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हाईकोर्ट ने पंचायत समिति के प्रधान के निलंबन आदेश पर लगाई रोक - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

stay on the suspension order राजस्थान हाईकोर्ट ने उच्चेन पंचायत समिति के प्रधान के निलंबन आदेश की क्रियांविति पर रोक लगा दी है.

HIGH COURT PUT A STAY,  STAY ON THE SUSPENSION ORDER
हाईकोर्ट ने पंचायत समिति के प्रधान के निलंबन आदेश पर लगाई रोक.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 21, 2024, 7:41 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भरतपुर की उच्चेन पंचायत समिति के प्रधान के निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश पंचायत समिति के प्रधान हिमांशु अवाना की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने हिमांशु अवाना को गत 11 फरवरी को आदेश जारी कर प्रधान पद से निलंबित कर दिया था.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को राजनीतिक द्वेषता के चलते निलंबित किया गया है. विभाग ने रविवार के अवकाश के दिन निलंबन आदेश जारी किया है और इससे पूर्व याचिकाकर्ता का पक्ष भी पूरी तरह नहीं सुना गया. निलंबन केवल मात्र आरोप पत्र देने और जांच कार्रवाई आरंभ करने के आधार पर किया गया है. याचिकाकर्ता पर लगाए गए आरोप मात्र सुपरवाइजरी लापरवाही के ही हैं.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: उदयपुरवाटी नगरपालिका चेयरमैन के निलंबन पर रोक

निलंबन आदेश में ऐसा कोई कारण अंकित नहीं किया गया कि याचिकाकर्ता के पद पर बने रहने से पंचायत समिति का कार्य बाधित होगा. याचिका में कहा गया कि तत्कालीन जिला प्रमुख के यूओ नोट के आधार पर जांच कमेटी गठित की गई और उसके आधार पर जांच कार्रवाई की गई. इसमें भी मुख्य रूप से तत्कालीन विकास अधिकारी को दोषी माना गया, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. तत्कालीन जिला प्रमुख ने याचिकाकर्ता के पिता के विरुद्ध नदबई विधानसभा का चुनाव लड़ा था. इसके कारण उनकी आपस में राजनीतिक द्वेषता थी, इसलिए याचिकाकर्ता के निलंबन आदेश को विधि सम्मत नहीं कहा जा सकता. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भरतपुर की उच्चेन पंचायत समिति के प्रधान के निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश पंचायत समिति के प्रधान हिमांशु अवाना की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने हिमांशु अवाना को गत 11 फरवरी को आदेश जारी कर प्रधान पद से निलंबित कर दिया था.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को राजनीतिक द्वेषता के चलते निलंबित किया गया है. विभाग ने रविवार के अवकाश के दिन निलंबन आदेश जारी किया है और इससे पूर्व याचिकाकर्ता का पक्ष भी पूरी तरह नहीं सुना गया. निलंबन केवल मात्र आरोप पत्र देने और जांच कार्रवाई आरंभ करने के आधार पर किया गया है. याचिकाकर्ता पर लगाए गए आरोप मात्र सुपरवाइजरी लापरवाही के ही हैं.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: उदयपुरवाटी नगरपालिका चेयरमैन के निलंबन पर रोक

निलंबन आदेश में ऐसा कोई कारण अंकित नहीं किया गया कि याचिकाकर्ता के पद पर बने रहने से पंचायत समिति का कार्य बाधित होगा. याचिका में कहा गया कि तत्कालीन जिला प्रमुख के यूओ नोट के आधार पर जांच कमेटी गठित की गई और उसके आधार पर जांच कार्रवाई की गई. इसमें भी मुख्य रूप से तत्कालीन विकास अधिकारी को दोषी माना गया, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. तत्कालीन जिला प्रमुख ने याचिकाकर्ता के पिता के विरुद्ध नदबई विधानसभा का चुनाव लड़ा था. इसके कारण उनकी आपस में राजनीतिक द्वेषता थी, इसलिए याचिकाकर्ता के निलंबन आदेश को विधि सम्मत नहीं कहा जा सकता. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है.

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