जयपुर : 17 दिसंबर को राजस्थान के सीकर जिले में सर्दी को लेकर मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि 6 जिलों में येलो अलर्ट रहेगा. इन जिलों में हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनू, नागौर, अलवर और भीलवाड़ा शामिल हैं. 18 दिसंबर को सीकर में ऑरेंज अलर्ट रहेगा, तो वहीं अलवर, झुंझुनू, चूरू, हनुमानगढ़ और नागौर में मौसम विभाग का येलो अलर्ट जारी किया गया है. मौसम विभाग के जयपुर केंद्र के अनुसार राज्य में मौसम शुष्क बना हुआ है. इस बीच सोमवार को राज्य में कहीं-कहीं पर शीत लहर दर्ज की गई. राज्य में सर्वाधिक अधिकतम तापमान बाड़मेर और पाली में 28.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि निम्नतम न्यूनतम तापमान करौली में 1.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
फतेहपुर में मिली ठंड से थोड़ी राहत : सीकर जिले के फतेहपुर शेखावाटी में 6 दिन लगातार माइनस में तापमान रहने के बाद सोमवार रात को राहत रही और यहां न्यूनतम तापमान 2.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. शेखावाटी के अन्य शहरों की बात करें तो सीकर में 3.7 डिग्री, पिलानी में 5.4 और चूरू में 4 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा. मौसम विभाग के मुताबिक 19 दिसंबर तक प्रदेश में शीत लहर का प्रभाव रहेगा और कड़ाके की ठंड महसूस होगी. हालांकि, इस दौरान कोहरे का प्रभाव कम दिखाई पड़ेगा.
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इन इलाकों में रहा 5 डिग्री से नीचे तापमान : सोमवार रात को प्रदेश के जिन शहरों में 5 डिग्री के नीचे या आसपास तापमान रहा, उनमें करौली में 1.3, फतेहपुर में 2.5, संगरिया में 3.7, सीकर में 3.7, हिल स्टेशन माउंट आबू और चूरू में 4, अलवर 4.2, धौलपुर और गंगानगर 4.8, वनस्थली 5, नागौर 5.1, अंता (बारां) 5.2, सिरोही 5.3, पिलानी और भीलवाड़ा 5.4 और जालौर में 5.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.
भरतपुर में भी तापमान में गिरावट : जिले में कड़ाके की सर्दी के चलते जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. बयाना क्षेत्र में फसलों और कार की छतों पर बर्फ की चादर जम गई. बीते कई दिन से जिले के कई इलाकों में पाला जम रहा है. मंगलवार को भरतपुर जिले में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री दर्ज किया गया, जिससे पाला जमने की स्थिति बन गई. सर्द हवाओं के चलते खुले मैदानों, गेहूं और सरसों की फसलों पर बर्फ की हल्की परत जम गई है. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह के अनुसार, लगातार पाला जमने से फसलों को नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है. किसानों को समय पर फसलों को पाले से बचाने के उपाय करने चाहिए, ताकि फसलों को नुकसान से बचाया जा सके.