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राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष को सरकार नहीं देती पेंशन, जस्टिस टाटिया ने लगाई याचिका - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष को पेंशन नहीं देने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने के लिए अंतिम अवसर दिया है.

HIGH COURT SEEKS RESPONSE,  NOT PAYING PENSION
राजस्थान हाईकोर्ट. (Etv Bharat jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 6, 2024, 6:02 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष व रिटायर्ड जस्टिस प्रकाश टाटिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को जवाब के लिए अंतिम अवसर दिया है. मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ के समक्ष रिटायर्ड जस्टिस टाटिया की ओर से याचिका पेश की गई थी.

वरिष्ठ अधिवक्ता एमएस सिंघवी एवं अधिवक्ता अभिषेक मेहता ने पैरवी करते हुए याचिका में बताया कि याचिकाकर्ता राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एवं झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद से रिटायर्ड होने के बाद उनको राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. राज्य सरकार राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए उनको पेंशन परिलाभ नही दे रही है. पूर्व न्यायाधीश टाटिया 17 मार्च 2016 से 25 नवंबर 2019 तक राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष रहे थे.

पढ़ेंः ओल्ड पेंशन बहाल करने के लिए विद्युतकर्मियों ने किया प्रदर्शन, उग्र प्रदर्शन की दी चेतावनी - demand of old pension

पूर्व लोकायुक्त को मिल रही पेंशनः याचिका में कहा गया कि प्रदेश में लोकायुक्त पद पर काम करने वालों को सरकार कार्यकाल पूर्ण होने पर पेंशन देती है. भले वह व्यक्ति पूर्व में अन्य पद पर कार्यरत रहा हो. मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष के पद से सेवानिवृत के बाद पेंशन परिलाभ को लेकर पूर्व में एक निर्णय में यह निर्धारित किया गया है, लेकिन राज्य सरकार पेंशन लाभ देने का तैयार नही है. हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह का समय देते हुए राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार को न्याय हित में जवाब के लिए अंतिम अवसर दिया है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष व रिटायर्ड जस्टिस प्रकाश टाटिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को जवाब के लिए अंतिम अवसर दिया है. मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ के समक्ष रिटायर्ड जस्टिस टाटिया की ओर से याचिका पेश की गई थी.

वरिष्ठ अधिवक्ता एमएस सिंघवी एवं अधिवक्ता अभिषेक मेहता ने पैरवी करते हुए याचिका में बताया कि याचिकाकर्ता राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एवं झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद से रिटायर्ड होने के बाद उनको राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. राज्य सरकार राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए उनको पेंशन परिलाभ नही दे रही है. पूर्व न्यायाधीश टाटिया 17 मार्च 2016 से 25 नवंबर 2019 तक राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष रहे थे.

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पूर्व लोकायुक्त को मिल रही पेंशनः याचिका में कहा गया कि प्रदेश में लोकायुक्त पद पर काम करने वालों को सरकार कार्यकाल पूर्ण होने पर पेंशन देती है. भले वह व्यक्ति पूर्व में अन्य पद पर कार्यरत रहा हो. मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष के पद से सेवानिवृत के बाद पेंशन परिलाभ को लेकर पूर्व में एक निर्णय में यह निर्धारित किया गया है, लेकिन राज्य सरकार पेंशन लाभ देने का तैयार नही है. हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह का समय देते हुए राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार को न्याय हित में जवाब के लिए अंतिम अवसर दिया है.

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