जयपुर. राजस्थान में लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में 13 सीटों पर शुक्रवार को मतदान हुआ. पहले और दूसरे चरण के साथ प्रदेश में लोकतंत्र का महापर्व सम्पन्न हो गया. सियासी जानकारों की मानें तो 25 सीटों पर भाजपा की हैट्रिक पर ब्रेक लग सकता है. वहीं, दो बार से खाता खोलने को तरस रही कांग्रेस का ये सपना इस बार पूरा हो सकता है. जनता जनार्दन ने किसको ताज पहनाया वो तो 4 जून को आने वाले परिणाम बताएंगे, लेकिन सियासी कयासों में इस बार 10 सीटें ऐसी हैं जिनमें से 4 सीटों पर कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में है, जबकि 6 सीटों पर नजदीकी मुकाबला बना हुआ है.
परिणाम चौंकाने वाले होंगे : वरिष्ठ पत्रकार श्यामसुंदर शर्मा ने भी प्रदेश में दो चरणों में हुए चुनाव को लेकर कहते हैं कि 4 जून को आने वाले चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे. भाजपा भले ही सार्वजनिक तौर पर हैट्रिक की बात करती हो, लेकिन आंतरिक रिपोर्ट में कुछ सीटों पर कमजोर सामने आई है. श्याम सुंदर कहते हैं कि मतदान प्रतिशत और कांग्रेस का गठबंधन की राजनीति भाजपा के विजय रथ को रोक रही है. झुंझुनू, सीकर, दौसा और भरतपुर सहित कुछ सीटें ऐसी हैं, जहा परिणाम चौंकाएंगे. इसके साथ कोटा, टोंक,धौलपुर, बांसवाड़ा सहित कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा को इस बार ज्यादा मेहनत करनी पड़ी. राजस्थान की 25 सीटों पर आने वाला 4 जून का परिणाम निश्चित तौर पर देश को संदेश भी देगा.
इस सीट पर भाजपा को ज्यादा खतरा : सीटवार वोटिंग देखें तो 15 सीटों पर भाजपा और 4 सीटों पर कांग्रेस गठबंधन के साथ मजबूत रह सकती है. वहीं, एक सीट पर त्रिकोणीय तो 5 पर नजदीकी संघर्ष रहने की संभावना है. पहले चरण कांग्रेस के लिए तो दूसरे चरण की सीटों में भाजपा की स्थिति मजबूत बताई जा रहा है. जनता ने किस को सिर माथे बिठाया इसका फैसला तो 4 जून को होगा, लेकिन चर्चा है कि दौसा, झुंझुनू, सीकर और भरतपुर ये वो चार सीट हैं, जहां कांग्रेस की स्थिति अच्छी है और यहां पर भाजपा को खतरा है. वहीं, एक सीट बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. हालांकि, यहां मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच बना हुआ है. वहीं, 5 लोकसभा सीटों पर नजदीकी संघर्ष है, जिसमें कई चौकाने वाले परिणाम आ सकते हैं. पांच सीटों में करौली-धौलपुर, टोंक-सवाई माधोपुर, कोटा-बूंदी, चूरू और बांसवाड़ा-डूंगरपुर हैं.
मतदान प्रतिशत ने बढ़ाई चिंता : आंकड़ों के अनुसार दूसरे चरण में 64.56% वोट पड़े, ये पहले चरण से 6.28% ज्यादा हैं तो 2019 में इन्हीं सीटों पर हुए 68.42 फीसदी से 3.86% कम. 25 लोकसभा सीटों पर कुल 61.54% मतदान हुआ है जो 2019 के 66.34% से करीब 4.80% कम है. जबकि चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में 74.13% मतदान हुआ था. इससे लोकसभा में मतदान 12.13% घट गया है.
कम हुए मतदान प्रतिशत ने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, पहले चरण में जरूरत से ज्यादा कम मतदान और दूसरे चरण में सामान्य हुए मतदान के बाद भी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अपने अपने पक्ष में बता जीत का दावा कर रहे हैं.