जोधपुर : राजस्थान में सीबीआई की जांच के मामले बढ़ रहे हैं. बीते दो सप्ताह में दो आपराधिक मामले की जांच सीबीआई ने स्वीकार कर शुरू कर दी है. अब राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश फरजंद अली ने खनन से जुड़े एक मामले की जांच सीबीआई से करने के आदेश दिए हैं. इस मामले ने पूर्व मंत्री रामलाल जाट की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हालांकि, हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई कब जांच शुरू करेगी, अभी तय नहीं है. वहीं, मारवाड़ में दो चर्चित मामलों की जांच सीबीआई की दिल्ली टीमों ने शुरू कर दी है. दोनों मामले हत्या से जुड़े हैं, जिसमें पहला मामला ब्यूटीशियन अनिता चौधरी की हत्या से जुड़ा है और दूसरा मामला लवली कंडारा के एकाउंटर का है.
इस बीच नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद में राजस्थान में सीबीआई को दिए गए केस का मामला उठाया है. बेनीवाल ने कहा कि मनोहर राजपुरोहित अपरहण की जांच हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी शुरू नहीं की गई. कमलेश प्रजापति फर्जी एनकाउंटर की जांच नहीं की है. हम चाहते हैं कि सीबीआई पर लोगों का भरोसा है, ऐसे में जो राजस्थान के पेडिंग केस हैं उन पर ध्यान दिया जाए. कार्रवाई होगी तो कड़ा संदेश जाएगा.
सीबीआई ने एनकाउंटर को बताया सही : 25 जून 2017 को गैंगस्टर आंनदपाल सिंह का मालासर में एनकाउंटर हुआ था. मामला सीबीआई में जांच के लिए गया, लेकिन सीबीआई ने 25 जुलाई 2024 को जोधपुर कोर्ट में अपनी क्लोजर रिपोर्ट पेश कर राजस्थान पुलिस की दलीलों को ही सही बताया. इसके अनुसार 24 जून 2017 को मालासर में श्रवण सिंह के घर पर पुलिस ने घेराबंदी कर आनंदपाल सिंह को सरेंडर करने की चेतावनी दी थी, लेकिन फायरिंग नही रुकी. इसके बाद एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई, जबकि आनंदपाल के अधिवक्ता त्रिभुवन सिंह ने कोर्ट में उसके भाई रूपिंदर के बयानों को तथ्यों के साथ रखा. इसमें बताया गया कि आनंदपाल जिंदा पकड़ा गया था और बाद में उसे नजदीक से गोली मारी गई.
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कोर्ट ने माना गंभीर कृत्य : कोर्ट ने फैसले में लिखा कि आनंदपाल सिंह अपराधी था, लेकिन उसके सरेंडर करने के बाद पुलिस को किसी तरह की चोट पहुंचने की संभावना नहीं थी. किसी पकड़े गए व्यक्ति की हत्या करने को पदीय कृत्य के तहत किया गया कृत्य नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने पुलिस की इस कृत्य को इतना गंभीर माना कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल बारहठ, सीईओ विधाप्रकाश, सीआई सूर्यवीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाशचंद्र, कांस्टेबल सोहनसिंह, धर्मपाल व धर्मवीर के खिलाफ बिना अभियोजन स्वीकृति के ही मामला दर्ज करने के निर्देश दिए.
आत्महत्या मामले में भी रिपोर्ट हुई थी खारिज : 23 मई 2020 को चूरू जिले के राजगढ़ थाने के थानाधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई ने अपने क्वार्टर में आत्महत्या कर ली थी. यह मामला पहले सीआईडी सीबी के पास था, जो बाद में सीबीआई के पास गया. परिजनों ने कांग्रेस की तत्कालीन विधायक कृष्णा पूनिया पर थाने में हस्तक्षेप से परेशान होकर आत्महत्या करने का आरोप लगाया. फरवरी 2023 में सीबीआई ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट में विधायक की भूमिका नहीं बताई, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर कृष्णा पूनिया के खिलाफ आत्महत्या के उकसाने का मामला चलाने का निर्देश दिया था. साथ ही पूनिया को जमानती मुचलके साथ तलब किया था. हालांकि, बाद में पूनिया को सत्र न्यायालय में बड़ी राहत मिल गई, जहां पर उनको क्लीन चिट मिल गई. फिलहाल मामला कोर्ट में चल रहा है.
