जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर के लूणी के पास पीएम गति शक्ति योजना के तहत फ्रेट टर्मिनल के निर्माण के लिए काटे जा रहे पेड़ों को लेकर दायर जनहित याचिका पर एक पेड़ की एवज में दस पेड़ लगाने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्रसिंह भाटी व जस्टिस योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ के समक्ष खेमसिंह की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका पेश करते हुए कहा कि विकास के नाम पर पेड़ों को काटा जा रहा है.
इस पर कोर्ट ने इस बात विचार किया कि परियोजना को आगे बढाने के साथ ही पेड़ों को बचाने के लिए कुछ वैकल्पिक उपाय किए जा सकते हैं. इस परियोजना से रोजगार, विकास और कनेक्टिविटी पर व्यापक प्रभाव है, लेकिन पेड़ काटने भी एक दयनीय स्थिति है और इसके लिए व्यापक पौधारोपण के माध्यम से पर्याप्त क्षतिपूर्ति की आवश्यकता है. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार ने कहा कि परियोजना के तहत काटे जा रहे पेड़ों की संख्या से दोगुने पेड़ लगाने के लिए पहले से बाध्य है.
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इसका याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजपुरोहित ने विरोध करते हुए कहा कि पहले से लगे पेड़ों को काटने की एवज में दस गुणा अधिक पौधारोपण करने का दायित्व बनाया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से सहमत होते हुए कोर्ट ने भी कहा कि सतत विकास में हमेशा वनस्पतियों एवं जीवों के विकास एवं संरक्षण की अवधारणा को शामिल किया जाना चाहिए. कोर्ट ने काटे जा रहे पेड़ों की एवज में दस गुना पेड़ लगाने के प्रस्ताव को देखते हुए प्रतिवादियों को निर्देश दिए है कि दस गुना पेड़ लगाया जाना सुनिश्चित किया जाए.
कोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्देश दिए हैं कि अगली सुनवाई पर पौधारोपण के लिए स्थान चिन्हित कर पौधारोपण को लेकर पूरी रिपोर्ट 10 जुलाई को पेश करें. इस परियोजना के लिए करीब ढाई हजार पेड़ काटना प्रस्तावित है.