जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में बजरी के अवैध खनन और उसके परिवहन से जुड़े मामले में प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं करने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा है कि लगता है कि यहां पुलिस और खान विभाग की बजरी माफिया से मिलीभगत है. इसके साथ ही अदालत ने बूंदी के सदर थाने में दर्ज बजरी चोरी के मामले की जांच सीबीआई को दी है. अदालत ने सीबीआई निदेशक को कहा है कि वह प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करे.
अदालत ने यह भी कहा कि पर्यावरण हितों को देखते हुए सीबीआई को यह स्वतंत्रता दी जाती है कि वह बनास और चंबल नदी के आसपास के समान मामलों में बजरी माफियाओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर में जांच कर चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी जब्बार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार बजरी माफिया के खिलाफ कागजी अभियान चलाती हैं और जब कार्रवाई की बात आती है तो कुछ नहीं किया जाता. इससे जाहिर है कि इनकी मिलीभगत है. ऐसा लगता है कि अफसरों को कोई परवाह ही नहीं है. यहां तक कि मामले में कोर्ट को भी गुमराह करने का प्रयास किया गया. जांच अधिकारी न तो स्वयं पेश हुए और ना ही उनकी ओर से एक्शन रिपोर्ट पेश की गई. इसके अलावा पुलिस अधीक्षक की ओर से केस डायरी को भी व्यवस्थित नहीं रखा गया. अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में भी पुलिस का अनुसंधान लचर प्रकृति का रहा है. मामले में निचली अदालत ने दिशा-निर्देश दिए थे, लेकिन मुख्य सचिव के कार्यालय तक से इसमें सहयोग नहीं मिला,जबकि यह मामला पर्यावरण के लिहाज से महत्वपूर्ण है.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शेरसिंह महला ने कहा कि पूर्व में एसीएस होम से इस मामले को लेकर की गई कार्रवाई का एक्शन प्लान मांगा था. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को अदालत के आदेश से अवगत करा दिया है, लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई है. बजरी के अवैध खनन व चोरी से राज्य सरकार को रॉयल्टी का भारी नुकसान भी हो रहा है. प्रकरण पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए अन्य संबंधित प्रकरणों की जांच भी करने की छूट दी है.