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हाईकोर्ट ने कहा- रोडवेज तीन माह में बनाए अपने कर्मचारियों के लिए तबादला नीति - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएसआरटीसी को तबादला नीति बनाने के आदेश दिए हैं.

HIGH COURT ORDERS RSRTC,  RSRTC TO MAKE TRANSFER POLICY
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 19, 2025, 7:44 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएसआरटीसी को कहा है कि वह अपने विभिन्न कैडर के कर्मचारियों के लिए तीन माह में तबादला नीति बनाए. जिसमें कर्मचारियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति, पोस्टिंग का इतिहास, पद पर रहने की अवधि और प्रशासनिक जरूरत आदि को ध्यान में रखा जाए. नीति बनने के बाद उसके प्रावधानों के अनुसार उचित तबादला आदेश जारी किए जाएं. अदालत ने कहा कि इस अवधि में रोडवेज याचिकाकर्ता कर्मचारियों की ओर से दिए गए अभ्यावेदन तय करे और तब तक उनके तबादला आदेश स्थगित रहेंगे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश सूर्यभान सिंह शेखावत व 14 अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता आरडी मीणा और सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि आरएसआरटीसी ने 15 जनवरी को करीब 240 अल्प वेतन भोगी चालक-परिचालकों का सुदूर करीब 600 किलोमीटर दूर तक तबादला कर दिया. वहीं, बाद में इनमें से कुछ प्रभावशाली कर्मचारियों के तबादला आदेश निरस्त कर दिए. तबादला किए कर्मचारियों में से कई कर्मचारी कुछ माह में ही रिटायर हो रहे हैं. रोडवेज ने इनका भी राज्य सरकार की नीति के खिलाफ जाकर ट्रांसफर किया है. रोडवेज में हजारों कर्मचारी कार्यरत होने के बावजूद कोई तबादला नीति नहीं बनाई गई है.

पढ़ेंः वरिष्ठ नर्सिंग ऑफिसर के पद पर पदोन्नति पर लगी रोक हटी

इसके चलते प्रशासन मनमर्जी से तबादला कर देता है. रोडवेज ने अपने तबादला आदेश में उन महिला कर्मचारियों का भी ध्यान नहीं रखा, जिनके बच्चों के बोर्ड और प्री-बोर्ड की परीक्षाएं होने वाली हैं. ऐसे में तबादला पॉलिसी के अभाव में उनके ट्रांसफर आदेश को निरस्त किया जाए. इसके जवाब में रोडवेज की ओर से कहा गया कि उसे अपने कर्मचारियों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने के लिए तबादला करने का अधिकार है. याचिकाकर्ताओं का भी प्रशासनिक कारणों से तबादले किए गए हैं. कार्यप्रणाली में सुधार और गलत परंपराओं को रोकने के लिए भी कर्मचारी के स्थान का पुनः आवंटन होना जरूरी है. ऐसे में हर पहलू को ध्यान में रखकर याचिकाकर्ताओं के तबादला आदेश जारी किए गए हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने रोडवेज को तीन माह में तबादला नीति बनाने और तब तक याचिकाकर्ताओं के तबादला आदेश को स्थगित करने के आदेश दिए हैं.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएसआरटीसी को कहा है कि वह अपने विभिन्न कैडर के कर्मचारियों के लिए तीन माह में तबादला नीति बनाए. जिसमें कर्मचारियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति, पोस्टिंग का इतिहास, पद पर रहने की अवधि और प्रशासनिक जरूरत आदि को ध्यान में रखा जाए. नीति बनने के बाद उसके प्रावधानों के अनुसार उचित तबादला आदेश जारी किए जाएं. अदालत ने कहा कि इस अवधि में रोडवेज याचिकाकर्ता कर्मचारियों की ओर से दिए गए अभ्यावेदन तय करे और तब तक उनके तबादला आदेश स्थगित रहेंगे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश सूर्यभान सिंह शेखावत व 14 अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता आरडी मीणा और सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि आरएसआरटीसी ने 15 जनवरी को करीब 240 अल्प वेतन भोगी चालक-परिचालकों का सुदूर करीब 600 किलोमीटर दूर तक तबादला कर दिया. वहीं, बाद में इनमें से कुछ प्रभावशाली कर्मचारियों के तबादला आदेश निरस्त कर दिए. तबादला किए कर्मचारियों में से कई कर्मचारी कुछ माह में ही रिटायर हो रहे हैं. रोडवेज ने इनका भी राज्य सरकार की नीति के खिलाफ जाकर ट्रांसफर किया है. रोडवेज में हजारों कर्मचारी कार्यरत होने के बावजूद कोई तबादला नीति नहीं बनाई गई है.

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इसके चलते प्रशासन मनमर्जी से तबादला कर देता है. रोडवेज ने अपने तबादला आदेश में उन महिला कर्मचारियों का भी ध्यान नहीं रखा, जिनके बच्चों के बोर्ड और प्री-बोर्ड की परीक्षाएं होने वाली हैं. ऐसे में तबादला पॉलिसी के अभाव में उनके ट्रांसफर आदेश को निरस्त किया जाए. इसके जवाब में रोडवेज की ओर से कहा गया कि उसे अपने कर्मचारियों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने के लिए तबादला करने का अधिकार है. याचिकाकर्ताओं का भी प्रशासनिक कारणों से तबादले किए गए हैं. कार्यप्रणाली में सुधार और गलत परंपराओं को रोकने के लिए भी कर्मचारी के स्थान का पुनः आवंटन होना जरूरी है. ऐसे में हर पहलू को ध्यान में रखकर याचिकाकर्ताओं के तबादला आदेश जारी किए गए हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने रोडवेज को तीन माह में तबादला नीति बनाने और तब तक याचिकाकर्ताओं के तबादला आदेश को स्थगित करने के आदेश दिए हैं.

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