जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि विभाग की गलत गणना से कर्मचारी को अधिक भुगतान हुआ है तो रिटायर होने के बाद उससे इस अधिक राशि की वसूली नहीं की जा सकती. अदालत ने कहा कि अधिक भुगतान में कर्मचारी की कोई गलती नहीं है. ऐसे में उससे वसूली नहीं की जा सकती. इसके साथ ही अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ वसूली आदेश को रद्द कर दिया है.
अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह याचिकाकर्ता को समस्त बकाया पेंशन परिलाभ तीन माह में ब्याज सहित अदा करे. हालांकि, अदालत ने विभाग को छूट दी है कि वह नियमानुसार याचिकाकर्ता के वेतनमान को संशोधित करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन उसे पहले भुगतान की गई राशि की वसूली नहीं की जाएगी. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश रेखा शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.
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याचिका में अधिवक्ता सोगत रॉय ने बताया कि याचिकाकर्ता 31 जुलाई, 2016 को प्रिंसिपल पद से रिटायर हुई थी. वहीं रिटायर होने के बाद विभाग ने 10 नवंबर, 2016 को आदेश जारी कर उसे पूर्व में अधिक भुगतान देना बताकर वसूली निकाल दी. याचिका में कहा गया कि यदि विभाग ने गलत वेतन निर्धारण किया और गलत निर्णय के कारण कोई भुगतान भी हुआ है तो रिटायर होने के बाद कर्मचारी से उसकी वसूली नहीं की जा सकती. इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी वसूली आदेश को रद्द किया जाए.
इसका विरोध करते हुए शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता का वर्ष 1985 में वरिष्ठ शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी. याचिकाकर्ता को बीस साल की सेवा के बाद वर्ष 2005 में मिलने वाले लाभ को गलती से 18 साल की सेवा के बाद साल 2003 में ही दे दिया गया था. वहीं याचिकाकर्ता के रिटायर होने के बाद इस संबंध में पेंशन विभाग ने आपत्ति लगाई. इसके चलते शिक्षा विभाग ने रिकवरी आदेश जारी किया. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने माना कि कर्मचारी की सेवा के दौरान अधिक भुगतान होने पर उसकी सेवानिवृत्ति के बाद वसूली नहीं की जा सकती.