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भंवरी मामले में दस साल बाद आरोपी बाहर आए : 2010 में सामने आए एएनएम भंवरीदेवी अपहरण और हत्याकांड मामले ने प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था. उस समय इस मामले में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री महीपाल मदेरणा व विधायक मलखान सिंह विश्नोई सहित एक दर्जन से ज्यादा आरोपी तय किए गए थे, जिनके खिलाफ कोर्ट में सीबीआई ने चार्जशीट भी पेश कर दी थी. करीब दस साल तक आरोपियों को जमानत तक नहीं मिली थी. इनमें उपचार के लिए जमानत पर आए मदेरणा की मौत हो गई. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से एक आरोपी को राहत मिली तो उसके बाद एक के बाद एक सभी बाहर आ गए. फिलहाल अभी कोर्ट में मामला चल रहा है.
एफबीआई से करवाई थी हड्डियों की जांच : भंवरी देवी के अपहरण के बाद उसका शव आज तक नहीं मिला था. सीबीआई ने पड़ताल कर एक बाद एक कड़ी जोड़कर ठेकेदार सेाहनलाल, विश्नाराम विश्नोई सहित कई लोगों को पकड़ा और पूछताछ की तो पता चला कि भंवरीदेवी की हत्या कर उसका शव जला दिया गया था. उसकी हड्डियां नहर में बहा दी थी. नहर से हड्डियां बरामद कर उसका डीएनए जांचने के लिए उन्नत लैब भारत में नहीं होने के कारण सीबीआई ने अमेरिका की एजेंसी एफबीआई की मदद ली. वहां से पुष्टि हुई थी कि हड्डियां भंवरीदेवी की थी. जांच करने वाली अमेरिकी वैज्ञानिक अंबरबी कार की गवाही कोर्ट में नहीं होने का फायदा सभी आरोपियों को मिला. आज भी गवाही लंबित है.
क्या अनिता की हत्या साजिश के तहत हुई? : अनिता चौधरी की हत्या की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि इस प्रकरण में एएनएम भंवरी देवी हत्या प्रकरण की तरह कई आरोपी हो सकते हैं. सीबीआई ने जोधपुर पुलिस से इतर परिजनों की रिपोर्ट के आधार पर प्रॉपर्टी व्यवसायी तैयब अंसारी और अनिता की सहेली सुनिता को भी आरोपी बनाया है, लेकिन महत्वूपर्ण सवाल यह है कि क्या सीबीआई वाकई मामलों की जांच पूरी कर सच सामने ला पाएगी.
जोधपुर पुलिस इस मामले में हत्या करने वाले गुलामुदृीन और उसकी पत्नी को आरोपी मानकर उनके खिलाफ चार्जशीट पेश कर चुकी है. अनिता चौधरी की हत्या के बाद सहेली सुनीता का ऑडियो सामने आया था, जिसमें तैयब अंसारी का नाम सामने आया था. पुलिस ने मोबाइल व रिकॉर्डिंग की एफएसएल जांच में भेज रखे हैं. ऐसे में एफएसएल की रिपोर्ट और सीबीआई की पैनी जांच इस मामले का सच उजागर पाएगी. अनिता के पति मनमोहन चौधरी का आरोप है कि पुलिस शुरू से ही लीपापोती कर तैयब को बचाना चाहती थी. अब सीबीआई से हमें उम्मीद है.
लवली को नजदीक से मारी गोलियां : लवली कंडारा एनकाउंटर की जांच करने सीबीआई की टीम जोधपुर पहुंच चुकी है. कंडारा के अधिवक्ता योगेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि पुलिस चाहती तो लवली की गाड़ी के टायर पर गोली मार सकती थी और उसे पकड़ सकती थी, लेकिन थानाधिकारी लीलाराम ने पीछा कर सड़क पर सामने से गाड़ी लगाकर सीधे गोली मार दी. गोली लगने के साक्ष्य से स्पष्ट है कि उसे नजदीक से गोली मारी गई, लेकिन पुलिस ने इसे एकनाउंटर बता दिया था. इसके बाद मर्ग दर्ज कर खत्म कर दिया, लेकिन परिजनों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो थानाधिकारी सहित पांच के खिलाफ मामला दर्ज हो गया. जांच सीआईडी सीबी को दी गई है.
जांच के दौरान पुलिस की ओर से गवाहों पर दबाव बनाने का आरोप लगा. राज्य सरकार ने 2023 नवंबर में मामला सीबीआई को देने की सिफारिश की थी, जिसे हाल ही में सीबीआई ने स्वीकार कर FIR दर्ज कर जांच शुरू की है. बता दें कि राजस्थान में इससे पहले तीन बड़े मामले सीबीआई को सौंपे गए थे. तीनों मामले अभी पूरे नहीं हुए हैं. इनमें एएनएम भंवरी देवी अपहरण और हत्या, गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर और पुलिस निरीक्षक विष्णुदत्त विश्नोई की आत्महत्या का भी मामला है.