जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए एक याचिका में वकालात नामे एवं याचिका पर फर्जी हस्ताक्षर का अंदेशा होने पर रजिस्ट्रार न्यायिक को निर्देश दिए हैं कि सभी याचिकाकर्ताओं को बुलाकर उनके हस्ताक्षरों की जांच कर रिपोर्ट पेश करें. जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ के समक्ष रणजीत सिंह चौहान सहित 101 याचिकाकर्ताओं ने 1 जुलाई को मिलने वाले वार्षिक ग्रेड पे देने की याचिकाएं पेश की.
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुरेन्द्रसिंह चौधरी ने याचिकाए पेश करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता सेवानिवृत हो चुके हैं, लेकिन 1 जुलाई को मिलने वाली वार्षिक ग्रेड पे का भुगतान नहीं किया गया था. कोर्ट के समक्ष सुनवाई के दौरान संयुक्त याचिकाओं को देखा तो कोर्ट ने पाया कि न केवल राजस्थान में जोधपुर, नागौर, अलवर, जयपुर, बांसवाड़ा के अलावा अन्य राज्यों के याचिकाकर्ता भी हैं. कोर्ट ने जब देखा कि एक ही वकालातनामा हैं, लेकिन याचिका में कौन किस विभाग से सेवानिवृत हुआ, इसका भी हवाला नहीं दिया. इसपर कोर्ट ने कहा कि ये संयुक्त याचिका कैसे हो सकती है? अलग-अलग जगह से सब लोग एक साथ कब आए और कौन से विभाग से हैं, इसका भी उल्लेख याचिका में नहीं है.
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कोर्ट ने कहा कि वकालात नामे पर अधिकांश हस्ताक्षर एक जैसी लिखावट, एक ही कलम और एक ही हाथ से किए हुए प्रतीत हो रहे हैं. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए रजिस्ट्रार न्यायिक को कहा कि सभी याचिकाकर्ताओं को कोर्ट समय में 15 अप्रेल 2024 को बुलाया जाए. सभी याचिकाकर्ताओं को बिना दिखाए एक अलग सीट पर हस्ताक्षर करवाकर पूरी रिपोर्ट पेश करें. कोर्ट की गंभीरता को देखते हुए अधिवक्ता ने कहा कि वे अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं तो कोर्ट ने अधिवक्ता की प्रार्थना को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है, फर्जी हस्ताक्षर लग रहे हैं तो जांच होगी. कोर्ट ने 23 अप्रेल 2024 को सुनवाई के लिए रखते हुए रजिस्ट्रार न्यायिक से रिपोर्ट मांगी है.