जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने योजना भवन के बेसमेंट में मिले 2.31 करोड़ रुपए और एक किलोग्राम सोने के मामले में ईडी में दर्ज प्रकरण में डीओआईटी के तत्कालीन संयुक्त निदेशक वेद प्रकाश यादव को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस प्रवीर भटनागर की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
जमानत याचिका में कहा गया कि योजना भवन की बेसमेंट में रखी अलमारी से बरामद धनराशि और सोने से उसका कोई संबंध नहीं है. इसके अलावा ईडी ने उसे गिरफ्तार करते समय कानूनी प्रावधानों की पालना भी नहीं की है. कानूनी प्रावधानों के तहत उसे गिरफ्तार करने के तुरंत बाद गिरफ्तार करने के कारण नहीं बताए गए, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राज दीपक रस्तोगी ने कहा कि आरोपी ने अपने बयानों में स्वीकार किया है कि बरामद धनराशि और सोना उसका है. इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज से भी साबित है कि आरोपी ही अलमारी में बेग रख रहा था. वहीं आरोपी को उचित समय में गिरफ्तारी के कारण लिखित में बता दिए गए थे.
ईडी की ओर से यह भी बताया गया कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 45 के तहत जमानत मंजूर करते समय अदालत को यह निष्कर्ष देना होता है कि आरोपी प्राथमिक रूप से मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में लिप्त नहीं है, जबकि आरोपी के खिलाफ सटीक साक्ष्य मौजूद है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. गौरतलब है कि गत वर्ष 19 मई को योजना भवन के बेसमेंट में रखी अलमारी से 2.31 करोड़ रुपए की नकदी और एक किलोग्राम सोना बरामद हुआ था. प्रारंभिक जांच के बाद डीओआईटी के संयुक्त निदेशक वेद प्रकाश यादव के खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद ईडी ने अलग से प्रकरण दर्ज कर वेद प्रकाश को गिरफ्तार किया था.