब तक इसे मंजूरी नहीं मिल पाई है. राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए कई सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने अभियान चलाए हैं. इसके साथ राजस्थान में कई बार प्रदर्शन और आंदोलन हुए हैं, जिनमें राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने की मांग की गई.

पढ़ें: बच्चे अब किताबों में पढे़ंगे बल्ली, कागलो व बांदरो, मंत्री दिलावर बोले- जल्द लागू करेंगे स्थानीय भाषा के शब्द - Study In Rajasthani

राजस्थानी भाषा की विशिष्टता: राजस्थानी भाषा राजस्थान की संस्कृति, साहित्य, और इतिहास की पहचान है. इसे राजस्थान के कई हिस्सों में प्रमुख भाषा के रूप में बोला जाता है. राजस्थानी भाषा में कविताएं, लोकगीत, और कहानियां भारतीय साहित्य को समृद्ध करती हैं.

समिति की सिफारिश: सीताकांत महापात्र समिति ने भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए समान और वस्तुनिष्ठ मानदंड तैयार करने की सिफारिश की थी. राजस्थानी भाषा इन मानदंडों को पूरा करती है, लेकिन अब तक इसे संवैधानिक दर्जा नहीं मिला. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने केंद्र से इस मांग को मंजूरी देने की अपील की है. प्रदेश सरकार का मानना है कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने से राज्य की संस्कृति और पहचान को नई ताकत मिलेगी.

Last Updated : Dec 6, 2024, 11:26 AM IST
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