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प्रशासन और बजरी माफिया का गठजोड़, सीबीआई करे मामले की जांच: हाईकोर्ट - Rajasthan High Court order

राजस्थान उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बजरी माफियाओं पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि प्रशासन और बजरी माफिया के बीच मिलीभगत होने के कारण समुचित तरीके से कार्रवाई नहीं हो पाती. उन्होंने इस गठजोड़ का पता लगाने के लिए सीबीआई को जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए.

Rajasthan High Court orders CBI investigation into the nexus of administration and bazari mafia
प्रशासन और बजरी माफिया का गठजोड़, सीबीआई करे मामले की जांच: हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 16, 2024, 7:31 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में बजरी के अवैध खनन और उसके परिवहन से जुड़े मामले में प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं करने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा है कि लगता है कि यहां पुलिस और खान विभाग की बजरी माफिया से मिलीभगत है. इसके साथ ही अदालत ने बूंदी के सदर थाने में दर्ज बजरी चोरी के मामले की जांच सीबीआई को दी है. अदालत ने सीबीआई निदेशक को कहा है कि वह प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करे.

अदालत ने यह भी कहा कि पर्यावरण हितों को देखते हुए सीबीआई को यह स्वतंत्रता दी जाती है कि वह बनास और चंबल नदी के आसपास के समान मामलों में बजरी माफियाओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर में जांच कर चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी जब्बार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें: राजस्थान में हो रहे अतिक्रमणों से हाईकार्ट नाराज, लिया स्वप्रेरित प्रसंज्ञान, यूडीएच के प्रमुख सचिव को दिए ये आदेश

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार बजरी माफिया के खिलाफ कागजी अभियान चलाती हैं और जब कार्रवाई की बात आती है तो कुछ नहीं किया जाता. इससे जाहिर है कि इनकी मिलीभगत है. ऐसा लगता है कि अफसरों को कोई परवाह ही नहीं है. यहां तक कि मामले में कोर्ट को भी गुमराह करने का प्रयास किया गया. जांच अधिकारी न तो स्वयं पेश हुए और ना ही उनकी ओर से एक्शन रिपोर्ट पेश की गई. इसके अलावा पुलिस अधीक्षक की ओर से केस डायरी को भी व्यवस्थित नहीं रखा गया. अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में भी पुलिस का अनुसंधान लचर प्रकृति का रहा है. मामले में निचली अदालत ने दिशा-निर्देश दिए थे, लेकिन मुख्य सचिव के कार्यालय तक से इसमें सहयोग नहीं मिला,जबकि यह मामला पर्यावरण के लिहाज से महत्वपूर्ण है.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शेरसिंह महला ने कहा कि पूर्व में एसीएस होम से इस मामले को लेकर की गई कार्रवाई का एक्शन प्लान मांगा था. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को अदालत के आदेश से अवगत करा दिया है, लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई है. बजरी के अवैध खनन व चोरी से राज्य सरकार को रॉयल्टी का भारी नुकसान भी हो रहा है. प्रकरण पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए अन्य संबंधित प्रकरणों की जांच भी करने की छूट दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में बजरी के अवैध खनन और उसके परिवहन से जुड़े मामले में प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं करने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा है कि लगता है कि यहां पुलिस और खान विभाग की बजरी माफिया से मिलीभगत है. इसके साथ ही अदालत ने बूंदी के सदर थाने में दर्ज बजरी चोरी के मामले की जांच सीबीआई को दी है. अदालत ने सीबीआई निदेशक को कहा है कि वह प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करे.

अदालत ने यह भी कहा कि पर्यावरण हितों को देखते हुए सीबीआई को यह स्वतंत्रता दी जाती है कि वह बनास और चंबल नदी के आसपास के समान मामलों में बजरी माफियाओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर में जांच कर चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी जब्बार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें: राजस्थान में हो रहे अतिक्रमणों से हाईकार्ट नाराज, लिया स्वप्रेरित प्रसंज्ञान, यूडीएच के प्रमुख सचिव को दिए ये आदेश

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार बजरी माफिया के खिलाफ कागजी अभियान चलाती हैं और जब कार्रवाई की बात आती है तो कुछ नहीं किया जाता. इससे जाहिर है कि इनकी मिलीभगत है. ऐसा लगता है कि अफसरों को कोई परवाह ही नहीं है. यहां तक कि मामले में कोर्ट को भी गुमराह करने का प्रयास किया गया. जांच अधिकारी न तो स्वयं पेश हुए और ना ही उनकी ओर से एक्शन रिपोर्ट पेश की गई. इसके अलावा पुलिस अधीक्षक की ओर से केस डायरी को भी व्यवस्थित नहीं रखा गया. अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में भी पुलिस का अनुसंधान लचर प्रकृति का रहा है. मामले में निचली अदालत ने दिशा-निर्देश दिए थे, लेकिन मुख्य सचिव के कार्यालय तक से इसमें सहयोग नहीं मिला,जबकि यह मामला पर्यावरण के लिहाज से महत्वपूर्ण है.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शेरसिंह महला ने कहा कि पूर्व में एसीएस होम से इस मामले को लेकर की गई कार्रवाई का एक्शन प्लान मांगा था. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को अदालत के आदेश से अवगत करा दिया है, लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई है. बजरी के अवैध खनन व चोरी से राज्य सरकार को रॉयल्टी का भारी नुकसान भी हो रहा है. प्रकरण पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए अन्य संबंधित प्रकरणों की जांच भी करने की छूट दी है.

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