जयपुर: राजस्थान विधानसभा में गुरुवार का दिन पानी के नाम रहा. सदन में जलजीवन मिशन, ईआरसीपी और यमुना जल समझौतों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई.सत्तारूढ़ दल ने जहां जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया. वहीं, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ईआरसीपी और यमुना जल समझौते पर सरकार को घेरा.
भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने कहा कि जल जीवन मिशन का पैसा आया तो इनके (कांग्रेस के) समय में तत्कालीन मंत्री के नेतृत्व में भ्रष्टाचार का नंगा नाच हुआ और धीमी गति से काम हुआ. इसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीयत में खोट थी, इसलिए ईआरसीपी का समझौता नहीं किया. सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार ने कहा कि पानी में जिस मंत्री ने गड़बड़ी की. वो आज सदन में नहीं है. उन्हें टिकट भी नहीं मिला. वो फेल हो गए. इस दौरान पीएचईडी की अलग से विजिलेंस विंग बनाने की भी मांग उठी.
फुलेरा विधायक विद्याधर चौधरी ने कहा कि जल जीवन मिशन बिना तथ्यों पर तैयार की गई योजना है. इसमें जितना पैसा केंद्र सरकार को देना था. उतना दिया ही नहीं फिर कहते हैं कि भ्रष्टाचार हो गया. किसने आपकी कलम पकड़ी है. आपके पास सीबीआई है. जांच कीजिए और जिन्होंने भ्रष्टाचार किया. उन पर कड़ी कार्रवाई कीजिए, लेकिन कार्रवाई के बजाए केवल ब्लैकमेल किया जा रहा है. दीप्ती किरण माहेश्वरी ने कहा कि जो भी नए भवन बने. उनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करवाई जाए.
यमुना जल समझौते से एक बूंद भी पानी नहीं मिलेगा: कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, यमुना जल सममझौते से शेखावाटी के तीन जिलों को एक बूंद भी पानी नहीं मिलेगा. यह यमुना जल समझौते का सच है. उन्होंने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि यह दो पन्नों का एमओयू है. इसमें लिखा है कि चार महीने में डीपीआर बनेगी. छह महीने हो गए. आपकी डीपीआर कहां गई. जब तक हरियाणा अपना मूलभूत ढांचा खड़ा नहीं कर लेता. आपकी कोई डीपीआर नहीं बनेगी. जब तक हरियाणा को 24 हजार क्यूसेक पानी नहीं मिलेगा, तब तक राजस्थान के सीकर, चूरू झुंझुनूं को एक बूंद पानी नहीं मिलेगा.
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ईआरसीपी में प्रदेश का हक एमपी में गिरवी रखा: डोटासरा ने कहा, ईआरसीपी में आप एक रुपया केंद्र सरकार से नहीं ला पाए. जब हम सरकार में थे तो हम टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए थे, जबकि आपने उसे अपने बजट में शामिल कर दिया. आपने ईआरसीपी में भी राजस्थान के हित मध्यप्रदेश में गिरवी रखे हैं. इसमें 3,921 एमसीएम पानी हमें मिलना था. आज हम जो समझौता करके आए हैं. उसमें 1775 के ऊपर 45 प्रतिशत पानी मिलेगा.
हमने काम करवाना चाहा, केंद्र ने अनुमति नहीं दी: डोटासरा ने कहा, वसुंधरा राजे के समय में बनी डीपीआर पर काम शुरू हुआ तो मध्य प्रदेश सुप्रीम कोर्ट चला गया. जब कांग्रेस सरकार में काम करवाना चाहा तो केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी. सरकार बदली तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री राजस्थान आए और हमारे मुख्यमंत्री को दिल्ली ले गए. केंद्र के दबाव में हमारे सीएम मध्यप्रदेश से समझौता कर आए. उस समझौते की कॉपी मध्यप्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट में पेश कर कहा कि अब हमें सुप्रीम कोर्ट के दखल और स्टे की दरकार नहीं है.