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एफएसएल रिपोर्ट में देरी के कारण कई बार निर्दोष रहते हैं जेल में बंद-हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए एफएसएल रिपोर्ट की देरी पर टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट में देरी के कारण कई बार निर्दोष जेल में बंद रहते हैं.

DELAY IN FSL REPORT,  INNOCENT PEOPLE REMAIN IN JAIL
राजस्थान हाईकोर्ट . (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 2, 2024, 9:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एफएसएल व डीएनए रिपोर्ट आने में देरी से जुडे़ मामले में गंभीर टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि रिपोर्ट देरी के चलते केसों में फैसले नहीं हो पाते. एनडीपीएस के कई मामलों में एफएसएल रिपोर्ट नेगेटिव आती है और आरोपी बरी हो जाते हैं, लेकिन इस दौरान वे कई दिनों तक जेलों में बंद रहते हैं. यह उसके संविधान के अनुच्छेद 21 का हनन है. जस्टिस समीर जैन ने यह टिप्पणी गुरुवार को एक पॉक्सो केस में एफएसएल की रिपोर्ट आए बिना ही चालान पेश होने से जुडे़ मामले में विनोद की जमानत अर्जी पर सुनवाई एक सप्ताह टालते हुए की.

सुनवाई के दौरान एफएसएल निदेशक अजय शर्मा भी पेश हुए. लोक अभियोजक शेरसिंह महला ने अदालत को बताया कि गुजरात, मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश और महाराष्ट्र की तुलना में प्रदेश में 10 अधिकारी प्रतिदिन 35 सैंपलों की जांच कर रहे हैं. उन राज्यों में 30 अधिकारियों की जांच का औसत 20 से 30 सैंपल ही है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि इसके बावजूद भी एफएसएल रिपोर्ट से फैसलों में देरी होती है.

पढ़ेंः मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव बताएं, अदालत में सरकारी लचर व्यवस्था कब तक चलेगी: कोर्ट - Rajasthan High Court

दरअसल पिछली सुनवाई पर अदालत ने अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव से कहा था कि वे इस संबंध में शपथ पत्र पेश कर बताएं कि एफएसएल व डीएनए रिपोर्ट आने में हो ही देरी को कैसे दूर किया जाए? मामले से जुडे़ अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि आरोपी के खिलाफ सवाईमाधोपुर के खंडार पुलिस थाने में अगस्त 2023 में पॉक्सो का मामला दर्ज हुआ था, लेकिन एफएसएल रिपोर्ट आए बिना ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चालान पेश कर दिया. वहीं, अब केस की ट्रायल शुरू हो चुकी है, इसलिए आरोपी को जमानत दी जाए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एफएसएल व डीएनए रिपोर्ट आने में देरी से जुडे़ मामले में गंभीर टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि रिपोर्ट देरी के चलते केसों में फैसले नहीं हो पाते. एनडीपीएस के कई मामलों में एफएसएल रिपोर्ट नेगेटिव आती है और आरोपी बरी हो जाते हैं, लेकिन इस दौरान वे कई दिनों तक जेलों में बंद रहते हैं. यह उसके संविधान के अनुच्छेद 21 का हनन है. जस्टिस समीर जैन ने यह टिप्पणी गुरुवार को एक पॉक्सो केस में एफएसएल की रिपोर्ट आए बिना ही चालान पेश होने से जुडे़ मामले में विनोद की जमानत अर्जी पर सुनवाई एक सप्ताह टालते हुए की.

सुनवाई के दौरान एफएसएल निदेशक अजय शर्मा भी पेश हुए. लोक अभियोजक शेरसिंह महला ने अदालत को बताया कि गुजरात, मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश और महाराष्ट्र की तुलना में प्रदेश में 10 अधिकारी प्रतिदिन 35 सैंपलों की जांच कर रहे हैं. उन राज्यों में 30 अधिकारियों की जांच का औसत 20 से 30 सैंपल ही है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि इसके बावजूद भी एफएसएल रिपोर्ट से फैसलों में देरी होती है.

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दरअसल पिछली सुनवाई पर अदालत ने अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव से कहा था कि वे इस संबंध में शपथ पत्र पेश कर बताएं कि एफएसएल व डीएनए रिपोर्ट आने में हो ही देरी को कैसे दूर किया जाए? मामले से जुडे़ अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि आरोपी के खिलाफ सवाईमाधोपुर के खंडार पुलिस थाने में अगस्त 2023 में पॉक्सो का मामला दर्ज हुआ था, लेकिन एफएसएल रिपोर्ट आए बिना ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चालान पेश कर दिया. वहीं, अब केस की ट्रायल शुरू हो चुकी है, इसलिए आरोपी को जमानत दी जाए.

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