जयपुर: राजस्थान विश्वविद्यालय इन दिनों नैक (नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल) की मान्यता लेने की जद्दोजहद में जुटा है. ग्रेडिंग के लिए भेजा गया डाटा भी एक्सेप्ट किया जा चुका है, हालांकि यहां फैकेल्टी और स्टाफ की कमी नैक की मान्यता दिलाने में संकट पैदा कर सकती है. संभावना है कि 2 महीने के अंदर यानी लगभग इसी साल नैक की टीम विश्वविद्यालय आ सकती है. उससे पहले विश्वविद्यालय की खामियां दूर करना टेढ़ी खीर माना जा रहा है.
विश्वविद्यालय में फैकल्टी के 949 पद स्वीकृत है. इनमें से 424 ही काम कर रहे हैं, यानी 525 पद रिक्त हैं. इसी तरह गैर शैक्षणिक कार्यों के लिए लगाया गया स्टाफ भी कम है. इसकी वजह से ऑनलाइन कोर्स तो दूर ऑफलाइन क्लास भी नहीं लग पा रही है. यही नहीं विभिन्न विभागों में होने वाले शोध कार्यों में भी विश्वविद्यालय पिछड़ा हुआ है. ऐसे में जहां राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन नैक की मान्यता के लिए जुटा हुआ है. वहीं ये खामियां विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए चुनौती भी बनी हुई है. इस पर विश्वविद्यालय से जुड़े हुए छात्र नेताओं ने भी सवाल उठाया है.
फैकल्टी की भर्ती करे सरकार: एबीवीपी के इकाई अध्यक्ष रोहित मीणा ने कहा कि राजस्थानी विश्वविद्यालय नैक की ग्रेड लेने का प्रयास कर रहा है, लेकिन इससे विश्वविद्यालय को क्या हासिल हो जाएगा. आज विश्वविद्यालय में फैकल्टी की कमी है. इसके अलावा नॉन टीचिंग स्टाफ के पद भी रिक्त पड़े हैं. कुछ डिपार्टमेंट में एक, तो किसी में एक भी फैकल्टी नहीं है, इसलिए राजस्थान विश्वविद्यालय और राजस्थान सरकार से यही निवेदन है कि यहां टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ का रिक्रूटमेंट करे, ताकि छात्रों को और अच्छी शिक्षा मिल सके.
विवि में नहीं लग रही नियमित कक्षाएं: एनएसयूआई छात्र नेता मोहित यादव ने बताया कि राजस्थान विश्वविद्यालय की ओर से नैक की परमिशन के लिए यूजीसी में अप्लाई किया गया है, लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि यहां जो कोर्स चल रहे हैं, उसके लिए प्रोफेसर ही नहीं है, इसलिए नियमित कक्षाएं ही नहीं लग पा रही हैं. यहां आकर छात्र सिर्फ धक्के खा रहे हैं.
नैक मान्यता के प्रयास जारी: उधर, विश्वविद्यालय कुलपति प्रो कल्पना कटेजा ने स्पष्ट किया कि राजस्थान विश्वविद्यालय एक बार फिर नैक मान्यता को लेकर जुटा हुआ है. फिलहाल 7 साल की एक्यूएआर (वार्षिक गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट) और दूसरे दस्तावेज सबमिट किए जा चुके हैं, जिन्हें एक्सेप्ट भी किया जा चुका है. अब एक अंतिम पड़ाव बाकी है. जिसमें नैक टीम विजिट करेगी. संभावना है कि 2 महीने में ये विजिट भी हो जाएगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल राजस्थान विश्वविद्यालय में करीब 56 फीसदी पद खाली पड़े हुए हैं. इस संबंध में राज्य सरकार और राज्यपाल को लिखा भी जा चुका है. जानकारी यही है कि सरकार इस कड़ी में प्रक्रिया आगे बढ़ा रही है. उन्होंने दावा किया की बहुत कम समय में ग्रेड प्राप्त होगी.
वित्तीय सहायता मिलने में परेशानी: आपको बता दें कि नेक की ग्रेडिंग रिसर्च, फैकेल्टी, ऑनलाइन कोर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, प्लेसमेंट, प्रशासनिक और छात्र प्रगति के आधार पर दी जाती है. राजस्थान विश्वविद्यालय का नैक ग्रेड प्रमाण पत्र 3 साल पहले ही खत्म हो गया है. इसके कारण यूनिवर्सिटी को वित्तीय सहायता मिलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.